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महाजनपद-युग

जैन ग्रंथ-
  1. भगवती सूत्र में 16 महाजनपदों का उल्लेख किया गया है- अंग, बंग, मगह (मगध), मलय, मालव, अच्छ, वच्छ (वत्स), पाढ्य, लाढ़, वज्जि, मोलि (मल्ल), काशी, कोशल, अवध, सम्भुत्तर आदि।
  2. अंगुत्तरनिकाय व भगवतीसूत्र में विहित समान राज्य- अंग, काशी, कोशल, मगध, वज्जि, मल्ल (मोलि), वत्स (वच्छ), अवन्ती (मालव)।
  3. भगवतीसूत्र में बंगाल व निकटवर्ती प्रदेशों के बहुत से नाम गिनाए गए हैं व अवन्ती के स्थान पर मालव का उल्लेख इस तथ्य को स्पष्ट करता हैं कि यह ग्रंथ बाद का है व यह सूची संभवतः बंगाल में तैयार की गई होगी।
  4. इन 16 महाजनपदों में ‘अस्मक’ एकमात्र महाजनपद था, जो दक्षिण भारत में गोदावरी नदी के तट पर स्थित था।
  5. छठी शताब्दी ई.पू. अर्थात् गौत्तमबुद्ध के समय दस गणतंत्र स्थापित थे।
  6. गणतंत्र राज्यों में 8 वज्जि संघ के अंतर्गत थे तथा दो मल्ल संघ के अन्तर्गत आते थे।
  7. महाजनपदों में मुख्यतः दो प्रकार की व्यवस्था ज्ञात है- राजतंत्रात्मक व गणतंत्रात्मक
  8. जहां राजतंत्रात्मक शासन व्यवस्था में शासन की संपूर्ण शक्ति एक व्यक्ति के हाथ में निहित थी, वही गणराज्यों में निर्वाचित प्रतिनिधियों की संस्था (परिसा) द्वारा शासन संचालित किया जाता था। यद्यपि ये निर्वाचित सदस्य मुख्यतः अभिजात्य वर्ग से ही संबंधित होते थे।
  9. गणतंत्र राज्यों का शासन राजा द्वारा न होकर गण अथवा संघ (परिसा) द्वारा होता था।
  10. आधुनिक काल में गणतंत्र प्रजातंत्र का समानार्थी है किन्तु प्राचीन काल के गणतंत्र को आधुनिक अर्थ में कुलीनतंत्र या निरंकुश तंत्र कह सकते हैं क्योंकि इसमें शासन की शक्ति सम्पूर्ण जनता के हाथों में न होकर किसी कुल विशेष के प्रमुख व्यक्तियों के हाथों में होती थी।

बुद्धकालीन प्रमुख गणतंत्र जिनका उल्लेख बौद्ध साहित्य में मिलता है-

  1. कपिलवस्तु के शाक्य
  2. कुशीनारा के मल्ल
  3. पावा के मल्ल
  4. रामग्राम के कोलीय
  5. पिप्पलिवन के मोरिय
  6. अलकप्प के बुलि
  7. केसपुत्त के कलाम
  8. वैशाली के लिच्छिवी
  9. सुमसुमार गिरि के भग्ग

महाजनपदों का संक्षिप्त परिचय –

काशी –

कोशल –
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