Site icon

बौद्ध धर्म

बौद्ध धर्म के चार आर्य सत्य

  1. दुःख – समस्त संसार दुःखमय है।
  2. दुःख समुदाय – संसार के समस्त दुःखों का कारण इच्छा या तृष्णा है।
  3. दुःख निरोध – इच्छा या तृष्णा को अपने वशीभूत रखकर ही दुःख को खत्म किया जा सकता है।
  4. दुःख निरोध गामिनी प्रतिपदा – इसके अंतर्गत दुःख निवारक मार्ग बताये गये हैं। ये आठ मार्ग हें जो अष्टांगिक मार्ग कहे जाते हैं।

बुद्ध ने दुःख निरोध के लिए निम्न ‘अष्टांगिक मार्ग’ का प्रावधान किया –

क्रम समय स्थान अध्यक्ष शासक कार्य
पहली 483 ई.पू. राजगृह (सप्तपर्णि गुफा) महाकस्सप अजातशत्रु, हर्यंक वंश बुद्ध के उपदेशों को सुत्त एवं विनय पिटकों में संकलित किया गया।
द्वितीय 383 ई.पू. वैशाली सबाकमीर कालाशोक, शिशुनाग वंश अनुशासन को लेकर मतभेद के समाधान के लिए बौद्ध धर्म स्थाविर और महासंघिक दो भागों में बंट गया।
तृतीय 250 ई.पू. पाटलिपुत्र मोग्गलिपुत्त तिस्स अशोक अभिधम्म पिटक की रचना, संघ भेद रोकने के लिए नियम बनाये गये।
चतुर्थ प्रथम शताब्दी कश्मीर (कुण्डलवन) वसुमित्र व उपाध्यक्ष अश्वघोष कनिष्क ‘विभाषाशास्त्र’ नामक टीका संकलित। बौद्ध मत दो संप्रदायों हीनयान एवं महायान में बंट गया।

बौद्ध धर्म का साहित्य –
त्रिपिटक – पालि भाषा में

Read More:-

भारतीय मानक समय रेखा किन राज्यों से होकर गुजरती है?

कर्क, मकर और भूमध्य रेखाएं किस महाद्वीप से गुजरती है?

उदयपुर सौर वेधशाला को किस अंतर्राष्ट्रीय वेधशाला के मॉडल के अनुसार डिजाइन किया गया है?

राजस्थान में मंत्रिपरिषद की अधिकतम संख्या कितनी हो सकती है?

निम्नलिखित में से कौन सा युग्म सही नहीं है?

सबसे पहले सिंचाई कर की वसूली किस शासक ने की थी

महासागरों में ज्वारभाटा की उत्पत्ति का कारण है?

फिरोज तुगलक द्वारा स्थापित ‘दार-उल-शफा’ क्या था?

किसे ‘हिन्दी खड़ी बोली का जनक’ माना जाता है?

बौद्ध धर्म के प्रसिद्ध स्मारकः

बुद्ध के जीवन से संबंधित प्रतीक चिह्न एवं घटनाएं

बौद्ध धर्म की प्रमुख शब्दावली

Exit mobile version