1773 का रेग्युलेटिंग एक्ट Regulating act

1773 का रेग्यूलेटिंग एक्ट Regulating act
  • लॉर्ड नार्थ ने संसद में कम्पनी के ऋण के प्रार्थना-पत्रों की जांच के लिए संसद की एक प्रवर समिति नियुक्त की। इसका अध्यक्ष वरगायन था।
  • दो अधिनियम पारित किएः
  1. कम्पनी को 4 प्रतिशत की ब्याज पर 14 लाख पौण्ड़ कुछ शर्तो पर ऋण दिया गया।
  2. रेग्यूलेटिंग एक्ट पारित
रेग्यूलेटिंग एक्ट के प्रावधान
  • इंग्लैण्ड में स्वामियों के अधिकरण में वोट देने का अधिकार केवल उन लोगों दिया गया जो चुनाव से कम से कम एक वर्ष पूर्व एक हजार पौंड के शेयर के स्वामी रहे हो और यह निश्चय हुआ कि कोर्ट ऑफ डायरेक्टर्स चार वर्ष के लिए चुना जाएगा और डायरेक्टर्स की संख्या 24 होगी जिसमें से 25 प्रतिशत प्रतिवर्ष अवकाश प्राप्त करेंगे।
  • डायरेक्टरों को यह आदेश हुआ कि वे वित्त विभाग के सामने भारत प्रशासन तथा राजस्व सम्बन्धी राजसचिव के सन्मुख सैनिक और असैनिक प्रशासन सम्बन्धी सभी पत्र-व्यवहार प्रस्तुत करें। इस प्रकार पहली बार ब्रिटिश मंत्रिमंडल को भारतीय मामलों का नियंत्रण करने का अधिकार दिया गया यद्यपि यह अधिकार अपूर्ण था।
  • बंगाल में एक प्रशासन मंडल बनाया गया जिसमें गवर्नर जनरल ‘अध्यक्ष’ तथा चार पार्षद नियुक्त किए गए।
  • इस मंडल में बहुमत से निर्णय होते थे और अध्यक्ष केवल मत बराबर होने की अवस्था में ही निर्णायक मत का प्रयोग कर सकता था। कोरम या गणपूर्ति तीन का था।
  • प्रथम गवर्नर जनरल ‘वारेन हेस्टिंग्स तथा पार्षद ‘फिलिप फ्रांसिस, क्लेवरिंग, मॉनसन तथा बरवैल’ का नाम तो अधिनियम में ही लिख दिया।
  • ये लोग पांच वर्ष के लिए नियुक्त किए गए और केवल कोर्ट ऑफ डायरेक्टर्स की सिफारिश पर केवल ब्रिटिश सम्राट द्वारा ही हटाये जा सकते थे। भावी नियुक्तियां कम्पनी द्वारा की जानी थी।
  • सपरिषद गवर्नर जनरल को बंगाल में फोर्ट विलियम की प्रेसिडेन्सी के सैनिक तथा असैनिक शासन का अधिकार दिया गया तथा उसे कुछ विशेष मामलों में मद्रास तथा बम्बई की प्रेसिडेन्सियों का अधीक्षण भी करना था।
  • इस अधिनियम में एक सर्वोच्च तथा तीन छोटे जजों वाले सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना की।
  • इस सर्वोच्च न्यायालय को साम्य न्याय तथा देश विधि के न्यायालय, नौसेना तथा धार्मिक न्यायालय के रूप में कार्य करना था।
  • सभी अंग्रेज प्रजा, चाहे अंग्रेज हो अथवा भारतीय सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकती थी। इस न्यायालय को प्राथमिक तथा अपील के अधिकार की अनुमति थी।
  • यह उच्चतम न्यायालय 1774 में गठित किया गया और सर एलीजाह इम्पे मुख्य न्यायाधीश तथा चेम्बर्ज, लिमैस्टर और हाइड़ छोटे न्यायाधीश नियुक्त हुए।

मुख्य दोष

  • गवर्नर जनरल तथा उसकी परिषद द्वारा बनाए गए कानूनों को न्यायालय में लागू करना उच्चतम न्यायालय की अपनी इच्छा पर निर्भर था।
  • प्रशासनिक तथा न्यायिक विभाग के अधिकार क्षेत्रों की अस्पष्टता इस अधिनियम का एक महान दोष था। गवर्नर जनरल को युद्ध और शांति के मसलों में मद्रास तथा बंबई की प्रेसिडेंसियों के नियंत्रण एवं देखरेख का अधिकार दिया।
1781 का संशोधनात्मक अधिनियम Amending Act

न्यायालय का अधिकार क्षेत्र स्पष्ट कर दिया गया तथा उसे कलकत्ता के सभी निवासियों पर अधिकार दे दिया गया तथा यह आदेश किया गया कि प्रतिवादी का निजी कानून लागू किया जाएगा।
कम्पनी के पदाधिकारियों को उच्चतम न्यायालय के अधिकार क्षेत्र से बाहर कर दिया गया।

भारत का संवैधानिक विकास क्रमानुसार पढ़ें:

भारत सरकार अधिनियम, 1858

पिट्स इंडिया एक्ट 1784

चार्टर एक्ट 1813, 1833, 1853

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *