Site icon

नेहरू रिपोर्ट 1928 ई.

यहां पर भारत के संविधान का प्रारूप तैयार करने के लिए 8 व्यक्तियों की एक कमेटी नियुक्त की गई।
नेहरू रिपोर्ट की मुख्य सिफारिशें इस प्रकार थी-
  1. केन्द्र में औपनिवेशिक स्वराज्य तथा प्रान्तों में पूर्ण उत्तरदायी शासन स्थापित किया जाए।
  2. औपनिवेशिक स्वराज्य- भारत को तुरन्त औपनिवेशिक स्वराज्य प्रदान किया जाना चाहिए और उसका स्थान ब्रिटिश शासन के अन्तर्गत अन्य उपनिवेशों के समान होना चाहिए।
  3.  प्रान्तों में उत्तरदायी शासन- प्रान्तों में द्वैध शासन का अन्त करके उत्तरदायी शासन की स्थापना की जानी चाहिए। केन्द्र में भी गवर्नर जनरल को संवैधानिक प्रमुख के रूप में कार्य करना चाहिए।
  4. संघीय व्यवस्था – भारत के लिए संघात्मक शासन ही उपयुक्त बताया गया था परन्तु कहा गया था कि केन्द्र को अधिक शक्तियां प्रदान की जाए।
  5. नागरिकों के मूल अधिकारों की लम्बी सूची के साथ भारत को एक धर्मनिरपेक्ष राज्य घोषित किया गया।
  6. देश में उच्चतम न्यायालय होगा, जो संविधान की व्याख्या करेगा और केन्द्र व प्रान्तों के विवादों पर निर्णय देगा। प्रिवी कौंसिल में अपीलें बन्द होगी।
  7. साम्प्रदायिक चुनाव पद्धति की समाप्ति हो और संयुक्त निर्वाचन पद्धति के साथ  अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा का भी प्रावधान रखा गया।
  8. केन्द्रीय विधान मण्डल द्विसदनात्मक होना चाहिए। निम्नसदन का निर्वाचन व्यस्क मताधिकार के आधार पर प्रत्यक्ष रूप से और उच्चसदन की सदस्य संख्या 200 होनी चाहिए।
  9. नवीन केन्द्रीय सरकार को देशी रियासतों के ऊपर सभी अधिकार प्राप्त हो, जो अभी ताज (क्राउन) के अधीन केन्द्रीय सरकार को प्राप्त है।
  10. मुसलमानों की इस मांग को स्वीकार कर लिय गया कि बम्बई से सिन्ध को अलग कर, उत्तर-पश्चिमी प्रान्तों को भी अन्य प्रान्तों के समान ही अधिकार दिए जाएं।
नेहरू रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया
Read More- जिन्ना के 14 सूत्र
Exit mobile version