- विटामिन पोषण के लिए महत्त्वपूर्ण तत्व हैं।
- शरीर को इनकी बहुत ही कम आवश्यकता होती है, फिर भी इनका शरीर पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
- इनका ऊर्जा स्रोत के रूप में कोई महत्त्व नहीं है किंतु शरीर के विभिन्न उपापचयी प्रक्रमों पर नियंत्रण करते हैं और शरीर की बीमारियों से रक्षा करते हैं। विटामिन की कमी से भी रोग होते हैं जिन्हें अपूर्णता रोग कहते हैं।
- विटामिन केवल भोजन से प्राप्त होते हैं, क्योंकि इनका संश्लेषण केवल पादप ही कर सकते हैं। हमारे शरीर की कोशिकाओं द्वारा इनका संश्लेषण नहीं हो सकता। इसकी पूर्ति के लिए विटामिनयुक्त भोजन से होती है।
- विटामिन D एवं विटामिन K का संश्लेषण मानव शरीर में होता है।
- विटामिन शब्द का प्रयोग पोलैंड के वैज्ञानिक कासिमिर फंक ने सन् 1911 ई. में किया। विटामिन तत्व की खोज 1912 ई. में हॉप्किंस ने की थी। इसके लिए उन्हें 1929 ई. में चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार मिला।
विलेयता के आधार पर विटामिनों को दो वर्गों में बांटा गया है-
- जल में घुलनशील विटामिन – B तथा C
- वसा में घुलनशील विटामिन – A, D, E, K
विटामिन A
- इसे रेटिनॉल और बीटा कैरोटिन भी कहा जाता है।
कार्य— वृद्धि, आंखों की निरोगता, त्वचा, श्लेष्मा झिल्ली की कोशिकाओं की क्रिया करता है। मुख्य स्रोत — मछली के यकृत का तेल, पीले फल, टमाटर, गाजर, मक्खन, अण्डे की जर्दी, गाय का दूध कैरोटिन की उपस्थिति के कारण पीला होता है।
कमी से होने वाले रोग— वृद्धि रुकना, रतौंधी (इस रोग में रात को दिखाई नहीं देता है जबकि दिन में दिखाई देता है।), जीरोफ्थैल्मिया
विटामिन B1
- इस थायमीन नाम से भी जाना जाता है।
इसे सर्वप्रथम फंक द्वारा चावल के छिलके से प्राप्त किया गया था।
कार्य — वृद्धि, कार्बोहाइड्रेट का उपापचय में सहायक
मुख्य स्रोत — मांस, दूध, सोयाबीन, मुर्गा, अंकुरित अनाज, अंडा
कमी से होने वाले रोग:— बेरी-बेरी, वृद्धि रुकना, पेट की खराबी, पेशियों की सक्रियता
विटामिन B2
- इसे राइबोफ्लेविन भी कहते हैं।
वृद्धि, त्वचा व मुख की निरोगता, आंखों की सक्रियता
मुख्य स्रोत — मांस, सोयाबीन, दूध, हरी सब्जी
कमी से होने वाले रोग— वृद्धि रुकना, जीभ पर छाले होना, असमय बुढ़ापा, प्रकाश न सह पाना
विटामिन B3
- पेन्टोथेनिक अम्ल नाम से भी जाना जाता है।
कार्य— कोएंजाइम ए तथा एसीटाइलीन कोलाइल के संश्लेषण के लिए आवश्यक
मुख्य स्रोत — यीस्ट, मांस, जिगर, गुर्दा, अंडा, दूध
कमी से होने वाले रोग— पेशियों में लकवा, पैरों में जलन महसूस होना
विटामिन B5
- निकोटिनैमाइड
कार्य— वृद्धि, कार्बोहाइड्रेट का उपापचय, तंत्रिका तंत्र में सक्रियता के लिए
मुख्य स्रोत — मूंगफली का तेल, मांस, आलू, साबुत अनाज, टमाटर, सब्जी
कमी से होने वाले रोग— त्वचा पर फोड़ा-फुंसी, पेलाग्रा नामक रोग हो जाता है, जिससे पाचन तंत्र में गड़बड़ी और मानसिक असंतुलन हो जाता है।
विटामिन B6
- (पायरीडॉक्सीन)
कार्य— एमीनो अम्ल का उपापचय
मुख्य स्रोत — मांस, यकृत, अनाज आदि
कमी से होने वाले रोग— त्वचा रोग, शरीर का भार कम होना, एनीमिया
विटामिन B7 (बायोटीन)
- कार्य— कार्बोहाइड्रेट उपापचय, त्वचा व बालों की रक्षा
मुख्य स्रोत — मांस, दूध, अंडे, गिरीदार फल
कमी से होने वाले रोग— लकवा, शरीर में दर्द, वृद्धि की कमी, बालों का गिरना
विटामिन B12 (साइनोकोबैलिन)
- कार्य— रुधिराणु बनाना, न्यूक्लिक अम्ल का संश्लेषण, नाइट्रोजन का उपापचय
मुख्य स्रोत — दूध, अंडे, यकृत
कमी से होने वाले रोग— रुधिर की कमी होना, एनीमिया
फोलिक अम्ल
- मुख्य स्रोत — हरी सब्जी, सेम, यीस्ट, अंडा
कमी से होने वाले रोग— एनीमिया तथा पेचिश रोग
विटामिन C (ऐस्कॉर्बिक अम्ल)
- कार्य— वृद्धि, दांतों का विकास, मसूड़ों की निरोगता तथा घाव भरना
मुख्य स्रोत — नींबू, आंवला, संतरा, नारंगी, टमाटर, पत्तीदार तरकारी
कमी से होने वाले रोग— मसूड़े फूलना, स्कर्वी, अस्थियां कमजोर होना
विटामिन D (कैल्सीफेरॉल)
- कार्य— वृद्धि, अस्थियों तथा दांतों का निर्माण
मुख्य स्रोत — सूर्य का प्रकाश, दूध, अंडे, यकृत
कमी से होने वाले रोग— रिकेट्स (सूखा रोग), कमजोर दांत, दांतों का सड़ना
विटामिन E (टैकोफेरॉल)
- कार्य— जनन
मुख्य स्रोत — पत्ती वाली सब्जी, दूध, मक्खन, अंकुरित गेहूं, तेल
कमी से होने वाले रोग— जनन शक्ति का कम होना
विटामिन K
(फिलोक्विनोस)
- कार्य — रुधिर के सामान्य थक्के जमना, यकृत की सामान्य क्रियाओं के लिए
मुख्य स्रोत — हरी सब्जियां, सोयाबीन का तेल, टमाटर
कमी से होने वाले रोग— रुधिर स्राव होना, ऐंठन आदि