दाब
  • किसी वस्तु के प्रति इकाई क्षेत्रफल पर लगने बालेे बल को दाब कहते है।
  • दाब का S.I. मात्रक न्यटन प्रति वर्ग मीटर है अथवा पास्कल हैै।
  • दाब एक अदिश राशि है।
मोटी धार के चाकू की अपेक्षा तेज धार के चाकू से फल काटना अधिक सुगम होता है, क्यो?
  • मोटी धार के चाकू की अपेक्षा तेज धार के चाकू से फल काटना अधिक सुगम होता है, क्योंकि तेज धार के चाकू का ब्लेड फल के कम क्षेत्रफल पर संपर्क में होता है। अतः फल पर इसका दाब अधिक होने से चाकू सुगमतापूर्वक उसे काट देता है।
  • वायु पृथ्वी पर स्थित सभी वस्तुओं पर दाब डालती है, जिसे वायुदाब कहते हैं।
  • वायुमण्डलीय दाब को बैरोमीटर द्वारा मापा जाता है।
  • वास्तव में मानव एवं समुद्र की तली में रहने वाले प्राणी वायु के इसी दाब के कारण जीवित हैं। यह दाब इसलिए अनुभव नहीं होता, क्योंकि हमारे शरीर में मौजूद रक्त आंतरिक रूप से थोड़ा अधिक दाब बाहर की ओर डालता है। इसी कारण ऊंचे पहाड़ों पर जहां वायुमंडलीय दाब कम होता है व्यक्ति की नाक से रक्त बहने लगता है, जो रक्त के उच्च दाब के कारण नासिका रंध्रों की कोमल रक्त वाहनियां फट जाने से होता है।
  • फाउंटेन पेन में वायुदाब के कारण ही स्याही उसकी ट्यूब में चढ़ पाती है।
  • इसी प्रकार इंजेक्शन की सीरिंज में पिस्टन के खींचने पर द्रव उसमें चला जाता है।
पास्कल का सिद्धांत
  • किसी बन्द बर्तन में भरे द्रव में एक बिन्दु पर दाब लगाने पर वह द्रव सभी दशाओं में समान रूप से संचारित हो जाता है। द्रवचालित प्रेस, द्रवचालित ब्रेक, द्रवचालित द्वार या क्लोजर इत्यादि इसी सिद्धांत पर आधारित है।
उत्प्लावन बल
  • यदि लकड़ी के एक टुकड़े को जल की सतह से नीचे पकड़कर छोड़ दिया जाए तो हमें देखते हैं कि वह तुरंत ही ऊपर सतह पर आ जाता है। क्यों?
  • कारण – गुटके पर ऊपर की ओर जल के कारण एक बल कार्य करता है। जिसे उत्प्लावन बल कहते हैं।
    इसी प्रकार कुएं से पानी खींचते समय जब तक बाल्टी कुएं के पानी में डूबी रहती है वह हल्की प्रतीत होती है तथा ज्यों ही पानी से बाहर हवा में आती है तो भारी-भारी प्रतीत होती है।
    द्रव की तरह गैसें भी वस्तु पर उत्प्लावन लगाती है।
प्लवन का सिद्धांत
  • प्लवन करने वाली वस्तु का भार उस वस्तु द्वारा हटाए गये द्रव के भार के बराबर होता है। प्लवन करती हुई वस्तु का आभासी भार शून्य होता है।
आर्किमिडीज का सिद्धांत
  • जब कोई वस्तु किसी द्रव में पूर्ण या आंशिक रूप से डुबाई जाती है, तो उसके भार में कुछ कमी प्रतीत होती है तथा भार में आभासी कमी उस वस्तु के द्वारा हटाये गये द्रव के भार के बराबर होती है। इसे आर्किमिडीज का सिद्धांत कहते हैं।

लोहे की कील जल में डूब जाती है जबकि लोहे व इस्पात का बना जलयान तैरता है, क्यों?

  • इसका कारण है कि जलयान खोखला होता है और उसमें हवा होती हैं। परिमाणतः उसका घनत्व जल की अपेक्षा कम हो जाता है। वस्तु का घनत्व द्रव के घनत्व से अधिक हो तो वस्तु डूब जायेगी, जबकि वस्तु का घनत्व द्रव के घनत्व से कम होने पर वस्तु द्रव पर तैरने लगती है।
  • हाइड्रोजन जैसी हल्की गैस से भरा गुब्बारा वायुमंडल में ऊपर की ओर उठकर उड़ता जाता है, क्योंकि गैस भरे गुब्बारे का औसत घनत्व वायु की अपेक्षा कम होता है।
  • बर्फ का घनत्व जल की अपेक्षा कम होता है, अतः घनत्व के अनुसार बर्फ का दसवां भाग जल के बाहर निकला रहता है और बर्फ जल पर तैरती रहती है। बर्फ के पिघलने से उसका उतना आयतन कम हो जाता है जितना पानी की सतह से ऊपर था, इसलिए जल के स्तर में कोई वृद्धि न होकर वह पूर्ववत् एक समान बना रहता है।