तेज बहादुर सप्रू

तेज बहादुर सप्रू

सर तेज बहादुर सप्रू भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, वकील और राजनेता थे। उनका जन्म 8 दिसंबर, 1875 को संयुक्त प्रांत (अब उत्तर प्रदेश) के अलीगढ़ में हुआ था। उन्होंने कानून की डिग्री हासिल की और इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वकील के रूप में कार्य किया।

तेज बहादुर सप्रू ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ थे, लेकिन उन्हें अंग्रेजों की न्यायप्रियता में विश्वास था अत: वह उनके साथ बातचीत के जरिए से अधिकार मांगने के पक्षकार थे। उन्होंने अंग्रेज सरकार से स्वशासन की मांग, वहीं दूसरी ओर स्वतंत्रता की मांग का पुरजोर समर्थन नहीं किया।

सप्रू वर्ष 1907 में कांग्रेस के नरम दल से प्रभावित थे। वह द लीडर नामक समाचार पत्र से जुड़े गए थे। वर्ष 1913 से उन्होंने राजनीतिक कॅरियर की शुरूआत की। वह संयुक्त प्रांत से विधान परिषद के सदस्य चुने गए। वह वर्ष 1920 से 1923 तक वायसराय की परिषद में कानूनी सदस्य नियुक्त हुए।

उन्होंने एनी बेसेंट के होमरूल लीग आंदोलन में भाग लिया। उन्हें लॉर्ड रीडिंग की कार्यकारी समिति में लॉ मेंबर नियुक्त किया गया। उन्होंने ब्रिटिश सेक्रेटरी ऑफ स्टेट का भारतीय मामलों में दखल देने का विरोध किया और तर्क दिया कि ये दखल सारे सुधारों को नष्ट कर देगा।

गांधी-इरविन समझौता कराने में भूमिका निभाई

वह गांधी के नेतृत्व की आलोचना करते थे, लेकिन फिर भी उन्होंने गांधी-इरविन समझौता करना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जब गांधीजी सहित कांग्रेस के सभी प्रमुख नेता गिरफ्तार कर लिए गए तो उन्होंने गांधीजी को रिहा करवाने के लिए ब्रिटिश सरकार से भिड़ गए। हिन्दू-मुस्लिम मुद्दे पर जब गांधी की जिन्ना के साथ वार्ता होनी थी तो उन्होंने गांधी को पत्र लिखकर कहा, ‘मुझे कोई शक नहीं है कि ये मसला आपके हाथों में महफूज़ है और मैं इस मुलाक़ात के सफल होने की दुआ करता हूं।’

सप्रू उन प्रमुख वकीलों में से एक थे जिन्होंने आजाद हिन्द फौज के सेनानियों का मुकदमा लड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

तेज बहादुर सप्रू का 20 जनवरी, 1949 को इलाहाबाद में निधन हो गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *