राजस्थान कृषि प्रसंस्करण, कृषि व्यवसाय एवं कृषि निर्यात प्रोत्साहन नीति-2019

  • मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने 17 दिसंबर, 2019 को प्रदेश में ‘राजस्थान कृषि प्रसंस्करण, कृषि व्यवसाय एवं कृषि निर्यात प्रोत्साहन नीति-2019 जारी की और किसान कल्याण कोष का गठन किया।

नीति का उद्देश्य

  • इस नीति द्वारा राज्य को प्रसंस्कृत कृषि उत्पादों का उत्पादन केन्द्र बनाने एवं देश-विदेश के निवेशकों, प्रसंस्करणकर्ताओं तथा निर्यातकों को निवेश के लिए पसंदीदा केन्द्र विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है।

इस नीति के मुख्य उद्देश्य निम्नानुसार हैं-

  1. समूह आधारित उत्पादन एवं कृषि प्रसंस्करण की अवधारणा को प्रोत्साहित करना।
  2. फार्म स्तर पर आधारभूत ढांचे का संवर्धन करना।
  3. सुदृढ़ कृषि एवं औद्योगिक क्षेत्र के लिए अग्रवर्ती-पश्चवर्ती कड़ी को प्रोत्साहित करना।
  4. आपूर्ति शृंखला को सुदृढ़ कर फसलोत्तर हानियों को कम करना।
  5. कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र की मूल्य एवं आपूर्ति श्रृंखला में पूंजी निवेश को गति देना।
  6. पूंजी परिसंचरण, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण एवं तात्कालिक उपायों द्वारा कृषि प्रसंस्करण क्षेत्र के कार्यकलापों में अभिवृद्धि कर उनकी क्षमता में वृद्धि करना।
  7. अंतर्देशीय व अंतर्राष्ट्रीय बाजार में राज्य के ताजा फल व सब्जियों, संजातीय खाद्य सामग्री, जैविक उत्पाद एवं मूल्य संवर्धित कृषि उत्पादों की पहुंच बढ़ाना एवं राज्य को एक मजबूत ब्राण्ड के रूप में स्थापित करना।
  8. फूड सेफ्टी एंड स्टैण्डर्ड अथोरिटी ऑफ इंडिया एवं आयातक देशों द्वारा निर्धारित खाद्य सुरक्षा एवं स्वच्छता के मादण्डों की पूर्ण पालना करने के लिए कृषि उद्योगों को सहायता प्रदान करना।
  9. बेरोजगार व्यक्तियों को स्थाई रोजगार के अवसर सुनिश्चित करने हेतु संस्थागत प्रशिक्षण द्वारा उनमें क्षमता निर्माण एवं कौशल उन्नयन करना तथा खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्रों में कुशल मानव शक्ति की मांग व आपूर्ति के अंतर को कम करना।
  10. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के समीप तथा डीएमआईसी के कैंचमेंट क्षेत्र में सहयोगी आधारभूत ढांचा सृजित कर राज्य को प्रचालन केन्द्र के रूप में विकसित करना।
  11. त्वरित एवं जीवंत कृषि व्यवसाय क्षेत्र विकास के लिए उचित नीतिगत उपाय प्रारंभ करना।

योजना की क्रियान्वयन अवधि

  • राजस्थान कृषि प्रसंस्करण, कृषि व्यवसाय एवं कृषि निर्यात प्रोत्साहन नीति-2019 योजना राजस्थान सरकार के राजपत्र में जारी अधिसूचना के प्रकाशन की तिथि से प्रभावी होगी एवं 31 मार्च 2024 तक प्रभावी रहेगी।
  • कृषि विपणन या कृषि व्यवसाय से तात्पर्य ऐसे व्यवसाय से है जो अधिकतर राजस्व कृषि से, जिसमें कृषि उत्पादों का प्रसंस्करण, निर्माण तथा वितरण सम्मिलित है, से प्राप्त करता है।
  • कृषि प्रसंस्करण से तात्पर्य ऐसी प्रक्रिया से है जिसमें कृषि उत्पादों, कृषि अवशिष्ट और मध्यवर्ती कृषि उत्पादों के उपयोग से इस प्रकार उत्पाद तैयार होते हैं एवं उससे अंतिम कृषि उत्पाद की प्रकृति में परिवर्तन होता हो।
  • फूड पार्क से तात्पर्य ऐसा क्षेत्र जहां कृषक, संग्रहणकर्ता, प्रसंस्करणकर्ता, वितरक एवं खुदरा विक्रेताओं को समूह में एक जगह एकत्रित कर कृषि उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराया जाता है।
  • खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र से तात्पर्य ऐसे क्षेत्र से है जिसमें उद्यमी ऐसी विनिर्माण प्रक्रिया में संलिप्त रहते है। जिसमें कृषि, पशुपालन या मत्स्य से प्राप्त कच्चे माल को प्रसंस्कृत कर मनुष्य के खाने योग्य खाद्य पदार्थों में परिवर्तित किया जाता हो।

नीति की प्रमुख विशेषताएं

  • प्रदेश में लागू इस नीति के माध्यम से एक विकसित कृषि प्रसंस्करण क्षेत्र द्वारा ही फार्म स्तर पर किसानों को मिलने वाले मूल्य में वृद्धि, छीजत में कमी, सुनिश्चित मूल्य संवर्धन, फसल विविधिकरण एवं इससे अकुशल, अर्धकुशल व कुशल शक्ति के लिए रोजगार सृजित कर निर्यात से आय भी सृजित किया जाना संभव है।
  • कृषि के समग्र विकास में कृषि प्रसंस्करण के महत्व को देखते हुए राज्य में कृषि आधारित उद्योगों के विकास को बढ़ावा देने के साथ आपूर्ति श्रृंखला तथा मूल्य संवर्धन के बुनियादी ढांचों के विकास करने के लिए राज्य सरकार दृढ़ संकल्पित है।

नीति की प्रगति

  • प्रदेश में लागू इस नीति से कृषि क्षेत्र में विकास देखने को मिल रहा है। कोरोना महामारी की विपरीत परिस्थितियों के बावजूद प्रदेश में 617 एग्रो प्रोजेक्ट स्थापित किए जा रहे हैं, इसके लिए 1255 करोड़ रुपये का निवेश होगा। इसके लिए राज्य सरकार ने 338 प्रोजेक्ट पर 119 करोड़ रुपये की सब्सिडी मंजूर की है।
  • इस नीति के तहत पूंजीगत, ब्याज, बिजली प्रभार एवं भाड़ा अनुदान प्रोत्साहन तथा ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में कृषि भूमि के रूपान्तरण जैसी रियायतों की वजह से किसान एवं उद्यमी इसमें अपनी रूचि दिखा रहे हैं।
  • प्रदेश में वेयर हाउस एवं केटल फीड उद्यमों के साथ तिलहन, दलहन, मसाले, मूंगफली, कपास, दूध एवं अनाज प्रोसेसिंग की इकाइयां स्थापित की गई है। राज्य में 88 किसानों को 39 करोड़ 60 लाख रुपये की सब्सिडी स्वीकृत की गई है, जिन्होंने 89 करोड़ रुपये का निवेश किया है। गैर-कृषक उद्यमियों ने 496 करोड़ रुपये निवेश कर 250 इकाइयां स्थापित की हैं, जिन पर राज्य सरकार की ओर से 79 करोड़ 69 लाख रुपये सब्सिडी दी गई है। शेष अन्य प्रोजेक्ट्स के लिए बैंकों से लोन स्वीकृत होकर कार्य चालू हो गया है, जिन्हें शीघ्र ही सब्सिडी उपलब्ध कराई जाएगी।

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