मुगलकालीन चित्रकला और प्रमुख चित्रकार

  • चित्रकला के क्षेत्र में मुगलों का विशिष्ट योगदान था। उन्होंने राज दरबार, शिकार दृश्य से सम्बन्धित नये चित्रों को आरंभ किया तथा नये रंगों और आकारों की शुरूआत की। भारत के रंगों जैसे फिरोजी रंग व भारतीय लाल रंग का इस्तेमाल होने लगा।
  • ईरानी शैली का सपाट प्रभाव का स्थान भारतीय शैली के वृत्ताकार प्रभाव ने ले लिया, जिससे चित्रों में त्रिविनितयी प्रभाव आ गया।
  • अकबर के काल में पुर्तगाली पादरियों द्वारा राजदरबार में यूरोपीय चित्रकला भी आरंभ हुई। इससे प्रभावित होकर वह विशेष शैली अपनाई गई जिससे चित्रों मे करीब तथा दूरी का स्पष्ट बोध होता था। मुगल शैली में मनुष्यों का चित्र बनाते समय एक ही चित्र मे विभिन्न चित्रकारों द्वारा मुख, शरीर तथा पैरों को चित्रित करने का रिवाज था।
  • शिकार, युद्ध के दृश्यों को चित्रित करने के अलावा जहांगीर काल में मनुष्यों तथा जानवरों के चित्रों को बनाने की कला में विशेष प्रगति हुई।
  • चित्रकार – मीर सैय्यद अली, ख्वाजा अब्दुसम्मद, बसावन, लाल, केसू, मुकुन्द, दसवंत, अनुंल हसन, मंसूर, बिशनदास, मनोहर इत्यादि।

बाबर

  • चूंकि, बाबर का भारत में शासन काल अल्पकालीन था, इसलिए वह चित्रकला के क्षेत्र में कुछ अधिक नहीं कर सका।
    बिहजाद, बाबर के समय का महत्त्वपूर्ण चित्रकार था।
  • बिहजाद को ‘पूर्व का राफेल’ कहा जा सकता है।
  • तैमूरी चित्रकला शैली का चरमोत्कर्ष पर ले जाने का श्रेय बिहजाद को जाता है।

हुमायूं

  • हुमायूं ने फारस एवं अफगानिस्तान के अपने निर्वासन के दौरान मुगल चित्रकला की नींव रखी।
  • फारस में ही हुमायूं की मुलाकात- मीर सैय्यद अली एवं ख्वाजा अब्दुस्समद से हुई। जिन्होंने मुगल चित्रकला का शुभारंभ किया।
  • मीर सैय्यद अली हेरात के प्रसिद्ध चित्रकार बिहजाद का शिष्य था।
  • अब्दुस्समद ने जो कृतियां तैयार की उसमें से कुछ जहांगीर द्वारा तैयार की गई – गुलशन चित्रावली में संकलित है।
  • हुमायूं की अस्थायी राजधानी काबुल में अब्दुस्समद द्वारा बनाई गई।
  • मीर सैय्यद अली को हुमायूं ने ‘नादिर उल अस्र’ एवं अब्दुस्समद को ‘शीरी कलम’ की उपाधि प्रदान की थी।
  • हुमायूं ने इन दोनों को ‘दास्ताने-आमिर- हम्जा’ की चित्रकारी का कार्य सौंपा।
दास्ताने-अमीर-हम्जा – हम्जानामा
  • हम्जानामा मुगल चित्रशाला की प्रथम महत्त्वपूर्ण कृति है।
  • यह हजरत पैगम्बर के चाचा अमीर हम्जा के वीरतापूर्ण कारनामों का चित्रणीय संग्रह है।
  • इसकी शुरूआत हुमायूं के समय हुई तथा पूर्ण अकबर के समय हुई। मीर सैय्यद अली को पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया था।
  • इसमें कुल 1200 चित्रों का संग्रह है।
  • मुल्ला अलाउद्दीन कजवीनी ने अपने ग्रंथ -‘नफाइसुल मासिर’ में हम्जनामा को ‘हुमायूं के मस्तिष्क’ की उपज बताया है।

अकबर

  • अकबर के समय के प्रमुख चित्रकार मीर सैय्यद अली, ख्वाजा अब्दुस्समद, दसवंत, बसावन, जगन्नाथ, मुकुंद, फारुख  कलम, केशव, माधव, महेश आदि थे। अबुल फजल ने आइन-ए-अकबरी में अकबर के दरबार में कुल 17 चित्रकारों का उल्लेख किया।
  • बसावन, अकबर के समय का प्रमुख चित्रकार था।
  • बसावन को चित्रकला के सभी क्षेत्रों में रेखांकन, रंगों के प्रयोग, छवि चित्रकारी, भू-दृश्यों का चित्रण आदि में महारत प्राप्त था।
  • बसावन की सर्वोत्कृष्ट कृति है- एक कृशकाय (दुबले-पतले) घोड़े के साथ एक मजनूं को निर्जन क्षेत्र में भटकता हुआ चित्र
दसवंत
  • दसवंत जोकि एक कहार का बेटा था, उसे अकबर ने अपने चित्रणशाला में उच्चकोटि (प्रथम अग्रणी चित्रकार) का स्थान दिया।
    बाद में इसी दसवंत ने 1584 ई. में आत्महत्या कर ली थी।
  • दसवंत द्वारा बनाए गए चित्र ‘रज्मनामा’ नामक पांडुलिपि में मिलते हैं। अब्दुस्समद के राजदरबारी पुत्र मुहम्मद शरीफ ने रज्मनामा के चित्रण कार्य का पर्यवेक्षण किया था।
  • इसकी दो अन्य कृतियां हैं – ‘खानदाने तैमूरिया’ एवं ‘तूतीनामा’
  • रज्मनामा’ पांडुलिपि को ‘मुगल चित्रकला के इतिहास में एक मील का पत्थर’ माना जाता है।
  • अकबर के समय में पहली बार ‘भित्ति चित्रकारी’ की शुरूआत हुई।

जहांगीर

  • जहांगीर के समय को चित्रकला का ‘स्वर्णकाल’ कहा जाता है।
  • उसने हेरात के ‘आकारिजा’ के नेतृत्व में आगरा में एक ‘चित्रशाला’ की स्थापना की।
  • जहांगीर ने हस्तलिखित ग्रंथों की विषयवस्तु को चित्रकारी के लिए प्रयोग करने की पद्धति को समाप्त किया और इसके स्थान पर छवि चित्रों, प्राकृतिक दृश्यों आदि के प्रयोग को अपनाया।
  • जहांगीर के समय के प्रमुख चित्रकारों में बिशनदास, उस्ताद मंसूर, अबुल हसन, मनोहर, फारूख वेग, दौलत आदि थे।
  • जहांगीर के समय के प्रमुख चित्रकारी के क्षेत्र में घटी महत्त्वपूर्ण घटना थी, मुगल चित्रकला की पारसी प्रभाव से मुक्ति।
  • मुगल चित्रकारी में यूरोपीय कला का प्रभाव अकबर के समय से शुरू हो गया था, लेकिन जहांगीर और शाहजहां के समय इसका विशेष इस्तेमाल किया गया।
  • अबुल हसन बादशाह का प्रिय चित्रकार था, उसे जहांगीर ने ‘नादिर-उल-जमा’ की उपाधि दी थी।
  • अबुल हसन ने जहांगीर के गद्दी पर आसीन होने का एक चित्र तैयार किया था जिसे बाद में जहांगीर की आत्मकथा ‘तुजुक-ए-जहांगीरी’ के मुख्य पृष्ठ पर लगा दिया गया था।
  • ‘चिनार के पेड पर असंख्य गिलहरियां बैठी हैं’ का चित्र अबुल हसन ने बनाया था।
  • बिशनदास को, जो छवि चित्रण में माहिर था, जहांगीर ने फारस के शाह अब्बास और उसके परिवार का छवि चित्र बनाने के लिए फारस भेजा था।
  • उस्ताद मंसूर को, जो प्राकृतिक दृश्यों तथा पशु-पक्षियों के चित्रण में माहिर था, जहांगीर ने ‘नादिर-उल-अस्र’ की उपाधि से नवाजा था।
  • उस्ताद मंसूर ने ‘साइबेरिया का सारस’ एवं ‘बंगाल का एक फूल’ के चित्र बनाए थे।
  • जहांगीर के निर्देश पर चित्रकार दौलत ने अपने साथी चित्रकार बिशनदास, गोवर्धन एवं अबुल हसन एवं अबुल हसन के छवि चित्र एवं स्वयं अपना एक छवि चित्र बनाया।
  • बिशनदास, मनोहर छवि चित्रों के निर्माण में सिद्धहस्त थे।
  • जहांगीर कालीन एक प्रसिद्ध चित्रकार मनोहर का नाम तुजुके-जहांगीरी में नहीं मिलता है।
  • जहांगीर ने अपने अग्रणी चित्रकार बिसनदास को अपने दूत खान आलम के साथ फारस के साथ फारस के शाह के दरबार में चित्र बनाकर लाने के लिए भेजा था। उसने शाह, उसके अमीरों तथा उनके परिजनों के अनेक छवि चित्र बनाकर लाया था।
  • लन्दन की एक लाइब्रेरी में एक अद्भुत चित्र के लिए चित्र उपलब्ध है, जिसमें ‘एक चिनार के पेड़ पर असंख्य गिलहरियां अनेक प्रकार की मुद्राओं मं चित्रित है।’ यह चित्र संभवतः अबुल हसन का माना जाता है किंतु पृष्ठ भाग पर अंकित नामों से इसे मंसूर एवं अबुल हसन की संयुक्त कृति माना जाता है।
  • फारुख बेग ने जहांगीर के समय बीजापुर के सुल्तान आदिलशाह का चित्र बनाया था।
  • दौलत फारुख बेग का शिष्य था। उसने बादशाह जहांगीर के कहने पर अपने साथी चित्रकारों – बिसनदास, गोवर्धन और अबुल हसन आदि का सामूहिक चित्र बनाया, साथ ही अपना भी एक छवि चित्र बनाया था।

शाहजहां

  • शाहजहां के समय आकृति-चित्रण और रंग सामंजस्य मे कमी आ गई थी। उसके काल में रेखांकन और बार्डर बनाने में उन्नति हुई।
  • शाहजहां को दैवी प्रतीकों वाली अपनी तस्वीर बनवाने का शौक था, जैसे उसके सिर के पीछे रोशनी का गोला।
  • प्रमुख चित्रकार – अनूप, मीर हाशिम, मुहम्मद फकीर उल्ला, मुरार, हुनर मुहम्मद नादिर, चिंतामणि।
  • शाहजहां का एक विख्यात चित्र भारतीय संग्रहालय में उपलब्ध है, जिसमें शाहजहां को सूफी नृत्य करते हुए दिखाया गया है।
  • उमेद ने अपनी कृति ‘मुश वा गोर्वेद’ में पशु-पक्षियों के पालन-पोषण को दिखाया है।
  • ‘बूस्ता’ और ‘गुलिस्ता’ नामक ग्रंथ भी इसी के समय चित्रित किए गए थे।

परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण प्रश्न पढ़ें:

राजस्थान में राष्ट्रपति शासन कितनी बार लगा?

राजस्थान विधान सभा की प्रथम महिला अध्यक्ष कौन थी?

चंदावर का युद्ध कब और किस—किस के बीच हुआ?

भारतीय मानक समय रेखा किन राज्यों से होकर गुजरती है?

कर्क, मकर और भूमध्य रेखाएं किस महाद्वीप से गुजरती है?

उदयपुर सौर वेधशाला को किस अंतर्राष्ट्रीय वेधशाला के मॉडल के अनुसार डिजाइन किया गया है?

राजस्थान में मंत्रिपरिषद की अधिकतम संख्या कितनी हो सकती है?

सबसे पहले सिंचाई कर की वसूली किस शासक ने की थी

महासागरों में ज्वारभाटा की उत्पत्ति का कारण है?

फिरोज तुगलक द्वारा स्थापित ‘दार-उल-शफा’ क्या था?

किसे ‘हिन्दी खड़ी बोली का जनक’ माना जाता है?

औरंगजेब

  • औरंगजेब ने चित्रकला को इस्लाम के विरुद्ध मानकर बन्द करवा दिया था।
  • किन्तु उसके शासनकाल के अंतिम वर्षों में उसने चित्रकारी में कुछ रूचि ली जिसके परिणामस्वरूप उसके कुछ लघु-चित्र शिकार खेलते हुए, दरबार लगाते हुए तथा युद्ध करते हुए प्राप्त होते हैं।
  • औरंगजेब के बाद मुगल चित्रकार अन्यत्र जाकर बस गये, जहां पर अनेक क्षेत्रीय चित्रकला शैलियों का विकास हुआ।
  • मनूची ने लिखा है कि ‘औरंगजेब की आज्ञा से अकबर के मकबरे वाले चित्रों को चूने से पोत दिया गया था।’
  • अकबर ने चित्रकला की प्रशंसा करते हुए कहा है कि ‘चित्रकार के पास ईश्वर को पहचानने का एक विचित्र साधन होता है।’
  • जहांगीर ने अपनी आत्मकथा ‘तुजुके-जहांगीरी’ में लिखा है कि -‘कोई भी चित्र चाहे वह किसी मृतक व्यक्ति द्वारा बनाया गया हो या फिर जीवित व्यक्ति द्वारा, मैं देखते ही यह तुरन्त बता सकता हूं कि यह किस चित्रकार की कृति है। यदि कोई सामूहिक चित्र है तो मैं उनके चेहरे पृथक-पृथक कर यह बता सकता हूं कि प्रत्येक अंग किस चित्रकार ने बनाया है।’
  • पर्सी ब्राउन -‘जहांगीर के साथ ही मुगल चित्रकला की वास्तविक आत्मा पतनोन्मुख हो गयी’

Read More:

भारत के प्रमुख गवर्नर और गवर्नर जनरल

श्यामजी कृष्ण वर्मा: एक स्वतंत्रता सेनानी जिसने इंग्लैंड में रहकर मदनलाल ढींगरा जैसे क्रांतिकारी दिए

मौर्य प्रशासन

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *