परिभाषा

एक या एक से अधिक वर्णों से बने सार्थक ध्वनि-समूह को शब्द कहते हैं।

शब्द के भेद:

उत्पत्ति के आधार पर उत्पत्ति एवं के आधार पर हिन्दी भाषा में शब्दों को निम्न 4 उपभेदों में बांटा गया है-

तत्सम शब्द:

किसी भाषा में प्रयुक्त उसकी मूल भाषा के शब्दों को तत्सम शब्द कहते हैं।
हिन्दी की मूल भाषा (संस्कृत) के वे शब्द, जो हिन्दी में ज्यों के त्यों प्रयुक्त होते हैं, उन्हें तत्सम शब्द कहते हैं।

जैसे- अट्टालिका, अर्पण, आम्र, उष्ट्र, कर्ण, गर्दभ, क्षेत्र।

तद्भव शब्द:

उच्चारण की सुविधानुसार संस्कृत के वे शब्द, जिनका हिन्दी में रूप परिवर्तित हो गया, हिन्दी में तद्भव शब्द कहलाते हैं।

जैसे – चन्द्र से चाँद, अग्नि से आग, जिह्वा से ‘जीभ’ आदि शब्द

तत्सम तद्भव तत्सम तद्भव तत्सम तद्भव
अकार्य अकाज अग्रवर्ती अगाड़ी अक्षत अच्छत
अक्षर अच्छर/आखर अग्नि आग अक्षय आखा
अक्षि आँख अच्युत अचूक अग्र आगे
अज्ञान अजान अगम्य अगम अज्ञानी अनजाना
अद्य आज अन्धकार अँधेरा अन्ध अँधेरा
अन्न अनाज अट्टालिका अटारी अन्यत्र अनत
अमावस्या अमावस अमूल्य अमोल अनार्य अनाड़ी
अमृत अमिय/अमीय अम्लिका इमली अर्पण अरपन
अवगुण औगुण अष्ट आठ अष्टादश अठारह
अर्क आक/अरक अर्द्ध आधा अवतार औतार
अश्रु आँसू अग्रणी अगाड़ी अगणित अनगिनत
आम्र आम आमलक आँवला आभीर अहीर
आखेट अहेर आलस्य आलस आदित्यवार इतवार
आम्रचूर्ण अमचूर आश्चर्य अचरज आशीष असीस
आश्विन आसोज आश्रय आसरा इक्षु ईख
इष्टिका ईंट इर्ष्या इर्षा ईप्सा इच्छा
तत्सम तद्भव तत्सम तद्भव तत्सम तद्भव
उत्साह उछाह उज्ज्वल उजला उपालम्भ उलाहना
उलूक उल्लू उर्द्वतन उबटन उच्च ऊँचा
उष्ट्र ऊँट अलूखल ओखली उपाध्याय ओझा
उपरि ऊपर उच्छ्वास उसास एला इलायची
एकत्र इकट्ठा ओष्ठ ओठ अंक आँक
अंगुलि अँगुरी अंचल आँचल अंगुष्ठ अंगूठा
कंकण कंगन कर्म काम कटु कड़वा
कर्त्तव्य करतव कल्लोल कलोल कपर्ट कपड़ा
कपाट किवाड़ कदली केला कपर्दिका कौड़ी
कर्पूर कपूर कज्जल काजल कर्ण कान
कण्टक काँटा कपोत कबूतर कर्तरी कैंची
काँस्यकार कसेरा काष्ठ काठ कार्य काज
काक काग/कौवा कार्तिक कातिक कांचन कंचन
कास खाँसी किरण किरन किंचित कछु
कीर्ति कीरति कुमार कुंअर कुक्कर कुत्ता
कुम्भकार कुम्हार कुक्षि कोख कुष्ठ कोढ़
कुपुत्र कपूत क्रूर कूर कन्दुक गेंद
कोकिल कोयल कोण कोना कृष्ण किसन/कान्ह
कृषक किसान गर्दभ गधा गर्त गड्ढ़ा
देशज शब्द:

किसी भाषा में प्रचलित वे शब्द, जो क्षेत्रीय जनता द्वारा आवश्यकतानुसार गढ़ लिए जाते हैं, देशज शब्द कहलाते हैं अर्थात् भाषा के अपने शब्दों को देशज शब्द कहते हैं।
इसके साथ ही वे शब्द भी देशज शब्दों की श्रेणी में आते हैं जिनके स्रोत का कोई पता नहीं है तथा हिन्दी में संस्कृतेतर भारतीय भाषाओं से आ गये हैं।

अपनी गढ़न्त से बने शब्द ऊटपटाँग, ऊधम, अँगोछा, कंजड़, खटपट, खचाखच, खर्राटा, खिड़की, खुरपा, गाड़ी, गड़गड़ाना, गड़बड़, घेवर, चम्मच, चहचहाना, चिमटा, चाट, चुटकी, चिंघाड़ना, चट्टी, छाहेरा, छल-छलाना, झण्डा, झगडा़, टट्टू, ठठरेा, डगमगाना, ढक्कन, ढाँचा, ढारे, दीदी, पटाखा, परात, पगड़ी, पेट, फटफट, बड़बड़ाना, बटलोई, बाप, बुद्धू, बलबलाना, भोला, मकई, मिमियाना, मुक्का, लपलपाना, लड़की, लुग्दी, लोटपोट, लोटा, हिनहिनाना।
द्रविड़ जातियों की भाषाओं से आए देशज शब्द अनल, कज्जल, नीर, पंडित, माला, मीन, काच, कटी, चिकना, ताला, लूँगी, डोसा, इडली।
कोल—संथाल आदि जातियों की भाषा से बने हिकी के देशज शब्द कदली से केला, कर्पास से कपास, सरसों, कोड़ी, ताम्बलू, परवल, बाजरा, भिडीं आदि

विदेशी शब्द:

राजनीतिक, आर्थिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक कारणों से किसी भाषा में अन्य देशों की भाषाओं से भी शब्द आ जाते हैं, उन्हें विदेशी शब्द कहते हैं।

हिन्दी भाषा में प्रयुक्त अंग्रेजी, अरबी, फारसी, पुर्तगाली, तुर्की, फ्रांसीसी, चीनी भाषाओं के अतिरिक्त डच, जर्मनी, जापानी, तिब्बती, रूसी, यूनानी भाषा के भी शब्द प्रयुक्त होते हैं।

भाषा
विदेशी शब्द जो प्रायः हिन्दी में प्रयुक्त होते हैं:
अरबी भाषा   अक्ल, अजीब, अदालत, आजाद, आदमी, इज्जत, इलाज, इन्तजार, इनाम, इस्तीफा, औलाद, कमाल, कब्जा, कानून, कुर्सी, किताब, किस्मत, कबीला, कीमत, गरीब, जनाब, जलसा, जवाब, जुर्माना, जिला, तहसील, ताकत, तारीख, तूफान, तराजू, तमाशा, दुनिया, दफतर, दौलत, नतीजा, नशा, नकद, फकीर, फैसला, बहस, मदद, मतलब, लिफाफा, वकील, शतरंज, शादी, सुबह, हलवाई, हिम्मत, हिसाब, हुक्म।
अंग्रेजी भाषा    अण्डरवियर, अल्मारी, अस्पताल, इंजीनियर, एक्स-रे, एजेण्ट, एम.पी., क्लास, क्लर्क, कलेक्टर, कॉपी, कार, कैमरा, केस, कोट, क्रिकेट, गार्ड, चैक, टायर, ट्यबू, टेलिविजन, टेलर, टीचर, ट्रक, डबल बैड, डॉक्टर, ड्राफ्ट, निब, पोस्टकार्ड, पेन, प्लेटफार्म, पाउडर, पोलिंग, पार्लियामेंट, पंचर, फिल्म, फाइल, फुटबाल, बस, बिल्डिंग, बैंक, बैण्ड, ब्रुश, बुश्शर्ट, बैडमिण्टन, मास्टर, मजिस्ट्रेट, मेम्बर, यूनिवर्सिटी, यूनीफार्म, रेडियो, रजिस्टर, रेल, रेडीमेड, लीडरशिप, लाटरी, वारण्ट, वोट, शर्ट, सूट, सिगनल, सिलैण्डर, सीमेण्ट, स्कूटर, स्वैटर।
फारसी भाषा अखबार, अमरूद, आराम, आवारा, आसमान, आतिशबाजी, आमदनी, कमर, कारीगर, कमीना, कुश्ती, खराब, खर्च, खजाना, खून, खुश्क, गवाह, गुब्बारा, गुलाब, जानवर, जेब, जगह, जमीन, जलेबी, तनख्वाह, तबाह, दर्जी, दवा, दरवाजा, दीवार, नमक, नेक, बीमार,मजदूर, मलाई, यार, लगाम, शेर, शराब, सूखा, सदू, सरे, सौदागर, सुल्तान, सुल्फा।
पुर्तगाली भाषा अचार, अगस्त, आलपिन, आलू, आया, अन्नानास, इस्पात, कनस्तर, कारबन, कमीज, कमरा, गमला, गोभी, गोदाम, चाबी, तौल्मित, नीलाम, पीपा, पादरी, पिस्तौल, फीता, बस्ता, बटन, बाल्टी, पपीता, प्याला, पतलून, मेज, लबादा, संतरा, साबुन।
तुर्की भाषा आका, उर्दू, एलची, काबू, खाँ, कैंची, काबू, कुर्की, कलंगी, कालीन, खंजर, खॉं, चाक, चिक, चेचक, चुगली, चोगा, तमगा, तमाशा, तोप, बारूद, बाबर्ची, बीबी, बेगम, बहादुर, मुगल, लाश।
फ्रैंच (फ्रांसीसी) भाषा अंग्रेज, काजू, कारतसू, कपून, टबेुल, मयेर, मार्शल, मीनू, रेस्ट्रां, सूप।
चीनी भाषा चाय, लीची, लोकाट, तूफान।
डच भाषा तुरुप, बम, चिड़िया, ड्रिल।
जर्मनी भाषा नात्सी, नाजीवाद, किंडर गार्टन।
जापानी भाषा रिक्सा, सायोनारा।
तिब्बती भाषा लामा, डाँडी।
रुसी भाषा जार, सोवियत, रूबल, स्पुतनिक, बुर्जुग।
यूनानी भाषा एकेडमी, एटम, एटलस, टेलिफोन, बाइबिल आदि शब्द।
संकर शब्द:
  • हिन्दी में वे शब्द जो दो अलग-अलग भाषाओं के शब्दों को मिलाकर बना लिये गये हैं, संकर शब्द कहलाते हैं।
  • अग्नि बोट अग्नि (संस्कृत) + बोट (अंग्रेजी)
  • टिकिट-घर टिकिट (अंग्रेजी) + घर (हिन्दी)
  • तपैदिक तप (फारसी) + दिक (अरबी)
  • नेकचलन नेक (फारसी) + चलन (हिन्दी)
  • नेक नीयत नेक (फारसी) + नीयत (अरबी)
  • बे-आब बे (फारसी) + आब (अरबी) 
  • बे-ढंगा बे (फारसी) + ढंगा (हिन्दी)
  • बे-कायदा बे (फारसी) + कायदा (अरबी)
  • विसातखाना विसात (अरबी) + खाना (फारसी)
  • सजा प्राप्त सजा (फारसी) + प्राप्त (हिन्दी)
  • रेलगाड़ी रेल (अंग्रेजी) + गाड़ी (हिन्दी)
  • उड़न तश्तरी उड़न (हिन्दी) + तश्तरी (फारसी)
  • कवि दरबार कवि (हिन्दी) + दरबार (फारसी)
  • बम वर्षा बम (अंग्रेजी) + वर्षा (फारसी)
  • जाँचकर्ता जाँच (फारसी) + कर्त्ता (हिन्दी)
रचना के आधार पर:
  • शब्दों की रचना प्रक्रिया के आधार पर हिन्दी भाषा के शब्दों के तीन भेद किये जाते हैं – (1) रूढ़ शब्द (2) यौगिक शब्द (3) योग रूढ़ शब्द

रूढ़ शब्द:

वे शब्द जो किसी व्यक्ति, स्थान, प्राणी और वस्तु के लिए वर्षों से प्रयुक्त होने के कारण किसी विशिष्ट अर्थ में प्रचलित हो गए हैं, ‘रूढ़ शब्द’ कहलाते हैं।

इन शब्दों की निर्माण प्रक्रिया भी पूर्णतः ज्ञात नहीं होती। इनका अन्य अर्थ भी नहीं होता तथा इन शब्दों के टुकड़े करने पर भी उन टुकड़ों के स्वतंत्र अर्थ नहीं होते।

जैसे – दूध, गाय, रोटी, दीपक, पेड़, पत्थर, देवता, आकाश, मेंढ़क, स्त्री।

यौगिक शब्द:

वे शब्द जो दो या दो से अधिक शब्दों के योग से बने हैं। उन शब्दों का अपना पृथक अर्थ भी हातेा है, किन्तु वे मिलकर अपने मूल शब्द से सम्बन्धित या अन्य किसी नए अर्थ का भी बोध कराते हैं, याैिगक शब्द कहलाते हैं।

समस्त संधि, समास, उपसर्ग तथा प्रत्यय से बने शब्द यौगिक शब्द कहलाते हैं।
जैसे – विद्यालय, प्रमेसागर, प्रतिदिन, दूधवाला, राजमाता, ईश्वर-प्रदत, राष्ट्रपति, महर्षि, कृष्णार्पण, चिड़ीमार।

योगरूढ़ शब्द:

वे यौगिक शब्द जिनका निर्माण अलग—अलग अर्थ देने वाले शब्दों के योग से होता हैं, किन्तु वे अपने द्वारा प्रतिपादित अनेक अर्थों में से किसी एक विशेष अर्थ के लिए ही प्रतिपादित होकर रूढ़ हो गए हैं, ऐसे शब्दों को योगरूढ़ शब्द कहते हैं।

जसै – पीताम्बर, शब्द ‘पीत’ आरै ‘अम्बर’ के योग से बना है, जो विष्णु के अर्थ में रूढ़ है। इसी प्रकार दशानन, हिमालय, जलज, जलद, गजानन, लम्बोदर, त्रिनेत्र, चतुर्भुज, घनश्याम, रजनीचर, विषधर, चक्रधर, षडानन, रावणारि, मुरारि।

प्रयोग के आधार पर:

प्रयोग के आधार पर हिन्दी में शब्दों के दो भेद किए जाते हैं। 1. विकारी 2. अविकारी या अव्यय शब्द

विकारी शब्द:

वे शब्द, जिनका रूप लिंग, वचन, कारक और काल के अनुसार परिवर्तित हो जाता है, उन्हें विकारी शब्द कहते हैं। विकारी शब्दों में समस्त संज्ञा, सवर्नाम, विशेषण तथा क्रिया शब्द आते हैं। इनका विस्तृत अध्ययन अलग प्रकरण में किया गया है।

अविकारी या अव्यय शब्द:

वे शब्द जिनके रूप में लिंग, वचन, कारक, काल के अनुसार कोई विकार उत्पन्न नहीं होता अर्थात् इन शब्दों का रूप सदैव वही बना रहता है। ऐसे शब्दों को अविकारी या अव्यय शब्द कहते हैं। अविकारी शब्दों में क्रियाविशेषण, सम्बन्ध – बोधक अव्यय, समुच्चय बोधक अव्यय तथा विस्मयादिबोधक अव्यय आदि शब्द आते हैं।


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