सूफी काव्य की प्रमुख विशेषताएं/ प्रवृत्तियां

सूफी शब्द का अर्थ ‘पवित्र’ होता है।

इसमें गुरु के महत्व को प्रतिपादित किया गया है।

सूफी काव्य में इतिहास एवं कल्पना का योग मूल रूप से प्राप्त होता है।

इस काम में नायक को साधक (आत्मा) एवं नायिका को परमात्मा के रूप में दर्शाया गया है।

लोक जीवन एवं लोक संस्कृति को गहन चित्रण के रूप में प्रदर्शित किया गया है।

कथानक रूढ़ियों का प्रयोग प्राप्त होता है।

काव्य रचना में अवधी भाषा का प्रयोग सर्वाधिक के रूप से किया गया है।

सांप्रदायिक सौहार्द को महत्व एवं मनसवी शैली में प्रबंध काव्यों की रचना की गई है।

मानवतावादी मूल्य के रूप में प्रेम की स्थापना की।

वियोग एवं विरहानुभूति का हृदय स्पर्शी चित्रण मिलता है।

श्रृंगार रस तथा प्रकृति को उद्दीपन के रूप में चित्रित किया गया है।

ऐतिहासिक तथ्यों के साथ कल्पना की बहुलता।

सूफी काव्य के महत्वपूर्ण तथ्य

सूफी प्रेमाख्यानक काव्यों का प्रमुख गुण प्रेम का उदात्त वर्णन लोकोत्तर संबंध स्थापित करके मानवतावादी स्वरूप स्थापित करना था।

प्रसिद्ध आलोचक डॉ. रामकुमार वर्मा ने मुल्ला दाऊद की रचना ‘चंदायन’ से सूफी काव्य परंपरा का प्रारंभ माना है।

‘पद्मावत’ में मानवीय प्रेम की महिमा तथा उसके वियोग चित्रण में ‘बारहमासा’ का प्रयोग वर्णन हुआ है।

सूफी काव्य का मूल आधार हिंदू संप्रदाय से जुड़ी कथाएं रही हैं।

मुल्ला दाऊद हिंदी के प्रथम सूफी कवि थे।

अद्वैतवाद में जो स्थान ‘माया’ का है सूफी काव्य में वही स्थान ‘शैतान’ का माना है।

‘आखिरी कलाम’ जायसी ने अपनी इस कृति में कयामत का वर्णन किया है।

सूफी कवियों ने ‘समासोक्ति’ अलंकार को प्रधानता दी है।

सूफी काव्यधारा के प्रेमाख्यानक काव्य एवं रचनाकार

आचार्य शुक्ल ने 1501 ईसवी में कुतबन रचित ‘मृगावती‘ को इस धारा का पहला हिंदी काव्य माना है।

डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी ने सन् 1500 ई. में ईश्वर दास द्वारा रचित ‘सत्यवती‘ कथा को पहला हिंदी काव्य माना है।

डॉ. रामकुमार वर्मा ने चंदायन (1379 ई.) के रचित रचयिता मुल्ला दाऊद को हिंदी का प्रथम प्रेमाख्यान कवि माना है।

कहीं-कहीं ‘हंसावली‘ के रचयिता असाइत को प्रथम प्रेमाख्यान कवि माना गया है। 1370 ईसवी में ‘हंसावली’ को हिंदी का प्रथम प्रेम काव्य मानते हैं।

हंसावली

यह हिंदी का प्रथम प्रेमाख्यान काव्य है। इसकी रचना 1370 ई. मानी जाती है।

इसके रचनाकार ‘असाइत’ हैं। डॉ. मोतीलाल मेनारिया इसे राजस्थानी भाषा का काव्य मानते हैं।

कवि असाइत ने इस काव्य की प्रेरणा ‘विक्रम और बेताल’ कथा से ली है।

इसमें साहस और शैर्य से युक्त प्रेम का चित्रण है।

इसमें पाटण की राजकुमारी हंसावली की कथा का वर्णन है।

यह चौपाई छंट में लिखा गया है।

इसमें शक्ति, शंभू और सरस्वती की वंदना है।

इसका नायक योगी वेश धारक है। जो पाषाण हृदया राजकुमारी को अपनी ओर आकर्षित करता है।

चंदायन

रचना काल 1379 ई., रचनाकार मुल्ला दाउद है।

इसका नायक लोर या लोरिक एवं नायिका चंदा है।

नायक योगी बनकर निकलना, नाग द्वारा नायिका को डसा जाना आदि का वर्णन है।

इसकी भाषा अवधी और शैली सरस तथा भावानुकूल है।

पद्मावत

रचनाकार : मलिक मुहम्मद जायसी

रचनाकाल: 1540 ई.

पद्मावत प्रौढ़तम काव्य है।

इसकी विषयवस्तु चित्तौड़ के राजा रतन सेन और सिंहल द्वीप की राजकुमारी पद्मावती के प्रेम विवाह और विवाहेतर जीवन का मार्मिक चित्रण है।

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