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संघीय मन्त्रिपरिषद

 

प्रधानमंत्री   केबिनेट मंत्री
  • विभाग के प्रमुख
राज्यमंत्री
  • स्वायत्त प्रभार
उपमंत्री

मंत्रिपरिषद की संरचना:-

मन्त्रिपरिषद

योग्यताएं मन्त्रिपरिषद का सदस्य बनने के लिए यह आवश्यक है कि वह व्यक्ति संसद के किसी सदन का सदस्य हो।
यदि कोई व्यक्ति संसद का सदस्य नहीं है तो ऐसी स्थिति में अनु. 75(5) के तहत 6 महीने के अन्दर उसे संसद की सदस्यता ग्रहण करनी होती है।

नोट:-

मन्त्रियों की शपथ

 

मन्त्रिपरिषद के सदस्य जिनमें प्रधानमंत्री भी शामिल है
भारतीय संविधान की तीसरी अनुसूची के तहत राष्ट्रपति के समक्ष दो प्रकार की शपथ ग्रहण करते हैं।
पहली पद की और दूसरी गोपनीयता की।

नोट:-

 

मंत्रिपरिषद का

कार्यकाल

सामान्यतः मंत्रिपरिषद का कार्यकाल संविधान के अनुसार 5 वर्ष होता है,
परन्तु यह अनिश्चित है, क्योंकि मंत्रिपरिषद तभी तक अपने पद पर रहती है, जब तक उसे लोकसभा का विश्वास प्राप्त है।

मंत्रिपरिषद:-

 

मंत्रिपरिषद की सदस्य संख्या

भारतीय संविधान में मंत्रिपरिषद की सदस्य संस्था व आकार के बारे में कोई उपबन्ध नहीं था।
इसका आकार क्या होगा यह प्रधानमंत्री के विवके पर निर्भर करता था।
91वां संविधान संशोधन अधिनियम 2003 के द्वारा अनु. 75(1) क जोड़ा गया जिसमें यह प्रावधान किया गया कि मंत्रिपरिषद में प्रधानमंत्री सहित कुल सदस्यों की संख्या लोकसभा के कुल सदस्यों का 15 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा।

सामूहिक उत्तरदायित्व का सिद्धांत:-

 

अनुच्छेद 75(3) में

 

कहा गया है कि मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होगी अर्थात् मंत्रिपरिषद के किसी एक सदस्य के विरुद्ध अविश्वास पारित हो जाता है तो उस दशा में सम्पूर्ण मंत्रिपरिषद को त्यागपत्र देना होता है।
इसी कारण लॉर्ड मार्ले ने कहा है कि मन्त्रिपरषिद के सदस्य एक साथ तैरते है और एक साथ ही डूबते हैं।
परन्तु प्रधानमंत्री की सलाह पर किसी मंत्री को पदच्युत किया जाता है तो सम्पूर्ण मन्त्रिपरिषद का विघटन नहीं होता है।

नोट:-

मंत्रिमण्डलीय/केबिनेट मंत्री

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