थायरॉइड ग्रंथि
- यह अंत:स्रावी ग्रंथि है। यह मनुष्य में गर्दन के भाग में श्वासनली के दोनों ओर तथा स्वरयंत्र के जोड़ के अधर तल पर स्थित होती है। यह संयोजी ऊतक की पतली अनुप्रस्थ से जुड़ी रहती है जिसे इस्थमस कहते हैं। इसका आकार H आकार का होता है।
- यह अनेकों खोखली व गोल पुटिकाओं से मिलकर बनता है। इन पुटिकाओं की गुहा में आयोडीन युक्त गुलाबी रंग का कोलायडी पदार्थ स्रावित होता है। जिसे थाइरोग्लोब्यूलिन कहते हैं।
इससे स्रावित हार्मोन
थाइरॉक्सिन
- इसे टेट्राआयोडोथाइसेनीन या कहते हैं। यह अमीनो अम्ल है जिसमें 65 प्रतिशत आयोडीन होता है।
कार्य—
- मानव की सभी उपापचयी क्रियाओं /मेटाबोलिक को नियंत्रित करता है। अत: इसे अंत:स्रावी तंत्र का पेस मेकर कहते हैं।
- यह हृदय की धड़कनें की दर को प्रभावित करता है, शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है।
- उभयचरों के टैडपोल में कायान्तरण को प्रेरित करता है। थाइरॉक्सिन की कमी से लार्वा वयस्क में रूपान्तरित नहीं होते। इस प्रक्रिया को नियोटेनी या पीडोजेनेसिस कहते हैं।
- यह हार्मोन असमतापी कशेरूकियों में निर्मोचन तथा परासरण का नियंत्रण करता है।
इसकी कमी से या अधिकता से होने वाले रोग
हाइपोथाइरॉइडिज्म — कमी से
जड़वामनता Cretinism —
- बच्चों में थाइरॉक्सिन की कमी से,
- बच्चे बौने कुरूप, पेट बाहर निकला हुआ, जीभ मोटी व बाहर निकली हुई, जननांग अल्पविकसित तथा त्वचा सूखी हुई। ये मानसिक रूप से अल्पविकसित होते हैं।
मिक्सीडेमा Myxoedema—
- वयस्क व्यक्ति में।
- बाल झड़ने लगते हैं, त्वचा में वसा एवं श्लेष्म जमा हो जाता है। शरीर मोटा और बीएमआर कम हो जाता है।
- इसमें मनुष्य जनन एवं मानसिक रूप से पूर्ण विकसित नहीं होता है।
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हाशीमोटो रोग
- थाइरॉक्सिन की अत्यधिक कमी से। थाइरॉइड ग्रंथि के आकार में वृद्धि हो जाती है, गर्दन में सूजन आ जाती है।
सामान्य घेंघा
- थाइरॉक्सिन हार्मोन में मुख्यत: आयोडीन होता है। अत: आयोडीन की कमी से यह रोग हो जाता है।
हाइपरथाइरॉडिज्म
- अधिक स्रावण से होने वाले रोग
- थाइरॉक्सिन हार्मोन के अत्यधिक स्रावण से यह रोग होता हैं इसमें हृदय स्पंदन बढ़ जाता है। इससे घबराहट, थकावट और चिड़चिड़ापन आ जाता है।
इसकी अधिकता से होने वाले रोग
एक्सोथैलमिक ग्वायटर
- इसमें आंख फूलकर नेत्र कोटर से बाहर निकल आती है।
ग्रेब्स रोग
- थाइरॉइड ग्रंथि का आकार बढ़ जाता है।
प्लूमर रोग
- इसमें थाइरॉइड ग्रंथि में जगह-जगह गांठें बन जाती है।
Q.1- ग्वाइटर (घेंघा) रोग किस खनिज तत्व की कमी से होता है?
अ. सोडियम
ब. आयोडीन
स. कैल्सियम
द. ब्रोमीन
उत्तर— ब