ट्रक-कृषि

ट्रक-कृषि
  • व्यापार के उद्देश्य से की जाने वाली साग-सब्जी तथा फलों की खेती ट्रक-कृषि के नाम से जानी जाती है। इस कृषि का नगरीकरण से घनिष्ठ सम्बन्ध है। नगरों में अधिक जनसंख्या के कारण साग-सब्जी तथा फलों की मांग अधिक होने के कारण नगर आंचल में इनकी गहन कृषि होती है। इनको बाजार तक पहुंचाने में यातायात के साधनों का बड़ा महत्त्व है। अतः ट्रक-कृषि का नाम दिया जाता है।
जेट वायु धाराएं क्या हैं तथा भारतीय मानसून के लिए इसका विशेष महत्त्व क्यों है?
  • ऊपरी वायुमंडल में बहुत तेज गति से चलने वाली पवनों को जेट धाराएं कहते हैं। जून माह में उत्तरी भारत (खासकर हिमालय के पर्वतीय क्षेत्रों) में अचानक मानसून के ‘फटने’ के लिए यही जिम्मेदार है। साथ ही, इसका शीतलकारी प्रभाव इस भाग में पहले से ही उमड़ते बादलों को वर्षण के लिए बाध्य करता है।
एलनिनो
  • एलनिनो एक अजीबोगरीब समुद्री तथा जलवायु घटना है जो गर्म समुद्री जल धारा के रूप में दक्षिण प्रशांत महासागर में, पेरू तट से दूर कुछ वर्षों के अंतराल पर क्रिसमस के आसपास उभरता है। जलवायु वैज्ञानिकों का मानना है कि एलनिनो वर्ष में भारत की दक्षिण-पश्चिम मानसून कमजोर पड़ जाता है और देश के बड़े भाग में सूखे के आसार बढ़ जाते हैं।
आम्र वृष्टि या आम्र बौछारें
  • ग्रीष्म ऋतु के अंत में केरल तथा कर्नाटक के तटीय भागों में पूर्व की हल्की वर्षा सामान्य बात है। इनका स्थानीय नाम ‘आम्र वृष्टि’ है। आम के फलों को शीघ्र पकने में सहायक होने के कारण ही इन्हें यह नाम दिया जाता है।
काल बैसाखी
  • बंगाल, बांग्लादेश तथा असम में मई माह यानि बैसाख मास में सायंकालीन तड़ित-झंझा का आना सामान्य बात है। इस दौरान पवनें अत्यंत तीव्र गति से गर्जन-तर्जन के साथ बहती है, जो अपने साथ वर्षा की तेज बौछारें भी लाती है। इस क्षेत्र में पेड़ों, फसलों, झोपड़ियों इत्यादि को बहुत नुकसान होता है। इनके कुख्यात स्वरूप के कारण ही इन्हें ‘काल बैसाखी’ या बैसाख मास का काल’ नाम दिया गया है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *