निम्न में से किस प्रकार के प्रिंटर में रिबन काम में आती है?

निम्न में से किस प्रकार के प्रिंटर में रिबन काम में आती है?  (सूचना सहायक परीक्षा 2018)
1. प्लॉटर                            2. लेजर प्रिंटर
3. डॉट मेट्रिक्स प्रिंटर         4. इंकजेट प्रिंटर
उत्तर- 3

निम्न में से कौन से प्रिंटर से प्रिंट प्राप्त करने हेतु फोटोकॉपी तकनीक का उपयोग किया जाता है?
1. लेजर प्रिंटर
2. डॉट मेट्रिक्स प्रिंटर
3. इंकजेट प्रिंटर
4. थर्मल प्रिंटर
उत्तर- 1

प्रिंटर का वर्गीकरण
इम्पैक्ट प्रिंटर :
कैरेक्टर प्रिंटर और लाइन प्रिंटर

कैरेक्टर प्रिंटर में डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर और डेजी व्हील प्रिंटर एवं लाइन प्रिंटर श्रेणी में ड्रम प्रिंटर, चैन प्रिंटर और बैंड प्रिंटर आते हैं।

नॉन इम्पैक्ट प्रिंटर
लेजर प्रिंटर, थर्मल प्रिंटर और इंकजेट प्रिंटर

प्रिन्टर्स (Printers)

  • प्रिंटर एक आउटपुट डिवाइस है जो प्राप्त आउटपुट को कागज पर छापकर प्रदर्शित करता है। कागज पर आउटपुट की प्रतिलिपि हार्ड कॉपी कहलाती है। प्रिन्टर कम्प्यूटर से प्राप्त डिजिटल सूचनाओं को मानवीय भाषा में परिवर्तित कर तेज गति से कागज पर छापता है जिसे व्यक्ति पढ़ सकता है।प्रिन्टर दो प्रकार के होते हैं-

    1. इम्पैक्ट प्रिन्टर्स 2. नॉन-इम्पैक्ट प्रिन्टर्स

    Q. किसी कागज पर प्रिन्टर द्वारा छपा हुआ आउटपुट कहलाता है-
    A. हार्ड कॉपी B. सॉफ्ट कॉपी
    C. माइक्रो फिल्म D. फ्लॉपी
    उत्तर- A

इम्पैक्ट प्रिन्टर्स (Impact Printers)

  • इस प्रकार के प्रिन्टर्स में धातु का एक छोटा हथौड़ा या प्रिन्ट हैड स्याही के रिबन पर प्रहार करता है। रिबन के नीचे वह कागज रखा जाता है जिस पर प्रिन्ट करना होता है। जब प्रिन्ट हैड द्वारा प्रहार किया जाता है तो प्रिन्ट हैड पर उस समय उपस्थित करेक्टर कागज पर प्रिन्ट हो जाता है।इस प्रकार के प्रिंटर की श्रेणी में निम्न प्रिन्टर्स आते हैं-

    डॉट मैट्रिक्स प्रिन्टर (Dot Matrix Printer- DMP)

    इस प्रिन्टर के प्रिन्ट हैड में अनेक पिनों का एक मैट्रिक्स होता है। प्रत्येक पिन के रिबन व कागज पर प्रहार से एक बिन्दु (Dot) बनता है। अनेक डॉट्स मिलकर करेक्टर बनाते हैं। प्रिन्ट हैड में 7, 9, 14, 18, या 24 पिनों का ऊर्ध्वाधर समूह होता है। पिनों की संख्या जितनी अधिक होती है, प्रिन्टिंग उतनी ही आकर्षक होती है। करेक्टर क्रमबद्धता के साथ एक के बाद एक छपते जाते हैं।

    डॉट मैट्रिक्स प्रिन्टर्स की गति 30 से 600 करेक्टर प्रति सैकण्ड (Character Per Second – CPS) होती है। इनमें ठोस मुद्रा अक्षर नहीं होने के कारण ये विभिन्न आकार, प्रकार एवं भाषा के करेक्टर छाप सकते हैं। इनसे ग्राफ, चार्टस् आदि भी बनाए जा सकते हैं। किन्तु इनकी छपाई की स्पष्टता ठोस मुद्रा अक्षर प्रिन्टर्स की तुलना में कम होती है। ये प्रिन्टर्स दायें से बायें एवं बायें से दायें अर्थात दोनों ओर से प्रिन्टिंग कर सकते हैं। प्रिन्टिंग लागत कम आने से इनका उपयोग प्रिन्टिंग हेतु सर्वाधिक होता है।

    डेजी व्हील प्रिंटर (Daisy Wheel Printer)

    यह प्रिंटर डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर से अधिक स्पष्ट आउटपुट देता है। यह सॉलिड फॉन्ट्स वाला प्रिंटर है। इसका प्रिन्ट हैड प्लास्टिक से निर्मित एक गोल चक्र के रूप में होता है, जिसकी आकृति डेजी (गुलबहार) के पुष्प जैसी होती है। इसी कारण इसे डेजी व्हील नाम दिया गया है।

    चक्र में पुष्प की पंखुड़ियों के समान अनेक तानें होती हैं तथा प्रत्येक तान पर एक करेक्टर का ठोस फोन्ट उभरा रहता है। चक्र कागज की क्षैतिज दिशा में गति करता है। जब छपने योग्य करेक्टर का स्पोक प्रिन्ट पोजिशन पर आता है तो एक छोटा हथौड़ा स्पोक पर प्रहार करता है जिससे उस पर उभरा फॉन्ट कागज पर छप जाता है। छपाई के लिए चक्र और कागज के बीच में रिबन होता है।

    डेजी व्हील प्रिंटर एक धीमी गति का प्रिंटर है। इसकी छापने की गति प्रायः 90 CPS होती है। किन्तु इसके आउटपुट की स्पष्टता उच्च कोटि की होती है। इसलिए इसका उपयोग पत्र आदि छापने में होता है और यह लेटर क्वालिटी प्रिंटर कहलाता है। इस प्रिंटर से केवल वो ही करेक्टर छापे जा सकते हैं जो इसके प्रिंटर हैड में उपस्थित होते हैं। इससे ग्राफिक्स आदि की छपाई नहीं की जा सकती। इसकी प्रति पृष्ठ छपाई लागत भी अपेक्षाकृत अधिक आती है।

    चैन प्रिन्टर (Chain Printer)  

    इस प्रिन्टर में धातु से निर्मित निश्चित गति से घूमने वाली एक चैन होती हैं जिसे प्रिन्ट चैन कहते हैं। चेन में करेक्टर होते हैं। चेन की प्रत्येक कड़ी में एक करेक्टर का फॉन्ट होता है। चैन क्षैतिज चलती है तथा कागज चेन के सापेक्ष ऊर्ध्वाधर चलता है। जिस स्थान पर कोई करेक्टर प्रिन्ट होना होता है उस स्थान पर हथौड़े का प्रहार होता है जिससे करेक्टर कागज पर छप जाता है। इस प्रिंटर से पूरी पंक्ति (लाइन) एक साथ छपती है। यह एक उच्च कोटि का प्रिंटर है। इसके छापने की गति 300 से 3000 लाइन प्रति मिनट है।

    ड्रम प्रिंटर (Drum Printer):-

    इस प्रिन्टर में एक बेलनाकार आकृति का तेज घूमने वाला ड्रम लगा होता है जिसकी सतह पर करेक्टर लगे रहते हैं। जब ड्रम घूमता है तो तीव्र गति के हथौड़े द्वारा छापे जाने वाले करेक्टर पर प्रहार किया जाता है जिससे वह करेक्टर कागज पर छप जाता है। ड्रम के प्रत्येक घूर्णन में एक पंक्ति छपती है। यह भी एक उच्च गति का प्रिंटर है।

  • ड्रम प्रिन्टर है-
    A. करेक्टर प्रिन्टर B. लाइन प्रिन्टर
    C. पेज प्रिन्टर D. ग्राफिक्स प्रिन्टर
    उत्तर- B

नॉन-इम्पैक्ट प्रिन्टर्स (Non-Impact Printers)

  • नॉन-इम्पैक्ट प्रिन्टर्स करेक्टर्स को रासायनिक, तापीय अथवा इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से स्वरूप प्रदान करते हैं। इन प्रिन्टर्स में प्रिंट हैड और कागज के मध्य सम्पर्क नहीं होता है। इन प्रिन्टर्स की छपाई की गुणवत्ता उत्कृष्ट होती है। किन्तु इन प्रिन्टर्स से एक बार में केवल एक ही प्रति प्रिन्ट हो सकती है तथा इनके लिए विशेष और महंगे कागज की आवश्यकता होती है।
    नॉन-इम्पैक्ट प्रिन्टर्स भी कई प्रकार के होते हैं। यहां तीन प्रकार के नॉन-इम्पैक्ट प्रिन्टर्स की चर्चा की गई है।इंकजैट प्रिंटर (Inkjet Printer):-

    इस प्रिन्टर के प्रिन्ट हैड में अनेक बारीक छिद्रों वाले नोजल लगे होते हैं जिनसे एक विशेष प्रकार की स्याही बूंदों की बौछार के रूप में कागज पर फेंकी जाती है, जिससे कागज पर करेक्टर एवं आकृतियां छप जाती हैं। इस प्रिंटर में बहुत अधिक घनत्व वाली स्याही होती है जो एक विशेष प्रकार के पैक में रहती है जिसे कार्टरिज (Cartridge) कहते हैं। स्याही की बूंदों की बौछार कागज पर सही स्थान पर गिरे इसके लिए नोजल को विद्युत इलेक्ट्रोड से निर्देशित किया जाता है। इस प्रिंटर का आउटपुट अधिक स्पष्ट होता है, क्योंकि प्रत्येक करेक्टर अनेक डॉट्स से मिलकर बना होता है। आउटपुट की प्रिंट क्वालिटी 300 से 600 dpi (dots per inch) होती है। वर्तमान में एक से अधिक प्रिंटिंग हैड वाले इंक जैट प्रिन्टर भी उपलब्ध हैं, जिनकी सहायता से विभिन्न रंगों वाली रंगीन प्रिंटिंग की जा सकती है।

    इस प्रिन्टर की मुख्य समस्या प्रिन्ट हैड के नोजल के सिरों पर स्याही जम जाने (Ink Clogging) छिद्रों का बन्द हो जाना है। इसकी प्रिन्टिंग लागत भी तुलनात्मक रूप से अधिक होती है।

    लेजर प्रिन्टर (Laser Printer)

    यह वर्तमान का सबसे अधिक विकसित प्रिन्टर है। यह लेजर किरणों (Laser Beam) पर आधारित होता है। किसी करेक्टर को छापने के लिए उस पर लेजर किरणें डाली जाती हैं। इसमें करेक्टर को छापने के लिए टोनर (Toner-एक विशेष स्याही का पाउडर) प्रयुक्त होता है।

    लेजर प्रिन्टर मंहगे होते हैं लेकिन अपेक्षाकृत अधिक तीव्र गति तथा उच्च क्वालिटी की छपाई करने में सक्षम होने के कारण ये आजकल सर्वाधिक लोकप्रिय हैं। रंगीन लेजर प्रिन्टर उच्च क्वालिटी का रंगीन आउटपुट देते हैं। इनमें विशेष टोनर होता है, जिससे विविध रंगों के कण उपलब्ध रहते हैं।प्लास्टिक शीट या अन्य किसी शीट पर भी ये प्रिन्टर्स आउटपुट को छाप सकते हैं।

    प्लॉटर Plotter

    प्लॉटर का उपयोग बड़े आकार के नक्शे, चार्ट, त्रिविमिय रेखा चित्र ग्राफ, डिजायन, इलेक्ट्रानिक सर्किट आदि प्रिन्ट करने के लिए किया जाता है। यह आउटपुट डिवाइस है जिसके द्वारा ग्राफिक्स प्रिंट किया जाता है। इसके द्वारा बैनर, पोस्टर तैयार किये जाते हैं। प्लॉटर्स प्रायः दो प्रकार के होते हैं- ड्रम पैन प्लॉटर तथा फ्लेट बैड प्लॉटर।

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