- तत्कालीन बीकानेर रियासत के मुख्य अभियन्ता कंवर सेन ने हिमाचल के पानी को थार मरूस्थल तक लाने की अनूठी योजना का प्रारूप ‘बीकानेर राज्य में पानी की आवश्यकता’ के रूप में वर्ष 1948 में भारत सरकार के विचारार्थ रखा। यही योजना इन्दिरा गांधी नहर के लिए आधार बनी।
- पंजाब में व्यास और सतलज नदियों के संगम पर बने हरिके बैराज के बायीं ओर से इन्दिरा गांधी नहर का उद्गम स्थल है।
- रावी एवं व्यास नदियों का 7.59 मिलियन एकड़ फीट पानी राजस्थान के उत्तरी पश्चिमी भाग में सिंचाई, पेयजल, मरूस्थलीकरण को रोकना, पर्यावरणीय संरक्षण, वृक्षारोपण, पशु संपदा का संरक्षण एवं विकास तथा रोजगार के अवसरों में वृद्धि करना जैसे कार्यों के लिए काम लिया जाना निर्धारित है।
नहर की शुरूआत
- इस महत्वाकांक्षी परियोजना का शुभारंभ 30 मार्च, 1958 को भारत के तत्कालीन गृहमंत्री स्व. श्री गोविन्द बल्लभ पंत ने ‘राजस्थान नहर’ के नाम से किया। बाद में 2 नवंबर, 1984 को राजस्थान नहर परियोजना का नाम दिवंगत प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गांधी की याद में ‘इन्दिरा गांधी नहर परियोजना’ कर दिया गया।
- पूर्व उप राष्ट्रपति स्व. डॉ. एस. राधाकृष्णन द्वारा 11 अक्टूबर, 1961 को नौरंगदेसर वितरिका से सर्वप्रथम जल प्रवाहित कर मरूभूमि में विकास के महायज्ञ की शुरूआत की गई।
- राजस्थान के इतिहास में 1 जनवरी, 1987 का दिन स्वर्णिम अक्षरों में अंकित रहेगा जब ‘मरूगंगा’ इन्दिरा गांधी नहर ने विशाल एवं दुर्गम मरूस्थल को भेदते हुए 649 किलोमीटर लम्बी यात्रा पूरी की और हिमाचल कापानी जैसलमेर जिले के सुदूर मोहनगढ़ पहुंचा।
परियोजना के बारे में मुख्य तथ्य
- इन्दिरा गांधी फीडर की लम्बाई : 204 किलोमीटर है।
- मुख्य नहर की लम्बाई : 445 किलोमीटर है
- इन्दिरा गांधी नहर परियोजना की कुल लम्बाई 649 किलोमीटर रखी गई।
- इसे राजस्थान की मरूगंगा और थार मरूस्थल की जीवन रेखा भी कहा जाता है।
- शाखाओं एवं छोटी नहरों की लम्बाई : 8120 किलोमीटर है
- इन्दिरा गांधी फीडर के तले की चौड़ाई : 134 फीट
- इन्दिरा गांधी फीडर की गहराई : 21 फीट
- परियोजना के अंतर्गत 1200 क्यूसेक्स पानी केवल पेयजल, उद्योगों, सेना व ऊर्जा परियोजनाओं के लिए आरक्षित किया गया है। विशेष तौर से चूरू, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर, जैसलमेर, बाड़मेर, नागौर और जोधपुर जैसे रेगिस्तानी जिलों के निवासियों को इस परियोजना से पेयजल सुविधा उपलब्ध कराने के प्रयास जारी है।
निर्माण कार्य
- प्रशासनिक सुविधा को ध्यान में रखते हुए योजना को दो चरणों में बांटा गया है।
- प्रथम चरण में 204 किलोमीटर इन्दिरा गांधी फीडर व मसीतावाली हैड से पूगल हैड तक 189 किलोमीटर लम्बी मुख्य नहर तथा संबंधित वितरण प्रणाली (साहवा लिफ्ट नहर प्रणाली के अतिरिक्त) सम्मिलित है।
- इस चरण की कंवरसेन लिफ्ट नहर के अतिरिक्त शेष नहरों के रखरखाव व संचालन का दायित्व जल संसाधन विभाग को सौंपा जा चुका है।
- द्वितीय चरण में इन्दिरा गांधी नहर के 189 किलोमीटर से आगे 445 किलोमीटर तक (कुल 256 किलोमीटर) का सम्पूर्ण निर्माण कार्य (साहबा लिफ्ट नहर प्रणाली सहित) शामिल है।
व्यय
- वर्ष 1993 के तखमीनों (व्यय आदि का अनुमान) तथा वर्ष 1995, 1997 में राज्य मंत्रिमण्डल द्वारा लिए गए निर्णयों के अनुसार प्रथम चरण का प्रस्तावित सिंचित क्षेत्र 5.53 लाख हेक्टेयर, द्वितीय चरण का प्रस्तावित सिंचित क्षेत्र 14.10 लाख हेक्टेयर कुल 19.63 लाख हेक्टेयर था किन्तु राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2005 में विगत वर्षों में सिंचाई हेतु पानी की उपलब्धता में कमी के परिप्रेक्ष्य में वर्तमान में परियोजना में 16.17 लाख हेक्टेयर सिंचित क्षेत्र सिंचित क्षेत्र (प्रथम चरण 5.46 लाख हेक्टेयर+द्वितीय चरण 10.71 लाख हेक्टेयर) में ही प्राथमिकता से कार्य पूर्ण कर सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवा दी गयी है। द्वितीय चरण के 10.71 लाख हेक्टेयर सिंचित क्षेत्र में 3.47 लाख हेक्टेयर सिंचित क्षेत्र लिफ्ट नहरों का सम्मिलित है, जिनसे हनुमानगढ़, चूरू, बीकानेर, जोधपुर तथा जैसलमेर जिलों में सिंचाई एवं पेयजल की सुविधा प्राप्त हो रही है।
- द्वितीय चरण के नवीनतम संशोधित तखमीने के अनुसार प्रवाह क्षेत्र में खालों एवं लिफ्ट क्षेत्र में फव्वारा सिंचाई कार्यों सहित इसकी कुल अनुमानित लागत 6921.32 करोड़ रुपये है।
- खालों के निर्माण के अतिरिक्त शेष कार्य की लागत 5887.56 करोड़ रुपये हैं। जिसमें से मार्च, 2017 तक 4321.11 करोड़ रुपये व्यय हो चुके हैं।
- परियोजना में द्वितीय चरण की 6 लिफ्ट योजनाओं में पायलट प्रोजेक्ट अंतर्गत 27449 हेक्टेयर क्षेत्र में फव्वारा सिंचाई स्थापना हेतु विभाग द्वारा करवाए जाने वाले निर्माण कार्य पूर्ण हो चुके हैं।
- जल उपभोक्ता संगठनों द्वारा विद्युत कनेक्शन लेकर फव्वारा पद्धति से सिंचाई आरंभ की जा चुकी है।
- इन्दिरा गांधी नहर परियोजना एशिया की सबसे बड़ी मानव निर्मित नहर परियोजना है। विश्व की सबसे लम्बी एवं बहुउद्देशीय सिंचाई परियोजना है।
लिफ्ट नहरें
- नहर के बायीं ओर का इलाका ऊंचा होने व पानी के स्वतः प्रवाहित न होने के कारण नहर प्रणाली पर 7 लिफ्ट नहरें बनाई गई हैं।
लिफ्ट नहर : लाभान्वित जिलें
- चौधरी कुंभाराम लिफ्ट नहर (नोहर साहबा लिफ्ट नहर): हनुमानगढ़, चूरू, बीकानेर, झुंझुनूं
- कँवरसेन लिफ्ट नहर (बीकानेर लूणकरणसर लिफ्ट नहर): बीकानेर एवं श्रीगंगानगर, सबसे लम्बी लिफ्ट नहर।
- पन्नालाल बारूपाल लिफ्ट नहर (गजनेर लिफ्ट नहर): बीकानेर, नागौर
- वीर तेजाजी लिफ्ट नहर (भैंरूदान बांगडसर लिफ्ट नहर): बीकानेर
- डॉ. करणीसिंह लिफ्ट नहर (कोलायत लिफ्ट नहर): जोधपुर, बीकानेर
- गुरु जम्भेश्वर लिफ्ट नहर (फलौदी लिफ्ट नहर): जोधपुर, बीकानेर, जैसलमेर
- जयनारायण व्यास लिफ्ट नहर (पोकरण लिफ्ट नहर): जैसलमेर, जोधपुर
उद्देश्य
- मरूस्थल में सिंचाई, मानव व पशुओं के लिए पीने का पानी, पशुपालन, वृक्षारोपण, विद्युत उत्पादन, पर्यटन विकास, मण्डी विकास, पशु चारा विकास, राष्ट्रीय शुष्क उद्यान आदि रखे गये हैं।
- इन्दिरा गांधी नहर परियोजना से लाभान्वित जिलों में गंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर, बाड़मेर, जैसलमेर, चूरू, जोधपुर सम्मिलित हैं।