मिस्र की सभ्यता का विकास नील नदी की घाटी में हुआ था।
नील नदी प्राचीनकाल में मिस्र के सुख और समृद्धि का कारण रही है।
मिस्र के राजनैतिक इतिहास की जानकारी 3400 ई.पू. से प्राप्त होती है।
मिनीज नामक शासक ने 3400 ई.पू. ही मिश्र का राजनैतिक ढांचा खड़ा किया था।
इस सभ्यता का निर्माण इथियोपी, नूबी और नीलियम जाति के लोगों ने किया था।
मिस्र की सभ्यता के इतिहास में पिरामिड़ युग, सामन्तशाही युग एवं साम्राज्यवादी युग विशेष उल्लेखनीय है।
इनमें पिरामिड़ युग सर्वाधिक गौरवपूर्ण था।
मिस्र सभ्यता की प्रमुख विशेषताएं—
- मिस्र का सामाजिक जीवन
मिस्र के शासक फराओ कहलाते थे और प्रजा पर उनकी सत्ता निरंकुश थी।
लोग उसे ईश्वर का प्रतिनिधि मानते थे।
उच्च वर्ग में सामन्त व पुरोहित, मध्यवर्ग में व्यापारी, व्यवसायी तथा निम्न वर्ग में कृषक तथा दास थे।
स्त्री व पुरुषों में लगभग उच्च वर्ग के लोग आभूषण पहनते थे। संगीत, नृत्य, नटबाजी, पशु, जुआ आदि उनके मनोरंजन के साधन थे।
हाथीदांत जड़ित मेज और कुर्सियां तथा बहुमूल्य पर्दे व कालीन समान्तों के भवनों की शोभा बढ़ाते थे। - आर्थिक जीवन
अ. कृषि व पशुपालन
मिस्र के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि था।
जौ, प्याज, बाजरा व कपास की खेती की जाती थी। मिस्र को प्राचीन विश्व का ‘अन्न का भण्डार’ कहा जाता था, क्योंकि वहां वर्ष में तीन बार फसलें बोयी जाती थी।
बकरी, गधा, कुत्ता, गाय, ऊंट, सुअर आदि पालतु पशु थे।
ब. व्यापार व उद्योग
मिस्र में धातु, लकड़ी, मिट्टी, कांच, कागज तथा कपड़े का काम करने वाले कुशल कारीगर थे।
मिस्रवासियों को तांबे के अतिरिक्त अन्य धातुएं बाहर से मंगवानी पड़ती थीं।
मिस्रवासी लकड़ी पर नक्काशी तथा कांच पर चित्रकारी कार्य से भी परिचित थे।
वे वस्तु विनिमय द्वारा व्यापार करते थे। अरब व इथोपिया से उनके व्यापारिक संबंध थे।
- धार्मिक जीवन
मिस्रवासियों के प्रमुख देवता रा (सूर्य), ओसरिम (नील नदी) तथा सिन (चन्द्रमा) थे।
उनके देवता प्राकृतिक शक्तियों के प्रतीक थे।
सभ्यता के प्रारम्भिक काल में मिस्रवासी बहुदेववादी थे, किंतु साम्राज्यवादी युग में अखनाटन नामक फराओ ने एकेश्वरवाद की विचारधारा को महत्व दिया तथा सूर्य की उपासना आरम्भ की। - ज्ञान—विज्ञान
मिस्र के लोगों ने तारों व सूर्य के आधार पर अपना कलेण्डर बना लिया था तथा वर्ष के 360 दिन की गणना कर ली थी।
मिस्रवासियों ने धूप घड़ी का आविष्कार कर लिया था।
उन्होंने अपनी वर्णमाला विकसित करके पेपीरस वृक्ष से कागज का निर्माण भी किया था। - पिरामिड़
मिस्रवासियों का विश्वास था कि मृत्यु के बाद शव में आत्मा निवास करती है। अत: वे शव पर एक विशेष तेल का लेप करते थे। इससे सैकड़ों वर्षों तक शव सड़ता नहीं था।
शवों की सुरक्षा के लिए समाधियां बनाई जाती थी जिन्हें वे लोग पिरामिड़ कहते थे। पिरामिड़ों में रखे शवों को ‘ममी’ कहा जाता था।
मिस्र के पिरामिड़ों मेंं गिजे का पिरामिड़ प्राचीन वास्तुकला की दृष्टि से सर्वश्रेष्ठ कलाकृति है।
गिजे का यह पिरामिड 481 फीट ऊंचा तथा 755 फीट चौड़ा है। इसमें ढाई—ढाई टन के 23 लाख पत्थर के टुकड़ें लगे है।
इसके बाहर पत्थर पर एक विशालकाय नृसिंह की मूर्ति जिसे स्फिंक्स कहा जाता है, बनी है।
पिरामिड़ मिस्रवासियों के गणित व ज्यामिति के ज्ञान के साक्षी है।
मिस्र में अब भी ऐसे कई पिरामिड विद्यमान है।