भारत में इण्डो-ग्रीक साम्राज्य

भारत में इण्डो-ग्रीक साम्राज्य
  • भारत में यवन राजाओं को हिंद-यवन (इण्डो-ग्रीक) अथवा बैक्ट्रियन-ग्रीक कहा जाता है।
  • हिंद-यवन शासकों के इतिहास पर लेख एवं सिक्कों द्वारा स्पष्ट प्रभाव पड़ता है।
  • उत्तर-पश्चिम में स्वर्ण सिक्कों का सर्वप्रथम प्रचलन यवन शासकों ने करवाया था।
  • बैक्ट्रिया के स्वतंत्र यूनानी साम्राज्य का संस्थापक डायोडोट्स था।
  • इण्डो-यूनानी शासकों में मेनाण्डर सर्वाधिक प्रसिद्ध था। जो डेमेट्रियस वंश से संबंधित था। बौद्ध विद्वान नागसेन के ‘मिलिंदपन्हो’ तथा क्षेमेंद्र कृत ‘अवदानकल्पलता’ से हिंद-यवन शासक मिलिंद (मेनाण्डर) की जानकारी मिलती है।
  • शिवकोट (बजौर-घाटी) की धातुगर्भ मंजूषा के ऊपर अंकित मेनाण्डर का लेख प्राप्त हुआ है। मेनाण्डर तथा उसके पुत्र स्ट्रेटो प्रथम के सिक्के मथुरा से मिले है।
  • मेनाण्डर का साम्राज्य झेलम से मथुरा तक विस्तृत था। इसकी राजधानी शाकल (स्यालकोट) थी।
  • ‘धर्मचक्र’ का चिह्न उसके सिक्कों पर मिलने से ज्ञात होता है कि वह एक धर्मनिष्ठ बौद्ध था।
  • मेनाण्डर द्वारा अनके स्तूपों के निर्माण की जानकारी क्षेमेन्द्र कृत अवदानकल्पलता से होता हैं
  • बौद्ध भिक्षु नागसेन के प्रभाव में मेनाण्डर ने बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया।
  • एंटियालकीड्स यूक्रेटाइड्स वंश का सबसे प्रतापी शासक था। इसकी राजधानी तक्षशिला थी। इसने शुंग शासक भागभद्र के दरबार में हेलियोडोरस नामक राजदूत भेजा था।
  • भारतीयों ने सांचे में ढली मुद्राओं के निर्माण की विधि यूनानियों से ग्रहण की।
  • इण्डो-ग्रीक शासकों ने ही सर्वप्रथम अपने सिक्कों पर लेख उत्कीर्ण करवाया था।
शक – पहलव वंश
  • भारत में शक तथा पहलव शासकों के बारे में जानकारी मुख्य रूप से लेखों तथा सिक्कों से होती है।
  • शक शासकों के भारतीय प्रदेशों के शासक ‘क्षत्रप’ कहलाते थे।
  • प्रारंभिक शक शासकों में तक्षशिला के माउस सर्वप्रमुख थे।
  • वह भारत का पहला शक विजेता था।
  • क्षहरात वंश (महाराष्ट्र) का पहला शासक भूमक था।
  • इस वंश का सर्वाधिक प्रसिद्ध शासक नहपान था। गौतमीपुत्र शातकर्णि द्वारा जोगलथम्बी से प्राप्त नहपान के बहुसंख्यक सिक्के पुनरांकित किए गए है।
कार्दमक वंश 
  • कार्दमक (चष्टन) वंश का शासन सुराष्ट्र और मालवा में था। इस वंश सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण शासक रुद्रदामन था।
  • रुद्रदामन का जूनागढ़ अभिलेख गुजरात में गिरनार पर्वत पर प्राप्त हुआ है। यह ब्राह्मी लिपि में उत्कीर्ण संस्कृत भाषा का सर्वाधिक प्राचीन अभिलेख है।
  • इस अभिलेख की शैली ‘काव्य शैली’ (चम्पू शैली) है।
  • इसमें रुद्रदामन की वंशावली, विजयों, शासन, व्यक्तित्व आदि पर प्रकाश डाला गया है। इस अभिलेख में यहां के राज्यपाल सुविशाख के बारे में जानकारी मिलती है जिसने सुदर्शन झील के बांध का पुनर्निर्माण करवाया था।
  • रुद्रसिंह तृतीय पश्चिम भारत का अंतिम शक शासक था।
  • गुप्त शासक चन्द्रगुप्त द्वितीय ने उसे परास्त कर पश्चिम भारत में शक सत्ता का उन्मूलन कर दिया।
  • मिथ्रदात प्रथम (171-130 ई.पू.) पार्थियन साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक था।
  • पहलव वंश का सर्वाधिक शक्तिशाली शासक गोण्डोफर्नीज था।
  • तख्तेबही (पेशावर जिले में स्थित) से इसके शासनकाल का एक अभिलेख प्राप्त हुआ है।
  • पंजाब, सिंध, कांधार, सीस्तान तथा काबुल घाटी से गोण्डोफर्नीज के सिक्के प्राप्त हुए हैं।
  • इसके शासनकाल में ईसाई धर्म प्रचारक सेंट थॉमस भारत आया था।
  • ‘ध्रमिय’ (धार्मिक) उपाधि पार्थियन राजाओं के सिक्कों पर उत्कीर्ण मिलती है।
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