राजस्थान की प्रमुख मीठे और खारे पानी की झीलें

  • राजस्थान में खारे व मीठे दोनों प्रकार के पानी के अनेक झीलें हैं।
खारे पानी की झीलें –
  • राजस्थान के पश्चिमी मरुस्थली क्षेत्र तथा अंतः प्रवाह वाले क्षेत्रों में अनेक खारे पानी की झीलें हैं। इनमें सांभर, डीडवाना, पचपद्रा और लूनकरनसर झीलें प्रमुख हैं।
सांभर झील
  • जयपुर जिले में जयपुर से लगभग 65 कि.मी. पश्चिम में सांभर झील न केवल राजस्थान अपितु भारत की प्रमुख खारे पानी की प्रमुख झील है। इस झील के पानी से नमक उत्पादित होता है। झील का कुल क्षेत्रफल लगभग 150 वर्ग किमी. में है।
  • इसमें चार प्रमुख नदियां जल लाकर गिराती है – रूपनगर, मेघना, खारी और खांडेल
  • यहां नमक उत्पादन ‘हिन्दुस्तान साल्ट लिमिटेड’ कम्पनी द्वारा किया जाता है।
डीडवाना झील
  • नागौर जिले में डीडवाना के निकट यह खारे पानी की झील है। इस झील के जल से सोडियम लवण तैयार किया जाता है।
पचपद्रा झील
  • बाड़मेर जिले के पचपद्रा नामक स्थान पर राजस्थान की सबसे खारी झील है।
  • यहां उत्तम किस्म का नमक तैयार होता है, जिसमें 98 प्रतिशत तक सोडियम क्लोराइड की मात्रा पाई जाती है।
  • खारवाल जाति के लोगों द्वारा यहां पर नमक उत्पादन का कार्य किया जाता है।
  • ये लोग मोरली झाड़ी की टहनियों से स्फटिक बनाने का भी कार्य करते हैं।
लूनकरनसर झील
  • बीकानेर जिले में स्थित लूनकरसर में यह झील स्थित है। नमक बनाने में कम उपयोगी।
  • इनके अलावा कुछ प्रमुख खारे पानी की झीलें – फलौदी, कुचामण, कावोद (जैसलमेर), कछोर, रेवासा आदि में हैं।
  • राज्य की समस्त लवणीय झीलें पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश में पाई जाती है, जो पश्चिमी एशिया के मरुस्थल में स्थित ‘प्लाया’ या अर्जेण्टाइना की ‘साल्टा’ झीलों के समान है।
मीठे पानी की झीलें –
  • राजस्थान प्रदेश के लिये मीठे पानी की झीलों का विशेष महत्व है क्योंकि राज्य में पानी की कमी है और मीठे पानी की झीलें पेयजल तथा सीमित रूप में सिंचाई हेतु जल प्रदान करती हैं।
  • राज्य में मीठे पानी की प्राकृतिक झीलें भी है तथा अनेक झीलों का निर्माण बांध द्वारा पानी को रोक कर किया गया। राज्य में मीठे पानी की झीलें अनेक जिलों में स्थित है।
जयसमंद झील
  • इसे ढेबर झील भी कहा जाता है।
  • इसका निर्माण कार्य 1685-91 ई. तक, महाराणा जयसिंह द्वारा गोमती नदी पर बांध बनवाकर कराया गया था।
  • यह झील उदयपुर से 51 किमी. दक्षिण-पूर्व में स्थित है।
  • लम्बाई 15 किमी तथा चौड़ाई 2 से 8 किमी तक है।
  • झील का कुल क्षेत्रफल 55 वर्ग कि.मी. है तथा इसका जलग्रहण क्षेत्र लगभग 1800 वर्ग कि.मी. क्षेत्र में विस्तृत है।
  • यह राजस्थान की सबसे बड़ी प्राकृतिक झील है, जो पर्यटन की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है।
  • इससे 1950 ई. में सिंचाई के लिए दो नहरें – श्यामपुरा और भाट नहर बनाई गई।
राजसमंद झील
  • यह झील राजसमंद जिले में स्थित है।
  • इसका निर्माण महाराणा राजसिंह ने सन् 1662 में कराया था।
  • इस झील के किनारे सुन्दर घाट और नौ चौकी है, जहाँ संगमरमर के शिलालेखों (राजप्रशस्ति) पर मेवाड़ का इतिहास संस्कृत में अंकित है।
  • इस झील में गोमती नदी आकर गिरती है। इसकी लम्बाई लगभग 65 कि.मी. और 3 कि.मी. चौड़ी है।
  • यह झील सिंचाई के लिए भी महत्त्वपूर्ण है।
पिछोला झील
  • उदयपुर के पश्चिम में पर्यटन की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण पिछोला झील है।
  • इसका निर्माण 14वीं शताब्दी के अंत में राणा लाखा के काल में एक बंजारे ने करवाया था। इस झील के दो टापुओं पर जगमंदिर और जगनिवास नाम के सुन्दर महल बने हुए हैं।
फतह सागर झील
  • उदयपुर नगर से सटी हुई फतेह सागर झील, पिछोला झील के उत्तर-पश्चिम में है जिसका निर्माण महाराणा फतेहसिंह ने करवाया था।
  • राजस्थान में पहली बार फतेहसागर झील पर मौसम से संबंधित जानकारी एकत्रित करने हेतु एक सौर वैद्यशाला की स्थापना की गई है।
आना सागर झील
  • अजमेर में स्थित इस झील का निर्माण 1137 ई. में सम्राट पृथ्वीराज चौहान के पितामह आनाजी ने करवाया था।
  • इसके किनारे एक उद्यान ‘दौलत बाग’, जिसका निर्माण जहांगीर ने करवाया एवं इसके तट पर शाहजहां ने सुन्दर संगमरमर की छतरियाँ (बारादरी) का निर्माण करवाया, जो पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र है।
फायसागर झील
  • अजमेर में स्थित झील
पुष्कर झील
  • अजमेर से 11 किमी. दूर, चारों ओर से पर्वतों से घिरी हुई सुन्दर पुष्कर झील है।
  • यह झील राजस्थान की सबसे बड़ी प्राकृतिक मीठे पानी की झील है जो ज्वालामुखी क्रिया से निर्मित है।
  • यह धार्मिक दृष्टि से अत्यधिक महत्त्व की है तथा पर्यटकों के लिए दर्शनीय है। यहां पर कार्तिक पूर्णिमा को मेला भरता है।
  • इस झील को स्वच्छ रखने हेतु एक योजना कनाड़ा के सहयोग से चलाई जा रही है।
सिलीसेढ़ झील
  • अलवर में अरावली की पहाड़ियों के मध्य यह सुरम्य झील है। जो सरिस्का वन्य जीव अभयारण्य के निकट स्थित है।
  • इस झील के किनारे अलवर के महाराजा विनीत सिंह ने अपनी रानी के लिए करवाया था।
कोलायत झील
  • बीकानेर में कोलायत नामक स्थान पर स्थित झील।
  • प्राचीन झील में इस झील के किनारे कपिल मुनि का आश्रम था। यहां कार्तिक मास की पूर्णिमा को कपिल मुनि का मेला लगता है।
  • नवलखा झील (बूंदी), गैव सागर (डूँगरपुर), गलता एवं रामगढ़ गलता एवं रामगढ़ गलता एवं रामगढ़ (जयपुर), बालसमंद झील (जोधपुर), कैलाना झील (जोधपुर), भरतपुर का बैरठा बांध तथा धौलपुर का तालाबशाही भी प्रसिद्ध है।
राजस्थान की मीठे पानी की झील-बांध
जिला
झील-बांध
अजमेर आनासागर, फायसागर, पुष्कर, नारायण सागर बांध
भरतपुर शाही बांध, बारे बांध, बन्ध बारेठा बांध
अलवर सीलीसेढ़
बीकानेर अनूप सागर, सूर सागर, कोलायत
बांसवाड़ा बजाज सागर बांध, कडाणा बांध
भीलवाड़ा मेजा बांध, उम्मेद सागर, मांडलताल, अखड बांध, सरेवी बांध, जैतपुर बांध
बूंदी नवलखां झील
चूरू छापरताल
चित्तौड़गढ़ भूपाल सागर, राणाप्रताप सागर
डूंगरपुर गैव सागर
धौलपुर तालाबशाही
जयपुर गलता, रामगढ़ बांध, छापरबाड़ा
जोधपुर बालसमन्द, प्रताप सागर, उम्मेदसागर, कायलाना, तख्त सागर, पिचियाक बांध
जैसलमेर गढ़ीसर, अमर सागर, धारसी सागर, बुझ झील
कोटा जवाहर सागर, कोटा बैराज बांध
सिरोही नक्की झील
उदयपुर जयसमंद झील, उदय सागर, फतेह सागर, स्वरूप सागर, पिछोला
राजसमंद राजसमन्द झील
पाली हेमावास बांध, जवाई बांध, बांकली, सरदार समंद

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