सामान्य विज्ञान के महत्त्वपूर्ण और परीक्षाओं में आए प्रश्नों का संग्रह-1, पढ़ें
विज्ञान के महत्त्वपूर्ण प्रश्न
प्रकाश वर्ष दूरी मापने की इकाई है।
सूर्य के चारो औार चक्कर लगाते हुए ग्रह का वेग बदलता रहता है। जब ग्रह सूर्य के समीप होता है तो उसका वेग अधिक होता है, तो वेग न्यूनतम होता है।
किसी वस्तु का द्रव्यमान सदैव स्थिर रहता है जबकि इसका भार भिन्न-भिन्न स्थानों पर भिन्न होता है। पृथ्वी तल पर वस्तु का भार भूमध्य रेखा पर सबसे कम और ध्रुवों पर सबसे अधिक होता है।
हाइग्रोमीटर से वायु की आर्द्रता मापी जाती है।
प्रकाश के प्रकीर्णन के कारण आकाश का रंग नीला दिखाई देता है।
ध्वनि तरंगे निर्वात में गमन नहीं कर सकती।
किसी वस्तु को जब द्रव में डुबोया जाता है तो उसके भार में कमी उसके द्वारा विस्थापित किए द्रव के भार के बराबर होती है।
जब कोई सेना की टुकड़ी पुल को पार करती है तो सैनिकों को कदम से कदम न मिलाकर चलने की सलाह दी जाती है क्योंकि इससे अनुनाद के कारण पुल टूटने का खतरा रहता है।
किसी वस्तु के द्रव्यमान व वेग का गुणनफल को संवेग कहते हैं।
घोड़ा-गाड़ी को न्यूटन के तीसरे नियम के अनुसार आगे वस्तुओं को अपनी ओर खींचती है।
गुरुत्व केन्द्र
किसी वस्तु का गुरुत्व केन्द्र वह बिन्दु है, जहां वस्तु का समस्त भार कार्य करता है।
पीसा की मीनार तिरछी होते हुए भी नहीं गिरती, क्योंकि उसके गुरुत्व केन्द्र से होकर जाने वाले रेखा आधार से होकर गुजरती है।
पहाड़ों पर चढ़ते समय व्यक्ति आगे की ओर झुक जाता है, ताकि उसके गुरुत्व केन्द्र से होकर गुजरने वाली रेखा उसके पैरों के नीचे से होकर जाए।
कार्य की माप वस्तु लगाए गए बल व बल की दिशा में हुए विस्थापन के गुणनफल के बराबर होता है।
कार्य व ऊर्जा का मात्रक जूल होता है।
पृथ्वी द्वारा सूर्य का चक्कर लगाने में किया गया कार्य शून्य होता है।
चाबी भरी हुई घड़ी में स्थितिज ऊर्जा संचित रहती है।
तनी हुई रबर की पट्टी में प्रत्यास्थ स्थितिज ऊर्जा होती है।
मोमबत्ती में रासायनिक ऊर्जा प्रकाश व ऊष्मा में परिवर्तित होती है।
गुरुत्व के अंतर्गत गिरते पिण्ड की कुल यांत्रिक ऊर्जा संरक्षित रहती है।
समान गहराई पर द्रव का दाब चारों ओर समान होता है।
पहाड़ों पर खाना देर से पकता है क्योंकि वहां वायुमण्डलीय दाब कम होने के कारण जल का क्वथनांक घट जाता है।
वाशिंग मशीन अपकेन्द्रण के सिद्धांत पर कार्य करती है।
किसी वस्तु द्वरा एक सेकेण्ड में किए गए कम्पनों की संख्या को ‘आवृत्ति’ कहते हैं।
एक कम्पन करने में लिया गया समय आवर्तकाल कहलाता है।
हम उन्हीं ध्वनि तरंगों को सुन सकते हैं जिनकी आवृति 20 कम्पन प्रति सेकेण्ड से 20,000 कंपन प्रति सेकेण्ड के बीच होती है।
जिन तरंगों की आवृत्ति 20 कंपन प्रति सेकेण्ड से कम होती है अवश्रव्य तरंगे कहलाती है, वहीं 20,000 कंपन प्रति सेकेण्ड से अधिक की तरंगों को पराश्रव्य तरंगें कहते है।
सर्वप्रथम पराश्रव्य तरंगे गाल्टन द्वारा एक सीटी से उत्पन्न की गई थी।