सविनय अवज्ञा आन्दोलन की प्रगति

सविनय अवज्ञा आन्दोलन की प्रगति

  • तमिलनाडृ में गांधीवादी राजनेता सी. राजगोपालाचारी ने निरुचेनगोड आश्रम से त्रिचुरापल्ली के वेदारण्यम् तक नमक यात्रा की।
  • मालाबार में नमक सत्याग्रह की शुरुआत वायकोम सत्याग्रह के नेता के. केलप्पड ने कालीकट से पेन्नार तक नमक यात्रा की।
  • असम के लोगों ने सिलहट से नोआखली तक की यात्रा की। इन सभी ने नमक कानून तोड़ा।
  • उड़ीसा में नमक सत्याग्रह गोपचन्द्र बन्धु चौधरी के नेतृत्व में बालासोर, कटक और पुरी में नमक आन्दोलन चलाया गया।
  • उत्तर-पश्चिम प्रांत में खान अब्दुल गफ्फार खां जिन्हें सीमांत गांधी भी कहा जाता है, के नेतृत्व में खुदाई खिदमतगार संगठन के सदस्यों ने सरकार का विरोध किया।
  • उन्होंने पठानों की क्षेत्रीय राष्ट्रवादिता के लिए तथा उपनिवेशवाद और हस्तशिल्प के कारीगरों को गरीब बनाने के विरूद्ध आवाज उठाई।
  • लाल कुर्ती दल के गफ्फार खां को ‘फख्रे अफगान’ की उपाधि दी गई।
    इन्होंने पश्तो भाषा में ‘पख्तून’ नामक एक पत्रिका निकाली जो बाद में ‘दशरोजा’ नाम से प्रकाशित हुई।
    गफ्फार खां को बादशाह खान भी कहा जाता है।
  • पेशावर में गढ़वाल राइफल के सैनिकों ने अपने साथी चन्द्रसिंह गढ़वाली के अनुरोध पर सविनय अवज्ञा आन्दोलनकारियों की भीड़ पर गोली चलाने के आदेश का विरोध किया।
  • 25 अप्रैल से 4 मई तक पेशावर पर जनता का शासन रहा, पेशावर पर पुनः कब्जा करने के लिए सरकार को हवाई हमले का सहारा लेना पड़ा।
  • गफ्फार खां ने 1946-47 ई. में पख्तूनिस्तान की मांग को लेकर सक्रिय आन्दोलन किया।

 

Also Read:   कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन

 

           पूर्वोत्तर क्षेत्र
  • भारत के पूर्वोत्त्र क्षेत्र मणिपुर में भी सविनय अवज्ञा आन्दोलन ने जोर पकड़ा।
  • नगाओं ने मदोनांग के नेतृत्व में आन्दोलन किया। इस आन्दोलन को जियालरंग आन्दोलन भी कहा जाता है। मदोनांग पर हत्या का आरोप लगाकर फांसी दे दी।
  • इसके बाद उसकी बहन ‘गैडिनल्यू’ ने नागा विद्रोह की कमान संभाली। इसे गिरफ्तार कर आजीवन कारावास की सजा दी।
  • जवाहर लाल नेहरू ने ‘गैडिनल्यू’ को ‘रानी की उपाधि दी तथा कहा ‘एक दिन ऐसा आएगा जब भारत इन्हें स्नेहपूर्ण स्मरण करेगा।’
  • जून 1930 को कांग्रेस और उससे सम्बद्ध संगठनों को गैर-कानूनी घोषित करते हुए पं. जवाहर लाल एवं महात्मा गांधी को गिरफ्तार कर लिया गया।
  • गांधीजी के गिरफ्तारी के विरोध में मुम्बई की सड़कों पर लगभग 50 हजार मिल मजदूरों ने उग्र प्रदर्शन किया।
    सरकार के दमन चक्र का सबसे भयानक रूप सरोजनी नायडू, इमाम साहब और मणिलाल के नेतृत्व में लगभग 25 हज़ार स्वयं सेवकों को धरासणा नामक कारखानें पर धावा बोलने से पूर्व लोहे की मंूठ वाली लाठियों से पीटा गया।
  • अमेरिका के ‘New Freeman’ अखबार में पत्रकार मिलर ने लिखा कि ‘संवाददाता के रूप में मैं पिछले 18 वर्ष से असंख्य नागरिक विद्रोह देखें दंगे, गली कूचों में मारकाट एवं विदोह देखे लेकिन धरासणा जैसा भयानक दृश्य मैंने अपने जीवन में कभी नहीं देखा।’
  • इस आंदोलन के समय कर न अदायगी का आंदोलन मुख्य रूप से बिहार में चलाया गया।
  • बिहार मं ‘चौकीदार कर न अदा करने’ का आंदोलन चलाया जो मुंगेर, सारण तथा भागलपुर के ज़िलों में काफी सफल रहा।
  • मुंगेर के ‘बरही’ नामक स्थान पर सरकार का शासन समाप्त हो गया।
  • गुजरात के खेड़ा, सूरत तथा बारदोली तहसील में कर न अदायगी का आंदोलन चलाया गया।
  • असम में छात्रों ने कनिंघम सरकुलर के विरोध में आंदोलन किया, इसके तहत छात्रों को अपने अभिभावकों से सद्व्यवहार का प्रमाणपत्र प्राप्त करना होता था।
  • आंदोलन के समय बच्चों ने वानर सेना तथा लड़कियों ने ‘माजेरी सेना’ का गठन किया।
  • गांधीजी की दाण्डी मार्च यात्रा के बारे में सुभाष चन्द्र बोस ने लिखा, महात्मा जी के दाण्डी मार्च की तुलना इल्वा से लौटने पर नेपोलियन के पेरिस मार्च और राजनीतिक सत्ता प्राप्त करने के लए मुसोलिनी के रोम मार्च से की जा सकती है।
  • 1930 के सविनय अवज्ञा आंदोलन के समय ही उत्तर-पश्चिम सीमा प्रांत के कबायलियों ने गांधीजी को ‘मलंग बाबा’ कहा।
  • बेलिस फोर्ड ‘सन् 1930 ई. की शरद् ऋतु तक विदेशी वस्त्रों का आयात पूर्व वर्ष के इन्हीं महीनों की आयात की तुलना में तिहाई या चौथाई के बीच रह गया था। बम्बई में अंग्रेज व्यापारियों की 16 मिलें बंद हो गई और 32 हज़ार मजदूर बेकार हो गये। इसके विपरीत, भारतीय व्यापारियों की मिलें दुगुनी गति से कार्य कर रही थी।’
सविनय अवज्ञा आन्दोलन की मुख्य विशेषता थी-
  • बड़े पैमाने पर पहली बार किसी आंदोलन में महिलाओं की मुख्य सहभागिता।
  • 5 मई 1930 को गांधीजी गिरफ्तार
  • स्त्रियों ने शराब और विदेशी कपड़ों की दुकानो पर धरना दिया। साथ ही गिरफ्तार होकर जेल गई।
  • सरकार की पहल पर एक अंग्रेज पत्रकार मि. सोलोकोम्ब, डॉ. जयकर और तेजबहादुर सप्रू ने गांधीजी से जेल में मिलकर समझौते के प्रयास किए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *