राव जैतसी

राव लूणकरण के बाद बीकानेर का शासक बना।
इस समय भारत पर मुगल बादशाह बाबर का साम्राज्य स्थापित हो गया था।

बाबर के पुत्र कामरान ने 1534 ई. में भटनेर दुर्ग पर आक्रमण कर, अपने अधिकार में कर​ लिया।
राव जैतसी ने 26 अक्टूबर, 1534 को कामरान पर आक्रमण किया, अचानक हुए इस आक्रमण से मुगल सेना दुर्ग छोड़कर भाग खड़ी हुई।
राव जैतसी की इस विजय का वर्णन बीठूं सूजा कृत ‘राव जैतसी रो छंद’ नामक ग्रंथ में मिलता है।
बीकानेर के चिंतामणि श्री चौबीसटाजी के जैन मंदिर के मूलनायक की प्रतिमा के शिलालेख से भी इस युद्ध का वर्णन मिलता है।

1527 ई. में खानवा युद्ध में योगदान

1527 ई. में बाबर और राणा सांगा के मध्य हुए खानवा युद्ध में उसने अपने पुत्र कुंवर कल्याणमल को राणा को सैनिक सहायता प्रदान की।

पहोबा/साहेबा का युद्ध (1541—42 ई.)

किस—किस के मध्य हुआ?
बीकानेर शासक राव जैतसी और मारवाड़ के शासक मालदेव के मध्य।

कब हुआ?
पहोबा/साहेबा का युद्ध 1541—42 ई. में हुआ।

युद्ध का प्रमुख कारण
मालदेव की साम्राज्यवादी नीति

परिणाम?
राव जैतसी की पराजय हुई और वह युद्ध में मारा गया।

मारवाड़ की सेना का नेतृत्व किसने किया?
सेनानायक पूंजा ने

युद्ध में पराजय के बाद उसका पुत्र कल्याणमल शेरशाह की शरण में चला गया।

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