होमरूल लीग का सचिव कौन था?

एनी बेसेंट के होमरूल लीग का संगठन सचिव कौन था? – जॉर्ज अरून्डेल होमरूल लीग आन्दोलन का उद्देश्य ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन रहते हुए संवैधानिक तरीके से स्वशासन को प्राप्त करना था। बाल गंगाधर तिलक ने 28 अप्रैल, 1916 को बेलगांव में ‘होमरूल लीग’ की स्थापना की थी। इसका प्रभाव Read more…

तमिल ग्रंथ

तमिल ग्रंथ (संगम साहित्य) शिलप्पदिकारम् – लेखक: इलांगोआदिलगल (चेर राजा सेनगुट्टुवन का भाई) इसमें ‘कोवलन’ एवं ‘कण्णगी’ की कहानी है। ‘शिलप्पदिकारम्’ का अर्थ है नूपुर की कहानी। इसमें चोल, चेर एवं पाण्ड्य शासकों का वर्णन है। इसमें तमिल सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था की झलक मिलती है। इसमें श्रृंगार, करुण और वीर रस Read more…

मौर्यकालीन कला

मौर्ययुगीन कला को दो भागों में बांटा जा सकता है- दरबारी अथवा राजकीय कला जिसमें राजप्रासाद, स्तम्भ, गुहा-विहार, स्तूप लोककला जिसमें स्वतंत्र कलाकारों द्वारा लोकरूचि की वस्तुओं का निर्माण किया गया, जैसे- यक्ष-यक्षिणी, प्रतिमाएं, मिट्टी की मूर्तियां आदि। स्तम्भ कला स्तम्भ मौर्ययुगीन वास्तुकला के सबसे अच्छे उदाहरण है। सर जॉन Read more…

चीनी यात्री फाह्यान का भारत यात्रा विवरण

फाह्यान का भारत वर्णन – चीनी यात्री फाह्यान ने 399 ई. से 414 ई. तक भारत का भ्रमण किया था। उसने भारत की आर्थिक, धार्मिक, राजनीतिक व सामाजिक स्थिति का वर्णन किया है। तत्कालीन समाज में शाकाहार का प्रचलन था, सामान्यतयः जनता लहसुन प्याज का सेवन नहीं करती थी। अस्पृश्यता Read more…

ह्वेनसांग का भारत यात्रा विवरण

  ह्वेनसांग चीनी बौद्ध यात्री था, जो हर्ष के समय भारत आया। वह बौद्ध स्थलों के दर्शन एवं बौद्ध ग्रंथों के अध्ययन करने के उद्देश्य से भारत आया था। उसने भारत के सम्बन्ध में निम्नलिखित विवरण दिया- सामाजिक स्थिति – तत्कालीन समाज ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य व शूद्र वर्णों में विभाजित Read more…

मार्टिन लूथर का धर्म सुधार आन्दोलन में योगदान

मार्टिन लूथर 1483-1546 लूथर का जन्म 10 नवंबर, 1483 ई. को जर्मनी के एक निर्धन किसान परिवार में हुआ। लूथर प्रारम्भ में पोप का विरोधी नही था परन्तु 1517 ई. में टेटजेल को सेन्ट पीटर गिरजाघर के निर्माण हेतु, क्षमा-पत्र बेचकर धन इकट्ठा करने की पोप की आज्ञा ने, लूथर Read more…

भारत में राष्ट्रवाद का उदय एवं विकास

उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में राष्ट्रीय भावना के विकास के परिणामस्वरूप राजनीतिक आंदोलन का सूत्रपात हुआ। भारतीयों ने राजनीतिक आंदोलन के माध्यम से अंग्रेजी सत्ता से मुक्ति प्राप्त करने के लिए एक लंबा संघर्ष किया। अंग्रेजी शासन काल में भारतीयों में राष्ट्रीयता की भावना के उदय के निम्न कारण थे- Read more…

संगम काल: पाण्ड्य, चेर और चोल

संगम साहित्य 300-600 ई. तमिल भाषा का प्राचीनतम साहित्य संगम साहित्य के नाम से जाना जाता है। संगम का अर्थ ‘संघ’ या ‘परिषद’ होता है। पाण्ड्य शासकों के संरक्षण में कुल तीन संगम आयोजित किये गये थे, जिनमें संकलित साहित्य को संगम साहित्य की संज्ञा दी गयी। संगम साहित्य के Read more…

भारतीय इतिहास को जानने के साहित्यिक स्रोत

साहित्यिक स्रोतः- वैदिक साहित्य – इसके अन्तर्गत वेद तथा उससे सम्बन्धित ग्रंथ, पुराण, महाकाव्य, स्मृति आदि है। सबसे प्राचीन ग्रंथ ‘वेद’ है जिसका अर्थ ‘ज्ञान’ है। श्रवण परम्परा में सुरक्षित होने के कारण इसे ‘श्रुति’ भी कहा जाता है। वेदव्यास ने वेदों को संकलित कर दिया। वेदों की संख्या चार Read more…

सातवाहन

इतिहास के साधन सातवाहन इतिहास के लिए मत्स्य तथा वायुपुराण विशेष रूप से उपयोगाी हैं। पुराण सातवाहनों को ‘आन्ध्रभृत्य तथा आन्ध्र जातिय’ कहते हैं। पुराणों में इस वंश के संस्थापक का नाम सिन्धुक, शिमुक अथवा शिप्रक दिया गया है। जिसने कण्ववंश के राजा सुशर्मा को मारकर तथा शुंगों की अवशिष्ट Read more…