- सविनय अवज्ञा का तात्पर्य अंग्रेजी शासन के कानूनों की शान्तिपूर्ण ढंग से अवहेलना करना।
- महात्मा गांधी को सविनय अवज्ञा आन्दोलन के कार्यक्रम की घोषणा करने का अधिकार 1 फरवरी 1930 ई. की कांग्रेस कार्यकारिणी से मिल चुका था।
- 14-16 फरवरी 1930 ई. तक कांग्रेस कार्यकारिणी की एक बैठक में एक प्रस्ताव पारित करके गांधीजी को सविनय अवज्ञा आन्दोलन प्रारम्भ करने के सम्पूर्ण अधिकार दे दिए गए।
- गांधीजी ने अपने पत्र यंग इण्डिया के माध्यम से वायसराय लार्ड इरविन एवं ब्रिटिश प्रधानमंत्री रैम्जे मैकडोनाल्ड के सम्मुख 31 जनवरी 1930 ई. को 11 सूत्री मांगे रखी जो निम्नलिखित प्रकार की है-
1. पूर्ण नशाबन्दी (मद्यनिषेध) लागू किया जाय।
2. मुद्रा विनियम में एक रुपया एक शिलिंग चार पेंस के बराबर माना जाए।
3. मालगुजारी (भू-राजस्व) 1/2 किया जाए, उसे विधानमण्डल के अधीन रखा जाए।
4. नमक कर समाप्त किया जाए।
5. सैनिक व्यय में 50 प्रतिशत की कमी की जाए।
6. बड़े-बड़े अधिकारियों के वेतन कम से कम आधे हो।
7. विदेशी कपड़ों पर विशेष आयात कर लगाया जाए।
8. तटकर विधेयक लाया जाए।
9. हत्या या हत्या की चेष्टा में दण्डित व्यक्तियों को छोड़कर सभी राजनीतिक बन्दियों को रिहा कर दिया जाए एवं सभी मुकदमें वापस ले लिए जाये।
10. गुप्तचर विभाग को समाप्त किया जाए और
11. भारतीयों को आत्मरक्षा के लिए हथियान रखने का अधिकार प्रदान किया जाए। - वायसराय इरविन ‘मुझे दुःख है कि गांधीजी वह रास्ता अपना रहे हैं जिसमें कानून और सार्वजनिक शान्ति भंग होना आवश्यक है।’
- गांधीजी ने प्रत्युत्तर में कहा ‘मैंने घुटने टेककर रोटी मांगी थी परन्तु मुझे उसके स्थान पर पत्थर मिला। ब्रिटिश राष्ट्र केवल शक्ति के सामने झुकता है। इसलिए वायसराय के पत्र से मुझे कोई आश्चर्य नहीं हुआ। भारत के भाग्य में तो जेल खानों की शान्ति ही एकमात्र शान्ति है। सम्पूर्ण भारत एक जेनखाना है। मैं उन ब्रिटिश कानूनों का अर्थ समझता हूं और मैं उस शोकमय शान्ति को भंग करना चाहता हूं जो राष्ट्र के दिल को कष्ट दे रही हैं।’
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दाण्डी मार्च
- 12 मार्च 1930 – 6 अप्रैल 1930 ई. यानि 24 दिन।
- महात्मा गांधी ने 12 मार्च 1930 ई. को अपने आश्रम (अहमदाबाद) से अपना ऐतिहासिक दाण्डी (नौसारी ज़िला) से मार्च प्रारम्भ किया।
- गांधीजी ‘ब्रिटिश साम्राज्य एक अभिशाप है, मैं इसे समाप्त करके रहूंगा।’
- 200 मील लम्बी दूरी पैदल चलकर 24 दिनों में पूरी की गई। 358 किमी.
- 5 अप्रैल को गांधीजी अपने कार्यकर्त्ताओं के साथ डाण्डी पहुंचे। 6 अप्रैल को डाण्डी समुद्र तट पर गांधीजी ने स्वयं अपने हाथ से नमक बनाकर ब्रिटिश सरकार के नमक कानून को तोड़ दिया। इस प्रकार नमक कानून तोड़कर गांधीजी ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन का श्रीगेणश किया।
सविनय अवज्ञा आन्दोलन का कार्यक्रम
- नमक कानून का उल्लंघन कर स्वयं द्वारा नमक बनाया जाए।
- सरकारी सेवाओं, अदालतों, शिक्षा केन्द्रों एवं उपाधियों का बहिष्कार किया जाए।
- महिलाएं स्वयं शराब, अफीम एवं विदेशी कपउे़ की दुकानों पर जाकर धरना दे।
- समस्त विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करते हुए उन्हें जला दिया जाए।
- कर अदायगी को रोका जाए।
- 4 मई को गांधीजी को गिरफ्तारी के बाद कर बन्दी को भी आन्दोलन के कार्यक्रम में सम्मिलित कर लिय गया।