रंगपुर विद्रोह
- 1783 ई. में
- दिनाजपुर, बंगाल
- इस आन्दोलन का नेतृत्व धीरज नारायण और नूरुलुद्दीन ने किया।
- ईस्ट इंडिया कंपनी ने जमींदारों पर कर बढ़ा दिया जिसका बोझ किसानों पर पड़ा। किसानों ने कचहरियों, खाद्यान्न भंडारों और सरकारी पदाधिकारियों पर आक्रमण किया और अपनी सरकार बनाई।
मोपला विद्रोह प्रथम चरण
- 1836 ई. में मालाबार
- अंग्रेजों द्वारा नई राजस्व व्यवस्था लागू करना।
- सन् 1836 में विद्रोह हुआ, अंग्रेज अधिकारियों व बिचौलियों पर हमला किया गया। कई वर्षों तक ब्रिटिश सेना इन्हें दबा न सकी।
नील विद्रोह 1859-60
- बंगाल में दिगंबर विश्वास, विष्णु विश्वास के नेतृत्व में।
- यूरोपीय लोगों द्वारा किसानों से बलपूर्वक नील की खेती करवाना।
- प्रारंभ में अर्जियाँ दी गई व शांतिपूर्ण प्रदर्शन हुए।
- लोगों ने लगान देना बंद कर दिया।
- सन् 1860 में यह विद्रोह समाप्त हो गया।
पाबना विद्रोह 1873-76
- बंगाल में ईशानचंद्र राय, शंभुनाथ पाल तथा केशव चंद्र राय के नेतृत्व में
- अधिक लगान तथा 1859 के अधिनियम के तहत मिली काश्तकारों की जमीन पर कब्जे के विरुद्ध षड्यंत्र और बेदखली।
- यह लड़ाई मुख्यतः कानूनी स्तर पर ही सीमित थी।
- सन् 1885 में बंगाल काश्तकारी कानून बनाकर राहत पहुँचाई गई।
दक्कन विद्रोह 1874-75
- महाराष्ट्र के पूना, अहमदनगर, शोलापुर व सतारा जिले बाबा साहब देशमुख रैय्यतवाड़ी इलाके के किसान कर्ज अदायगी को लेकर महाजनों के जाल में फंस गए। कपास की गिरती कीमतें व अकाल के बावजूद लगान की दर में अत्यधिक वृद्धि।
- महाजनों का सामाजिक बहिष्कार, दक्कन कृषक राहत अधिनियम, 1879 से किसानों को महाजनों के विरुद्ध संरक्षण प्रदान किया गया।
चंपारण सत्याग्रह
- 1917 में चंपारण, रामनगर, मोतिहारी, बेतिया, मधुबनी
- महात्मा गांधी के नेतृत्व में।
- तिनकठिया प्रणाली के विरोध में।
- गांधीजी का आगमन हुआ तथा एक आयोग द्वारा बागान मालिक अवैध वसूली का 25 फीसदी वापस करने पर सहमत हो गए।
खेड़ा सत्याग्रह
- 1918 ई. में खेड़ा, गुजरात
- महात्मा गांधी, वल्लभभाई पटेल के नेतृत्व में।
- फसल बर्बाद होने के बावजूद सरकार द्वारा मालगुजारी वसूल किया जाना।
- गांधीजी ने कहा कि यदि सरकार गरीब किसानों के लगान माफ कर दे तो जो लगान देने में सक्षम हैं, वे पूरा लगान देंगे।
अवध किसान आंदोलन
- 1920 ई. में प्रतापगढ़, रायबरेली, सुल्तानपुर, फैजाबाद
- झींगुरी लाल सिंह, बाबा रामचंद्र
- अवैध लगान व बेदखली अधिनियम लागू।
- अवध मालगुजारी, संशोधन अधिनियम से लगान में बढ़ोतरी।
- प्रतापगढ़ में ‘नाई-धोबी सेवा बंद’ तथा सामाजिक बहिष्कार। बाबा रामचंद्र के जेल भेजने पर प्रदर्शन।
एका आंदोलन
- 1921-22 बाराबंकी, हरदोई बहराइच, सीतापुर
- मदारी पासी लगान में बढ़ोतरी।
- इस आंदोलन में छोटे जमींदार भी शामिल हुए।
मोपला विद्रोह, द्वितीय चरण
- 1921 मालाबार
- अली मुसलियार
- अधिक लगान व बेदखली पुलिस स्टेशन, सरकारी दफ्तर व जमींदारों के घर पर हमला। बाद में इसका स्वरूप सांप्रदायिक हो गया। सन् 1921 में विद्रोह को कुचल दिया गया।
बारदोली सत्याग्रह
- 1928 सूरत का बारदोली ताल्लुका सरदार वल्लभभाई पटेल लगान में बढ़ोतरी वल्लभभाई के नेतृत्व में लगान अदा करने वाले किसानों के सामाजिक बहिष्कार का अस्त्र इस्तेमाल किया गया।