कन्हैयालाल सेठिया: एक कवि जिसने देश की आजादी के समय अपने गीतों से युवाओं को आजादी के लिए प्रेरित किया

  • कन्हैयालाल सेठिया राजस्थान के प्रसिद्ध कवि और स्वतंत्रता सेनानी थे। वह राजस्थानी और हिंदी भाषा के प्रसिद्ध कवि थे। उनकी सर्वाधिक प्रसिद्ध काव्य रचना ‘पाथल-पीथल’ है। उन्होंने राजस्थान में सामंतवाद के खिलाफ आंदोलन किया और पिछड़े वर्ग को समाज की मुख्य धारा में लाने में उनका महत्त्वपूर्ण योगदान है।

कन्हैयालाल सेठिया का जीवन परिचय

  • कन्हैयालाल सेठिया का जन्म 11 सितम्बर, 1919 का राजस्थान के चुरू जिले के सुजानगढ़ नामक जगह पर हुआ। उनके पिता छगनमल और माता मनोहरी देवी थी। कन्हैयालाल की आरंभिक शिक्षा कलकत्ता में हुई। उनमें बचपन से ही देशप्रेम कूट—कूट कर भरा हुआ था। स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण उनकी शिक्षा बाधित हुई। बाद में उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र, राजनीति और साहित्य में स्नातक की उपाधि हासिल की।
  • वर्ष 1937 में कन्हैयालाल सेठिया की शादी धापू देवी से हुई। इनके दो बेटे— जयप्रकाश तथा विनयप्रकाश और एक बेटी सम्पत देवी दूगड़ हैं।
साहित्य और समाज सेवा में योगदान
  • वर्ष 1941 में उनका छायावादी भावनाओं पर आधारित एक काव्य संग्रह ‘वनफूल’ प्रकाशित हुआ। लेकिन देश की आजादी की छटपटाहट की झलक सेठिया के काव्य संग्रह ‘अग्निवीणा’ के गीतों में दिखाई देती है। इसका एक—एक पद शौर्य भावनाएं जगाने वाला था। यह वर्ष 1942 में प्रकाशित हुआ। इस पर सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया। साथ ही उन पर बीकानेर राज्य ने राजद्रोह का मुकदमा चला था। वह प्रजा परिषद के सदस्य बने, जो राजस्थान में सामंतशाही शासन का विरोध कर रही थी, वहीं दूसरी ओर वह आजादी की लड़ाई भी लड़ रही थी।
  • उन्होंने जमींदारी प्रथा के उन्मूलन और किसानों पर जमींदारों—जागीरदारों की ओर से किए जा रहे अत्याचारों का भी विरोध किया। उन्होंने सुजानगढ़ में शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए। उनके प्रयासों से अनेक युवा क्रांतिकारी बन गए। वर्ष 1934 में उनकी मुलाकात महात्मा गांधी से हुई और सेठिया हरिजन सेवा एवं उत्थान के लिए कार्य करने लग गए। उन्होंने हरिजन बालकों की शिक्षा के लिए एक स्कूल की स्थापना की। इस पर लोगों ने विरोध किया पर वह अपनी धुन के पक्के थे।
रचनाएं
  • उन्होंने आजादी के दौरान महसूस किया कि आमजन को मातृभाषा में ही भाषण देकर प्रेरित किया जा सकता है। यही कारण था कि जागीरदारों के खिलाफ ‘कुण जमीन रो धणी’ जैसी कविता की रचना की और वह लोगों में बहुत लोकप्रिय हुई।
  • कन्हैयालाल सेठिया ने हिंदी, उर्दू और राजस्थानी भाषा में अनेक पुस्तकें लिखी। वह राजस्थानी भाषा को राजस्थान की मातृभाषा बनाने के समर्थक थे। उनकी पहली साहित्यिक रचना राजस्थानी भाषा में ‘रमणियां रा सोरठां’ मानी जाती है। इसके बाद ‘नीमड़ो’ राजस्थानी की लघु पुस्तिका है।
  • उनकी सबसे लोकप्रिय कविता ‘धरती धोरां री’ है। इसके अलावा उन्होंने गळगचिया, मींझर, कूंकंऊ, लीलटांस, धर कूंचा धर मंजळां, मायड़ रो हेलो, सबद, सतवाणी, अघरीकाळ, दीठ, क क्को कोड रो, लीकलकोळिया एवं हेमाणी आदि रचनाएं लिखी।
हिन्दी
  • वनफूल, अग्णिवीणा, मेरा युग, दीप किरण, प्रतिबिम्ब, आज हिमालय बोला, खुली खिड़कियां चौड़े रास्ते, प्रणाम, मर्म, अनाम, निर्ग्रन्थ, स्वागत, देह-विदेह, आकाश गंगा, वामन विराट, श्रेयस, निष्पति एवं त्रयी। उर्दू— ताजमहल एवं गुलचीं।
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सेठिया को मिले सम्मान एवं पुरस्कार

कन्हैयालाल सेठिया को अनेक पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए, जिनमें प्रमुख हैं—

  • वर्ष 1976 में राजस्थानी काव्यकृति ‘लीलटांस’ पर, साहित्य अकादमी, नई दिल्ली द्वारा राजस्थानी भाषा की सर्वश्रेष्ठ कृति के रूप में सम्मानित किया गया।
  • वर्ष 1981 में उन्हें राजस्थानी की उत्कृष्ट रचनाओं हेतु लोक संस्कृति शोध संस्थान, चूरू द्वारा ‘डॉ. तेस्सीतोरी स्मृति स्वर्ण पदक’ सम्मान प्रदान किया गया।
  • वर्ष 1982 में कन्हैयालाल को विवेक संस्थान, कोलकाता द्वारा उत्कृष्ट साहित्य सृजन के लिए ‘पूनमचन्द भूतोड़िया पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।
  • वर्ष 1983 में उन्हें राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर द्वारा सर्वोच्च सम्मान ‘साहित्य मनीषी’ की उपाधि से अलंकृत किया गया।
  • उन्हें वर्ष 1987 में राजस्थानी काव्यकृति ‘सबद’ पर राजस्थानी अकादमी का सर्वोच्च ‘सूर्यमल मिश्रण शिखर पुरस्कार’ प्रदान किया गया।
  • उन्हें 12 मई, 1988 को भारतीय ज्ञानपीठ की ओर से हिन्दी काव्यकृति ‘निर्ग्रन्थ’ पर ‘मूर्तिदेवी साहित्य पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।
  • वर्ष 1992 में राजस्थान सरकार द्वारा ‘स्वतंत्रता सेनानी’ का ताम्रपत्र प्रदान किया गया।
  • वर्ष 2004 में उन्हें भारत सरकार द्वारा देश का चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘पद्म श्री’ से सम्मानित किया गया।
निधन
  • राजस्थान के कवि और स्वतंत्रता सेनानी कन्हैयालाल सेठिया का निधन 11 नवंबर, 2008 को हुआ।

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