वृद्धि एवं विकास की संकल्पना

  अभिवृद्धि से तात्पर्य व्यक्ति के शरीर के अंगों के आकार, भार और कार्य शक्तियों में होने वाली वृद्धि से होता है। उसके शारीरिक अंगों में बाह्य (हाथ, पैर, सिर और पेट आदि) और आंतरिक (पाचन, रक्त, श्वसन आदि विभिन्न तंत्र) दोनों अंग आते हैं। व्यक्ति की यह अभिवृद्धि एक निश्चित आयु (18-20 वर्ष) तक […]

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