राजस्थान की हस्तशिल्प कला

मंसूरिया साड़ी

  • कोटा के पास केथून गांव के बुनकरों द्वारा चौकोर बुनाई से बनाई जाने वाली साड़ी को अनेक रंगों और डिजाइनों से बुना जाता है।
  • 1761 ई. में कोटा के प्रधानमंत्री झाला जालिम सिंह ने मैसूर के बुनकर महमूद मंसूरिया को कोटा बुलाया और यहां हथकरघा उद्योग की स्थापना कर साड़ी बुनना शुरू किया, उसी के नाम पर साड़ी का नाम मंसूरिया साड़ी पड़ गया।

ब्ल्यू पॉटरी

  • जयपुर में ब्ल्यू पॉटरी प्रारंभ करने का श्रेय मानसिंह प्रथम को है, जबकि महाराजा रामसिंह द्वितीय के समय इस कला का विकास हुआ।
  • ब्ल्यू पॉटरी का जन्म ईरान में माना जाता है।
  • मिट्टी के बर्तनों पर नीले रंग की रंगीन और आकर्षक चित्रकारी को ब्ल्यू पॉटरी कहते हैं।
  • कृपाल सिंह शेखावत ने इस कला को देश-विदेश में पहचान दिलाई।
  • 1974 ई. में पद्मश्री और 1980 में कलाविद् सम्मान मिला।
  • अलवर में डबल कट वर्क की पॉटरी को कागजी कहा जाता है।
  • कोटा की सुनहरी ब्लैक पॉटरी फूलदानों, मटकों और प्लेटों के लिए प्रसिद्ध है।
  • बीकानेर की पॉटरी में लाख के रंगों का प्रयोग होता है।

गलीचे और दरियां

  • जयपुर और टोंक का गलीचा उद्योग प्रसिद्ध है।
  • जयपुर और बीकानेर की जेलों में दरियां बनाई जाती है।
  • जयपुर गलीचे निर्माण के लिए प्रसिद्ध हैं
  • टोंक ऊनी नमदों के लिए प्रसिद्ध है।
  • नागौर का टांकला गांव व दौसा का लवाण दरियों के लिए प्रसिद्ध है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *