प्रत्यय को परिभाषित करते हुए, समझाइए

परिभाषा जो शब्दांश किसी शब्द के अंत मे जुडकर उसके अर्थ को बदल देते हैं उसे प्रत्यय कहते हैं। प्रत्यय उन शब्दों को कहते हैं जो किसी अन्य शब्द के अन्त में लगाये जाते हैं। इनके लगाने से शब्द के अर्थ में भिन्नता या वैशिष्ट्य आ जाता है। प्रत्यय का शाब्दिक अर्थ है – प्रति + अय अर्थात् पीछे आना। उदाहरण – ‘मीठा’ शब्द में ‘आई’ प्रत्यय जोडने से मिठाई शब्द बनता है। धन + वान = धनवान विद्या + वान = विद्वान उदार + ता = उदारता पण्डित + ई = पण्डिताई चालाक + ई = चालाकी सफल + ता = सफलता प्रत्यय दो प्रकार के होते हैं – कृत् प्रत्यय और तद्धित प्रत्यय। कृत् प्रत्यय –  वे शब्द जो किसी धातु (क्रिया के मूल रूप को धातु कहते हैं) के परे प्रयुक्त होकर सार्थक शब्दों का निर्माण करते हैं। कृत् प्रत्यय कहते हैं। ये 5 प्रकार के होते हैं – कृर्तृ (कर्त्ता) वाचक कर्स वाचक करण वाचक भाव वाचक विशेषण वाचक तद्धित प्रत्यय वे शब्दांश जो किसी संज्ञा, सर्वनाम या विशेषण शब्द के परे प्रयुक्त होकर सार्थक शब्दों का निर्माण करते हैं। उन्हें तद्धित प्रत्यय कहते हैं तथा इनसे बनने वाले शब्द तद्धितांत (तद्धित + अंत) कहलाते हैं। ये 7 प्रकार के होते हैं – कृर्तृ (कर्त्ता) वाचक भाव वाचक सम्बन्ध वाचक गुण वाचक अपत्य (संतान) वाचक ऊनता (लघुता) वाचक स्त्री वाचक कृत् प्रत्यय कृत् प्रत्यय से बने शब्द कृदंत (कृत़्अंत) शब्द कहलाते हैं। जैसे- लेख् + अक = लेखक। यहाँ अक कृत् प्रत्यय है तथा लेखक कृदंत शब्द है। प्रत्यय मूल शब्द/धातु उदाहरण अक लेख्, पाठ्, कृ, गै लेखक, पाठक, कारक, गायक अन पाल्, सह्, ने, र्च पालन, सहन, नयन, चरण अना घट्, तुल्, वंद्, विद् घटना, तुलना, वन्दना, वेदना अनीय मान्, रम्, दृश्, पूज्, श्रु माननीय, रमणीय, दर्शनीय, पूजनीय, श्रवणीय आ सूख, भूल, जाग, पूज, इष्, भिक्ष् Read more…