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राष्ट्रकूट राजवंश

 

इतिहास के साधनः

1. दन्तिदुर्ग के एलोरा तथा सामन्तगढ के ताम्रपत्र लेख।
2. गोविन्द तृतीय के राधनपुर, वनिदिन्दोरी तथा बडौदा के लेख।
3. अमोघवर्ष प्रथम का संजन अभिलेख ।
4. इन्द्रतृतीय का कमलपुर अभिलेख
5. गोविन्द चतुर्थ के काम्बे तथा संगनी के लेख।
6. कृष्ण तृतीय के कोल्हापुर, देवली तथा कर्नाट के लेख।

राष्ट्रकूट काल में कन्नड तथा संस्कृत भाषा में अनेक ग्रंथों की रचना हुई थी।
जिनसेन का आदिपुराण, महावीराचार्य का गणितसार संग्रहण, अमोघवर्ष का कविराज मार्ग आदि उल्लेखनीय है।

उत्पत्ति तथा मूलस्थान

अल्तेकर, नीलकण्ठ शास्त्री, एच.सी.राय, एके मजूमदार आदि विद्वानों का विचार है कि राष्ट्रकूट शब्द किसी जाति का सूचक न होकर पद का सूचक है। वस्तुतः राष्ट्रकूट पहले प्रशासनिक अधिकारी थे।
प्राचीनकाल के अभिलेखों में राष्ट्रकूट नामक पदाधिकारियों का उल्लेख मिलता है।
अशोक के लेखों में ‘रठिक’ नामक पदाधिकारियों का उल्लेख है।
सातवाहन युगीन नानाघाट के लेख में महारठी त्रनकयिरों का उल्लेख है।
हाथीगुम्फा लेखों में ‘रठिक’ नामक पदाधिकारियों का उल्लेख है।
राष्ट्रकूट मूलतः लट्टलूर ‘महाराष्ट्र के उस्मानाबाद’ के निवासी थें।
उनकी मातृभाषा कन्नड थी।
राष्ट्रकूट बादामी के चालुक्यों के सामन्त थे।

मान्यखेट का राष्ट्रकूट वंश

कृष्ण प्रथम
गोविन्द तृतीय 773-80 ई.
ध्रुव ‘धारावर्ष’ 780-93 ई.
गोविन्द तृतीय 793-814
अमोघवर्ष 814-78
कृष्ण द्वितीय 878-914 ई.
इन्द्र तृतीय 914 ई. से 939 ई.
कृष्ण तृतीय 939-967 ई.

खोट्टिग

कर्क द्वितीय 972-74 ई.

राष्ट्रकूटकालीन शासन-प्रबन्ध

धर्म

साहित्य
कला
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