पंचायती राज व्यवस्था में सुधार हेतु गठित अन्य समितियां

अशोक मेहता समिति, 1977 की सिफारिशें

द्विस्तरीय पंचायती राज प्रणाली को अपनाया जाय अर्थात् ग्राम पंचायत के स्थान पर मंडल पंचायते गठित की जाए।
जिला कलेक्टर सहित सभी अधिकारी जिला परिषद के अधीन रखे जावें।
संस्थाओं के चुनाव दलगत आधार पर करवाए जाए।
समाज के अनुसूचित जाति, जनजाति व महिला वर्ग को आरक्षण दिया जाए।
पंचायती राज व्यवस्था में स्वयं सेवी संस्थाओं की भूमिका बढ़ाई जाए।

स्वतंत्रता के पश्चात् 1957 में बलवंतराय मेहता समिति का गठन किया गया जिन्होंने पूरे देश में ”त्रिस्तरीय पंचायती राज प्रणाली” लागू करने की सिफारिश की। मेहता समिति की सिफारिश लागू करने वाला राजस्थान पहला राज्य बना।
2 अक्टूबर, 1959 को नागौर जिले में प्रधानमंत्री द्वारा इसका आगाज किया गया।
1960 के दशक में पंचायती राज को देश के विभिन्न राज्यों में अपनाया किंतु राज्यों द्वारा गठित इन संस्थाओं में स्तरों की संख्या, उनका कार्यकाल, निर्वाचन के तरीकों आदि में समानता नहीं थी।
राजस्थान में मेहता समिति द्वारा सुझाए गए त्रिस्तरीय स्वरूप को अपनाया गया।

जी.वी.के. राव समिति:- 1985 सिफारिशें

ग्राम पंचायतों को अधिक वित्तीय शक्तियां दी जाए।
राज्य वित्त आयोग का गठन किया जाए।
संस्थाओं का कार्यकाल 8 वर्ष किया जाए।

एल. एम. सिंघवी समिति:- 1986

इस समिति में पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा देने की सिफारिश की। 64वें संविधान संशोधन विधेयक द्वारा तत्कालीन केन्द्र सरकार ने प्रयास भी किया किन्तु विधेयक संसद से पास नहीं हो सका।

पी.के. थुंगन समिति 1988

इस समिति ने भी इन संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा देने की सिफारिशें भी की।

73वाँ संविधान संशोधन अधिनियम

यह संशोधन अधिनियम 1992 में संसद द्वारा पारित किया गया जो 24 अप्रैल 1993 को प्रभाव में आया। इस अधिनियम के लिए जो संयुक्त प्रवर-समिति बनी उसके अध्यक्ष राजस्थान से सांसद श्री नाथूराम मिर्धा थे। 24 अप्रैल को इसीलिए पंचायती राज दिवस मनाया जाता हैं।

त्रिस्तरीय प्रणाली

73वाँ संविधान संशोधन अधिनियम सभी राज्यों के लिए त्रिस्तरीय संस्थागत ढ़ाँचे का प्रावधान करता हैं।

स्तर निर्वाचित संस्था का नाम निर्वाचित पदाधिकारी

ग्राम ग्राम पंचायत सरपंच

खण्ड/ब्लॉक पंचायत समिति प्रधान

जिला जिला परिषद जिला प्रमुख

पंचायती राज संबंधी संवैधानिक उपबंध

भाग—9
अनुच्छेद 243 : परिभाषाएं
अनुच्छेद 243 क : ग्रामसभा
अनुच्छेद 243 ख : ग्राम पंचायतों का गठन।
अनुच्छेद 243 ग : पंचायतों की संरचना
अनुच्छेद 243 घ : स्थानों का आरक्षण
अनुच्छेद 243 ड. : पंचायतों की अवधि
अनुच्छेद 243 च : सदस्यता के लिए अयोग्यताएं
अनुच्छेद 243 छ : पंचायतों की शक्तियां, प्राधिकार और उत्तरदायित्व
अनुच्छेद 243 ज : पंचायतों द्वारा कर अधिरोपित करने की शक्तियां और उनकी निधियां
अनुच्छेद 243 झ : वित्तीय स्थिति के पुनर्विलोकन के लिए वित्त आयोग का गठन
अनुच्छेद 243 ञ : पंचायतों के लेखाओं की संपरीक्षा
अनुच्छेद 243 ट : पंचायतों के लिए निर्वाचन
अनुच्छेद 243 ठ : संघ राज्य क्षेत्रों को लागू न होना
अनुच्छेद 243 ड : इस भाग का कतिपय क्षेत्रों को लागू न होना
अनुच्छेद 243 ढ : विद्यमान विधियों और पंचायतों का बना रहना
अनुच्छेद 243 ण : निर्वाचन सम्बन्धी मामलों में न्यायालयों के हस्तक्षेप का वर्णन

ग्राम सभा की ‘गणपूर्ति’ कितनी है?
अ. कुल सदस्य संख्या का आधा भाग
ब. कुल सदस्य संख्या का चौथाई भाग
स. कुल सदस्य संख्या का दसवां भाग
द. कुल सदस्य संख्या का पांचवां भाग
उत्तर— स

द्वितीय श्रेणी जीके संस्कृत 2019

राजस्थान में ग्राम पंचायत के सरपंच, उपसरपंच तथा वार्ड पंच अपना त्यागपत्र किसे सम्बोधित करते हैं?
अ. जिला प्रमुख
ब. विकास अधिकारी
स. पंचायत समिति का प्रधान
द. जिला कलेक्टर
उत्तर— ब