- राजस्थान कृषि प्रधान राज्य है।
- लोग जीवन- स्तर के लिए कृषि पर निर्भर हैं। कृषि विकास सिंचाई पर निर्भर करता है।
- राजस्थान के पश्चिम भाग में मरूस्थल है।
- मानसून की अनिश्चितता के कारण “कृषि मानसून का जुआ” जैसी बात कई बार चरितार्थ होती है।
राजस्थान में सिंचाई के प्रमुख साधन हैं –
- नहरें, तालाब, कुएं और नलकूप है।
- सबसे अधिक सिंचाई नहरें और कुंओ से होती है। कुएं और नलकूप सिंचाई के सर्वोत्तम साधन है।
- कुल सिंचित प्रदेश का लगभग 60 प्रतिशत भाग पर सिंचाई कुओं व नलकूपों से होता है।
- कुएं और नलकूप द्वारा सिंचाई के लिए पानी का मीठा होना, जल स्तर का गहरा नहीं होना तथा उपजाऊ भूमि का होना आवश्यक है।
- नहरों द्वारा सतही जल का सबसे अधिक उपयोग होता हैं।
- राज्य में सतत् प्रवाही नदियों के अभाव में नहरों द्वारा सिंचित क्षेत्र कम है।
- राज्य के दक्षिण-पूर्वी, पठारी एवं पथरीले भागों में तालाबों द्वारा सिंचाई की जाती है।
- राजस्थान की बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं और सिंचाई की वृहद एवं मध्यम परियोजनाओं को आधुनिक भारत के मंदिर की संज्ञा दी गई है।
- बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं के उद्देश्य विद्युत उत्पादन, बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई, पेयजल, मछली पालन, वृक्षारोपण, अकाल और सूखे के समय जल की सुविधा, क्षेत्रीय आर्थिक विकास आदि निर्धारित किये गये हैं।
राजस्थान की प्रमुख बहुउद्देशीय, वृहद, मध्यम एवं लघु सिंचाई परियोजनाएं
भांखड़ा-नांगल बहुउद्देशीय परियोजना –
- यह भारत की सबसे बड़ी बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना है। यह बांध सतलज नदी पर पंजाब के होशियारपुर ज़िले में बनाया गया है।
- यह परियोजना पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की संयुक्त परियोजना है।
- भांखड़ा-नांगल में राजस्थान का हिस्सा 15.2 प्रतिशत है।
- भांखड़ा मुख्य नहर की सिंचाई क्षमता 14.6 लाख हैक्टेयर है जिसमें राजस्थान का हिस्सा 2.3 लाख हैक्टेयर है।
- भांखड़ा-नागल से राजस्थान के गंगानगर जिले में सिंचाई सुविधा और बीकानेर और रतनगढ़ में बिजली की आपूर्ति है।
चम्बल परियोजना –
- चम्बल राजस्थान की सतत् प्रवाही नदी है। चम्बल पर राजस्थान और मध्यप्रदेश राज्यों ने संयुक्त रूप से चम्बल बहुउद्देशीय परियोजना का निर्माण किया।
- यह देश की प्रमुख सिंचाई और विद्युत परियोजनाओं में से है।
- चम्बल परियोजना में राजस्थान का हिस्सा 50 प्रतिशत है।
- चम्बल परियोजना के पहले चरण में चौरासीगढ़ और मानपुरी (मध्यप्रदेश) के पास गांधी सागर बांध तथा कोटा में दुर्ग के पास कोटा सिंचाई बाँध बनाया गया।
- दूसरे चरण में चूलिया झरने के पास राणा प्रताप सागर बांध तथा तीसरे चरण में जवाहर सागर बांध का निर्माण किया गया।
- चम्बल परियोजना से राजस्थान के कोटा और बून्दी जिलों में सिंचाई होती है।
माही बजाज सागर परियोजना –
- माही नदी पर बनी माही बजाज सागर परियोजना राजस्थान और गुजरात राज्यों की संयुक्त परियोजना है।
- माही नदी पर बोरखेड़ा गाँव के समीप माही बजाज सागर बाँध का निर्माण किया गया।
- इस परियोजना के अन्तर्गत बांध, विद्युत गृह और नहरों के निर्माण से बांसवाड़ा और डूंगरपुर के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में आर्थिक और सामाजिक विकास में गुणात्मक परिवर्तन आया है।
जाखम सिंचाई परियोजना –
- जाखम माही की सहायक नदी है।
- प्रतापगढ़ में जाखम नदी पर जाखम बाँध बनाया गया है।
- इस सिंचाई परियोजना से उदयपुर, चित्तौड़गढ़ और प्रतापगढ़ में सिंचाई सुविधा मुहैया है।
बीसलपुर सिंचाई परियोजना –
- टोंक जिले के बीसलपुर गाँव में बनास नदी पर बाँध का निर्माण किया गया है।
- राजस्थान के जयपुर, अजमेर, ब्यावर, किशनगढ़, टोंक आदि की पेयजल और सिंचाई की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए बीसलपुर परियोजना महत्वपूर्ण है।
सोम, कमला-अम्बा सिंचाई परियोजना –
- दक्षिणी राजस्थान के जनजाति बहुल बाँगड क्षेत्र की समृद्धि के लिए सोम कमला अम्बा सिंचाई परियोजना भाग्य रेखा है।
- सोम नदी पर कमला अम्बा गाँव के समीप बांध का निर्माण किया गया है।
- इससे डूंगरपुर और उदयपुर के अनेक गाँवों में सिंचाई सुविधा उपलब्ध है।
मेजा बाँध परियोजना –
- भीलवाड़ा में माण्डलगढ़ तहसील के मेजा गंाव के निकट कोठारी नदी पर मेजा बांध का निर्माण किया।
- मेजा बांध भीलवाड़ा का प्रमुख पेयजल स्रोत है।
- इससे भीलवाड़ा के आसपास के गाँवों में सिंचाई सुविधा भी मुहैया होती है।
- मेजा बाँध क्षेत्र में गर्मियों में जल सूख जाने के कारण खीरा, कंकड़ी, तरबूज, खरबूज की खेती होती है।
सिद्ध मुख परियोजना –
- हनुमानगढ़ जिले की नोहर व भादरा तहसीलंे तथा चूरू जिले की तारानगर व सादुलपुर तहसीलों में सिंचाई सुविधा उपलब्ध होती है।
- इस परियोजना में राजस्थान रावी व्यास नदियों के अतिरिक्त पानी का उपयोग करेगा जो उसके हिस्से में दिसम्बर 1981 में पंजाब, हरियाणा व राजस्थान के बीच हुए एक समझौता के अन्तर्गत मिला है।
नर्मदा परियोजना –
- सरदार सरोवर नर्मदा परियोजना गुजरात राज्य की वृहद परियोजना है।
- नर्मदा जल में राजस्थान का हिस्सा भी है।
- इस परियोजना से राजस्थान के जालौर और बाड़मेर जिलों के गंावों में सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी।
व्यास परियोजना –
- यह पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की संयुक्त परियोजना है।
- परियोजना का मुख्य उद्देश्य रावी, व्यास, सतजल नदियों के जल का उपयोग करना है।
- राजस्थान में इस परियोजना से इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना को स्थायी रूप से पानी की आपूर्ति की जाती है।
इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना –
- बीकानेर रियासत के मुख्य अभियन्ता कंवर सेन ने हिमाचल के पानी को थार मरूस्थल तक लाने की अनूठी योजना का प्रारूप वर्ष 1948 में भारत सरकार के विचारार्थ रखा। यही योजना इन्दिरा गाँधी नहर के लिए आधार बनी।
- इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना का उद्गम स्थल पंजाब में सतलज और व्यास नदियों के संगम स्थल पर स्थित ’हरिके बैराज’ से है।
- यह परियोजना हरिके बैराज के बायीं और से निकाली गई है।
- इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना की कुल लम्बाई 649 किलोमीटर रखी गई।
- इसे राजस्थान की मरूगंगा और थार मरूस्थल की जीवन रेखा भी कहा जाता है।
- यह परियोजना 2 नवम्बर 1984तक राजस्थान नहर परियोजना का नाम से विख्यात थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी के निधन के बाद परियोजना का नाम बदलकर उनकी स्मृति में इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना किया गया।
- इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना एशिया की सबसे बड़ी मानव निर्मित नहर परियोजना है।
- इसकी गिनती विश्व की सबसे लम्बी एवं बहुउद्देशीय सिंचाई परियोजनाओं में होती है।
- उद्देश्य – मरूस्थल में सिंचाई, मानव व पशुओं के लिए पीने का पानी, पशुपालन, वृक्षारोपण, विद्युत उत्पादन, पर्यटन विकास, मण्डी विकास, पशु चारा विकास, राष्ट्रीय शुष्क उद्यान आदि रखे गये हैं।
- इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना से लाभान्वित जिलों में गंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर, बाड़मेर, जैसलमेर, चूरू, जोधपुर सम्मिलित हैं।
जवाई बांध –
- पश्चिमी राजस्थान में लूनी की सहायक जवाई नदी पर एरिनपुरा के निकट जवाई बाँध बनाया गया है।
- इस बांध से जोधपुर, सुमेरपुर और पाली शहर को पेयजल आपूर्ति तथा पाली, जालौर जिलों में सिंचाई होती है।
पांचना परियोजना –
- करौली जिले के गुडला के समीप पाँच नदियों यथा बरखेडा, भद्रावती, माची, भैसावट, अटा के संगम पर बाँध बनाया गया है। पांचना परियोजना से करौली जिले की टोडाभीम, नादौती, हिण्डौन तथा सवाई माधोपुर में गंगापुर तहसील में सिंचाई सुविधा मुहैया है।
मोरेल बांध –
- यह बांध दौसा जिले के लालसोट कस्बे से 16 किलोमीटर दूर मोरेल नदी पर मिट्टी से बनाया गया है।
अन्य परियोजनाएं –
- सोम कागदर – उदयपुर
- सावन -भादों – कोटा
- सोम-कमला-अम्बा – डूंगरपुर
- बांकली – जालौर व पाली
- अड़वाना – शाहपुरा, भीलवाड़ा
- पीललड़ा लिफ्ट सिंचाई व इंदिरा लिफ्ट सिंचाई परियोजना – सवाई माधोपुर
- छापी – झालावाड़
- बिलास – बारां
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