- भारत की केन्द्रीय व्यवसथापिका को संसद कहा जाता है। भारतीय संसद के तीन अंग हैं- राष्ट्रपति, राज्यसभा और लोकसभा।
राज्यसभा और लोकसभा के रूप में संसद के दो सदन हैं। राज्यसभा को उच्च सदन और लोकसभा को निम्न सदन कहते हैं। इस प्रकार भारतीय संसद द्विसदनात्मक है। - अनु. 79 के अनुसार भारतीय संघ के लिए एक संसद होगी जो राष्ट्रपति और दो सदनों से मिलकर बनेगी और दोनों सदनों के नाम क्रमशः राज्यसभा और लोकसभा होंगे।
- संसद देश में कानून बनाने वाली सर्वोच्च संस्था है।
- राष्ट्रपति संसद का अभिन्न अंग है क्योंकि इसकी अनुमति के बिना राज्यसभा तथा लोकसभा द्वारा पारित कोई भी विधेयक अधिनियम का बल नहीं रखेगा तथा कुछ ऐसे विधेयक हैं, जिन्हें राष्ट्रपति की अनुमति के बिना लोकसभा में पेश नहीं किया जा सकता और उसे राज्यसभा तथा लोकसभा के सत्र बुलाने तथा सत्रावसान करने और लोकसभा को विघटित करने का अधिकार हैं।
विषय के संबंध में भारत के संपूर्ण राज्यक्षेत्र अथवा उसके किसी क्षेत्र विशेश के लिए विधि निर्माण कानूनी होगा।
राज्यसभा
- इसे संसद का उच्च सदन/ द्वितीय सदन भी कहा जाता है।
- इसके सदस्य राज्यों एवं संघ राज्य क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- भारतीय संविधान लागू होने के बाद 3 अप्रैल 1952 को ‘काउंसिल ऑफ स्टेट्स’ नाम से राज्यसभा का गठन किया।
- राज्यसभा की प्रथम बैठक 13 मई 1952 को हुई।
- राज्यसभा के प्रथम सभापति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन थे।
- 23 अप्रैल 1954 को सभापति ने काउंसिल ऑफ स्टेट्स का नाम बदलकर ‘राज्यसभा’ घोषित किया।
- प्रथम लोकसभा का गठन 17 अप्रैल 1952 को तथा प्रथम बैठक 13 मई 1952 को हुई। अतः 13 मई 2002 को भारतीय संसद ने
- अपना ‘स्वर्ण जयन्ती’ समारोह मनाया था।
गठन और निर्वाचन पद्धति –
- अनु. 80 राज्यसभा के गठन के बारे में उपबंध करता है। अनु. 80(1) में राज्यसभा में अधिक से अधिक 250 सदस्य, इनमें से 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत, ये सदस्य कला, साहित्य, विज्ञान तथा समाज सेवा के क्षेत्र में विशेष अनुभव रखते हैं।
- शेष 238 सदस्यों का निर्वाचन राज्यों की विधान सभाओं द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व की एकल संक्रमणीय मत पद्धति के अनुसार होता है।
- विधानसभाओं के मनोनीत सदस्य इनके चुनाव में भाग नहीं लेते है।
- वर्तमान में राज्यसभा में कुल 245 सदस्य है जिसमें से 233 सदस्य विभिन्न राज्यों से है एवं 12 सदस्यों को मनोनीत किया गया है।
- दिल्ली (3) और पाण्डिचेरी (1) दो ऐसे संघ राज्य क्षेत्र है जहां से राज्यसभा में सदस्य है।
- राज्यसभा में स्थानों का आवंटन संविधान की अनुसूची-4 में है। संसद द्वारा 2003 में इसमें दो परिवर्तन किये गये है-
क. राज्य सभा के उम्मीदवारों के लिए उस राज्य का निवासी होना अनिवार्य नहीं है जिस राज्य से वह चुनाव लड़ रहा है।
ख. गुप्त मतदान के स्थान पर खुले मतदान की व्यवस्था को अपनाया गया है। - – राज्यसभा में राज्यों का प्रतिनिधित्व जनसंख्या के आधार पर होता है, समानता के आधार पर नहीं है।
- – राज्य की जनसंख्या के प्रथम 50 लाख व्यक्तियों तक हर 10 लाख एक प्रतिनिधि एवं इसके बाद 20 लाख पर एक प्रतिनिधि होता है।
- – दिल्ली एवं पाण्डिचेरी को छोड़कर पांच संघ शासित क्षेत्रों जिनमें- अण्डमान निकोबार द्वीप समूह, दमन एवं द्वीव, लक्षद्वीप, चण्डीगढ़, दादरा व नगर हवेली शामिल है, से राज्यसभा में कोई प्रतिनिधि शामिल नहीं है।
सदस्यों की योग्यताएं-
- संविधान के अनु. 84 में संसद की संसद की सदस्यता के लिए अर्हताएं निर्धारित की गई हैं। जो निम्नलिखित है-
वह भारत का नागरिक होना चाहिए।
उसे कम से कम 30 वर्ष की आयु को होना चाहिए।
उसके पास ऐसी अन्य अर्हताएं होनी चाहिए जो संसद द्वारा बनाई गई किसी विधि द्वारा या उसके अधीन इस निमित्त विहित की जाएं।
संसद द्वारा दी गई छूट के अलावा भारत सरकार या राज्य सरकार के अधीन किसी लाभ के पद को धारण करता है।
निरर्हताएं-
- संविधान के अनु. 102 में यह निर्धारित किया गया है कि कोई व्यक्ति संसद के किसी सदन का सदस्य चुने जाने के लिए और सदस्य होने के लिए निरर्हित होगा-
क. यदि वह भारत सरकार के या किसी राज्य की सरकार के अधीन, ऐसे पद को छोड़कर जिसको धारण करने वाले का निरर्हित न होना संसद ने विधि द्वारा घोषित किया है, कोई लाभ का पद धारण करता है।
ख. यदि वह विकृतचित्त है और सक्षम न्यायालय की ऐसी घोषणा विद्यमान है।
ग. यदि वह अनुन्मोचित दिवालिया है।
घ. यदि वह भारत का नागरिक नहीं है या उसने किसी विदेशी राज्य की नागरिकता स्वेच्छा से अर्जित कर ली है या वह किसी विदेशी राज्य के प्रति निष्ठा या अनुषक्ति को अभिस्वीकाार किए हुए है।
ड. यदि वह संसद द्वारा बनाई गई किसी विधि द्वारा या उसके अधीन इस प्रकार निरर्हित कर दिया जाता है।
कार्यकाल-
- अनु. 83(1) राज्यसभा स्थायी सदन है। इसके एक तिहाई (1/3) सदस्य प्रत्येक दो वर्ष की समाप्ति पर अवकाश ग्रहण करते है।
इसके सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष होता है। - किसी सदस्य द्वारा त्यागपत्र या मृत्यु की स्थिति में उपचुनाव होता है तथा नया सदस्य बाकी बचे समय के लिए सदस्य चुना जाता है न कि पूरे 6 वर्ष के लिए।
- राज्यसभा के उपसभापति का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है जबकि सभापति का 5 वर्ष का।
विधायी शक्तियां
- – संविधान के द्वारा धन विधेयक के अलावा अन्य सभी विधेयकों के सम्बंध में लोकसभा और राज्यसभा की शक्तियां समाल है। ऐसे विधेयकों को किसी भी सदन में प्रस्तावित किया जा सकता है।
– दोनों सदनों द्वारा पारित होने के बाद ही राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षर किये जाते है।
– राज्य सभा, लोकसभा द्वारा पारित विधेयक को 6 माह तक अपने पास रोक सकती है। परन्तु वह इन्हें समाप्त नहीं कर सकती है।
अनुच्छेद 108 – सामान्य विधेयक पर लोकसभा और राज्यसभ्ज्ञा में मतभेद होने पर राष्ट्रपति संयुक्त बैठक बुला सकता है।
राज्य सभा की वित्तीय शक्तियां-
- वित्तीय शक्यिों के सम्बन्ध में लोकसभा से राज्यसभा को कम शक्तियां प्राप्त है।
अनु.109 के अनुसार राज्यसभा में धन विधेयक को प्रस्तुत नहीं किया जा सकता।
राज्यसभा धन विधेयक को केवल 14 दिनों तक रोक सकती है। यदि 14 दिन की समाप्ति के पश्चात् राज्यसभा ऐसे विधेयक को वापस नहीं लौटाती है तो धन विधेयक को राज्यसभा द्वारा पारित मान लिया जाता है।
यदि राज्यसभा द्वारा 14 दिन के भीतर वित्त विधेयक को सिफारिशों सहित लौटाया जाता है तो यह लोकसभा पर निर्भर है कि उसके द्वारा की गई सिफारिशों को माने अथवा नहीं माने।
संविधान संशोधन सम्बन्धी शक्ति-
- इस संबंध में लोकसभा एवं राज्य सभा को समान शक्ति प्राप्त है।
लोकसभा द्वारा पारित संविधान संशोधन विधेयक संसद द्वारा तभी पारित समझा जायेगा जब उसे राज्यसभा भी पारित कर दे।
संविधान संशोधन विधेयक को यदि लोकसभा पारित कर दे परन्तु राज्यसभा अस्वीकार कर दे तो विधेयक समाप्त समझाा जाता है। - उदाहरण – 1989 में 64वां एवं 65वां संविधान संशोधन विधेयक क्रमशः ग्राम पंचायत और नगरपालिका सम्बन्धी राज्यसभा द्वारा पारित न होने के कारण समाप्त हो गये थे।
आपातकालीन सम्बन्धी शक्ति –
- राष्ट्रपति की आपातकालीन उद्घोषणा की स्वीकृति दोनों सदनों के द्वारा अनिवार्य है।
यदि उद्घोषणा उस समय की गई हो जब लोकसभा विघटित हो गई हो तो उस समय राज्यसभा द्वारा स्वीकृति अनिवार्य है।
राज्यसभा की अन्य शक्तियां-
- निर्वाचित सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेते हैं।
- उपराष्ट्रपति का चुनाव लोकसभा के साथ मिलकर करते है।
- राज्यसभा, लोकसभा के साथ मिलकर राष्ट्रपति पर महाभियोग तथा सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों तथा कुछ पदाधिकारियों को अपने पद से हटाती है।
- राज्यसभा बहुमत से प्रस्ताव पास करके राष्ट्रपति को अपने पद से हटा सकती है, बस ऐसे प्रस्ताव को लोकसभा का अनुमोदन आवश्यक है।
राज्य सभा की विशेष शक्तियां-
- अनु. 249 के अनुसार राज्यसभा अपने उपस्थित एवं मतदान करने वाले सदस्यों के दो तिहाई बहुमत से राज्यसूची के किसी विषय को राष्ट्रीय महत्त्व का घोषित कर सकती है। इसके बाद उस विषय पर कानून का निर्माण संसद कर सकती है। यह कानून एक वर्ष तक प्रभावी रहता है। यदि राज्यसभा चाहे तो इसे एक वर्ष और बढ़ा सकती है।
- पहली बार 1952 में ‘व्यापार, वाणिज्य, उत्पादित वस्तुओं की उपलब्धि तथा वितरण’ को राज्यसभा द्वारा राष्ट्रीय महत्त्व का घोषित किया गया था।
अनुच्छेद 312
- राज्यसभा अपने उपस्थित एवं मत देने वाले सदस्यों के 2/3 बहुमत से नई अखिल भारतीय सेवा का सृजन कर सकती है।
उसका प्रयोग दो बार
अ. 1961 ई. में भारतीय इंजीनियर्स सेवा, भारतीय वल सेवा तथ भारतीय चिकित्सा सेवा का सृजन किया।
ब. 1965 ई. में भारतीय कृषि सेवा का सृजन तथा भारतीय शिक्षा सेवा के सृजन का अधिकार संसद को दिया।
नोट-
- यदि कोई सदस्य संसद के एक सदन की बैठकों में 60 दिनों से अधिक लगातार सदनकी अनुमति के बिना अनुपस्थित रहता है, तो उसकी सदस्यता समाप्त हो जाती है।
- अनु. 105 के अनुसार संसद सदस्यों को, संसद के अधिवेशन के दौरान या अधिवेशन के 40 दिन या पश्चात् किसी सिविल मामले में गिरफ्तार नहीं किया जायेगा। यह छुट फौजदारी मामलों में नहीं है।
- किसी सदस्य को सदन के अधिवेशन के दौरान बिना अध्यक्ष/सभापति की अनुमति के न्यायालय के समक्ष साक्षी के रूप में उपस्थित होने को बाध्य नहीं।
- संसद या उसके सदस्यों के विशेषाधिकारों का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को दण्डित करने का अधिकार है।
यही शक्तियां अनुच्छेद 194 के अनुसार उक्त शक्तियां एवं विशेषाधिकार विधानमण्डल के सदस्यों को भी प्राप्त है।
पीठासीन अधिकारीगण – सभापति और उपसभापति
- राज्यसभा के पीठासीन अधिकारियों की यह जिम्मेदारी होती है कि वे सभा की कार्यवाही का संचालन करें। भारत के उपराष्ट्रपति राज्य सभा के पदेन सभापति हैं।
- राज्य सभा अपने सदस्यों में से एक उपसभापति का भी चयन करती है।
- राज्य सभा में उपसभाध्यक्षों का एक पैनल भी होता है, जिसके सदस्यों का नामनिर्देशन सभापति, राज्य सभा द्वारा किया जाता है। सभापति और उपसभापति की अनुपस्थिति में, उपसभाध्यक्षों के पैनल से एक सदस्य सभा की कार्यवाही का सभापतित्व करता है।
महासचिव
- महासचिव की नियुक्ति राज्य सभा के सभापति द्वारा की जाती है और उनका रैंक संघ के सर्वोच्च सिविल सेवक के समतुल्य होता है। महासचिव गुमनाम रह कर कार्य करते हैं और संसदीय मामलों पर सलाह देने के लिए तत्परता से पीठासीन अधिकारियों को उपलब्ध रहते हैं। महासचिव राज्य सभा सचिवालय के प्रशासनिक प्रमुख और सभा के अभिलेखों के संरक्षक भी हैं। वह राज्य सभा के सभापति के निदेश व नियंत्रणाधीन कार्य करते हैं।
राज्यसभा की प्रथम महिला महासचिव कौन थी?
अ. मंजीत वालिया
ब. के.के. गीता
स. नजमा हेपतुल्ला
द. वी.एस. रमा देवी
उत्तर— द
दोनों सभाओं के बीच संबंध
संविधान के अनुच्छेद 75 (3) के अधीन, मंत्री परिषद् सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति जिम्मेदार होती है जिसका आशय यह है कि राज्य सभा सरकार को बना या गिरा नहीं सकती है। तथापि, यह सरकार पर नियंत्रण रख सकती है और यह कार्य विशेष रूप से उस समय बहुत महत्त्वपूर्ण हो जाता है जब सरकार को राज्य सभा में बहुमत प्राप्त नहीं होता है।
राज्यसभा का गठन कब हुआ?
अ. 15 मार्च, 1950
ब. 13 मई 1952
स. 3 अप्रैल, 1952
द. 2 मई, 1952
उत्तर— स
राज्यसभा की प्रथम बैठक कब हुई?
अ. 15 मार्च, 1950
ब. 13 मई 1952
स. 3 अप्रैल, 1952
द. 2 मई, 1952
उत्तर— ब
निम्न में से कौनसे प्रधानमंत्री राज्यसभा के सदस्य नहीं थे?
अ. इन्दिरा गांधी
ब. एच.डी. देवगोड़ा
स. पंडित जवाहर लाल नेहरू
द. डॉ. मनमोहन सिंह
उत्तर— स
व्याख्या:
भारत में अब तक 4 प्रधानमंत्री राज्यसभाा सदस्य रहते हुए प्रधानमंत्री बने हैं: इन्दिरा गांधी, एच.डी. देवगोड़ा, इन्द्र कुमार गुजराल, डॉ. मनमोहन सिंह।
वर्तमान में राज्य सभा सदस्यों की संख्या है?
अ. 240
ब. 245
स. 445
द. 545
उत्तर— ब
राज्यसभा धन विधेयक पर अपी सहमति कितने दिनों तक रोक सकती है?
अ. 15 दिन
ब. 14 दिन
स. 18 दिन
द. 30 दिन
उत्तर— ब
राज्यसभा के पहले उपसभापति कौन थे?
— श्री एस.वी. कृष्णमूर्ति राव
निम्न में से किस केन्द्र शासित प्रदेश का राज्य सभा में प्रतिनिधित्व है?
अ. अण्डमान—निकोबार
ब. चंडीगढ़
स. दादरा—नगर हवेली
द. पुदुचेरी
उत्तर- द
संसद की गतिविधियां
प्रश्न काल
- दोनों सदनों में प्रत्येक बैठक के पहले घंटे के समय को प्रश्नकाल कहा जाता है, जिसमें प्रश्न पूछे जाते हैं तथा उनका उत्तर दिया जाता है। सामान्यतः प्रश्न मंत्रियों अर्थात् सरकारी सदस्यों से ही पूछे जाते हैं तथा उनका उत्तर दिया जाता है। कभी-कभी गैर-सरकारी सदस्यों से भी प्रश्न पूछे जा सकते हैं। यदि उनका विषय किसी ऐसे विधेयक, संकल्प या अन्य किसी विषय से संबंधित हो, जिसके लिए वह सदस्य उत्तरदायी हो।
गणपूर्ति (कोरम)
- राज्यसभा में गणपूर्ति के लिए कुल सदस्य संख्या का दसवां भाग निर्धारित किया गया है। गणपूर्ति की आवश्यक संख्याा पूरी नहीं करने पर सदन की बैठक स्थगित कर दी जाती है।