मिहिर सेन भारतीय तैराक, जिसके नाम दर्ज है दुनिया के सातों समुद्र तैरकर पार करने का कीर्तिमान

 

  • मिहिर सेन भारतीय तैराक थे। वह पहले एशियाई तैराक भी थे, जिन्होंने वर्ष 1958 में इंग्लिश चैनल तैरकर पार किया। यही साथ ही उनके नाम ‘साल्ट वाटर’ तैराकी में पांच महत्त्वपूर्ण रिकॉर्ड दर्ज हैं। मिहिर ने कलकत्ता हाईकोर्ट में वकालत की थी, परंतु उन्हें लोग एक रिकॉर्डधारी तैराक के रूप में जानते हैं।

जीवन परिचय

  • मिहिर सेन का जन्म 16 नवम्बर, 1930 को पश्चिम बंगाल के पुरुलिया स्थान पर डॉ. रमेश सेन गुप्ता और लीलावती के घर में हुआ था। उनके पिता कटक में फिजीशियन थे। उनकी आरंभिक शिक्षा कटक के अच्छे स्कूल में हुई। मिहिर ने ओडिशा के भुवनेश्वर स्थित उत्कल विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक की डिग्री हासिल की। मिहिर वकालत के लिए इंग्लैंड जाना चाहते थे, लेकिन आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, परंतु राज्य सरकार के सहयोग से वह इंग्लैंड गए और वहां से आगे की पढ़ाई की।
इंग्लिश चैनल पार करने वाले पहले एशियाई बने
  • मिहिर सेन जब इंग्लैंड से वकालत कर रहे थे, उस दौरान उन्होंने एक महिला तैराक के बारे में पढ़ा जिसने इंग्लिश चैनल तैरकर पार किया था। वह उस महिला से इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने भी कुछ ऐसा ही करने की ठान लिया।
  • मिहिर ने शुरूआत में इंग्लिश चैनल को तैरकर पार करने के कुछ असफल प्रयास भी किए। आखिरकार उन्होंने 27 सितम्बर, 1958 को इंग्लिश चैनल तैरकर पार करने में सफलता पाई। वह ऐसा करने वाले पहले भारतीय बने, साथ ही पहले एशियाई भी। उन्होंने डोवर से कलाइस तक इंग्लिश चैनल को पार करने में 14 घंटे 45 मिनट का समय लिया। इसके बाद मिहिर सेन ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और नए कीर्तिमान रचने के लिए आगे निकल पड़े।
  • मिहिर का अपना अगला लक्ष्य श्रीलंका के तलाईमन्नार से भारत के धनुष्कोटी तक तैराकी करने का रखा। अपने इस लक्ष्य में भी वे पीछे नहीं हटे और इसे 25 घंटे 44 मिनट में पूरा किया। जहां से मिहिर ने तैराकी शुरू की, उस पाक स्ट्रेट में अनेक जहरीले सांपों और शार्क मौजूद थे। इस दौरान भारतीय नौसेना ने उनकी सहायता की।
  • इसके बाद मिहिर ने 24 अगस्त, 1966 को एक नया रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज किया। जिसमें उन्होंने 8 घंटे 1 मिनट में जिब्राल्टर डार-ई-डेनियल को तैरकर पार किया। यह चैनल स्पेन और मोरक्को के बीच है। जिब्राल्टर को तैरकर पार करने वाले मिहिर सेन पहले एशियाई थे।
  • उन्होंने 12 सितंबर, 1966 को डारडेनेल्स को तैरकर पार किया। इसे पार करने वाले वह विश्व के पहले व्यक्ति थे।
पनामा नहर को तैरकर किया पार
  • मिहिर ने तैराकी में एक ओर रिकॉर्ड पनामा नहर को तैरकर पार करते हुए बनाया, जिसे उन्होंने 29 अक्टूबर, 1966 को शुरू किया। इस नहर को उन्होंने लंबाई में पार किया था, जिस कारण उन्होंने इसे दो स्टेज में पार किया। 29 अक्टूबर को शुरू करके पनामा की तैराकी की, उन्होंने 31 अक्टूबर को इसे पूरा किया। पनामा नहर को उन्होंने 34 घंटे 15 मिनट में पार किया था।
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सात समुद्र पार करने वाले पहले व्यक्ति
  • मिहिर सेन ने कुल मिलाकर 600 किलोमीटर की समुद्री तैराकी की। उन्होंने एक ही कलेण्डर वर्ष में 6 मील लम्बी दूरी की तैराकी करके नया कीर्तिमान स्थापित किया। वह दुनिया के पहले ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने पांच महाद्वीपों के सातों समुद्रों को तैरकर पार किया था। उनके नाम गिनीज बुक में कई विश्व रिकॉर्ड दर्ज है।
  • मिहिर सेन को इन्हीं उपलब्धियों के कारण भारत सरकार की ओर से 1959 में उन्हें ‘पद्‌मश्री’ पुरस्कार प्रदान किया गया और वर्ष 1967 में उन्हें ‘पद्‌मभूषण’ पुरस्कार भी प्रदान किया गया।
  • मिहिर एक अतुलनीय तैराक थे, जिन्होंने अपनी हिम्मत और मेहनत के दम पर इतनी बड़ी तैराकी का जोखिम उठाया था। वह ‘एक्सप्लोरर्स क्लब ऑफ इंडिया’ के अध्यक्ष थे।
निधन
  • मिहिर सेन अपने जीवन के अंतिम दिनों में अल्जाइमर्स नामक बीमारी से पीड़ित हो गए जिससे उनकी याद्‌दाश्त कमजोर होती गई। इस बीमारी की वजह से इस महान तैराक का 11 जून, 1997 को कोलकाता में 67 वर्ष की आयु में निधन हो गया।

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