ऐनेलिडा ग्रुप

शरीर लंबा, पतला, द्विपार्श्व सममित तथा खंड़ों में बंटा हुआ होता है। छेहगुहा भी खंड़ों में बंटी होती है। आहारनाल पूर्णतः विकसित होता है, जिसके एक सिरे पर मुख तथा दूसरे सिरे पर गुदा द्वार होता है। श्वसन प्रायः त्वचा द्वारा तथा कुछ जंतुओं के क्लोम द्वारा होता है। रुधिर Read more…

मूत्र का रंग किस वर्णक की उपस्थिति के कारण होता है

उत्सर्जी अंग निम्नकोटि के अकशेरूक जन्तुओं जैसे प्रोटोजोआ में उत्सर्जन परासरण द्वारा होता है। एनीलिडा में उत्सर्जन उसके उत्सर्जी अंग नेफ्रीडिया द्वारा सम्पन्न होता है। प्लेटीहेल्मिन्थीज जन्तुओं में प्रमुख उत्सर्जी अंग ज्वाला कोशिकाएं होती है। आर्थ्रोपोडा में मैल्पीघी नलिकाएं तथा ग्रीन ग्रंथियां उत्सर्जी अंग है। पक्षियों, सरीसृपों एवं कीटों में Read more…