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सेन्ट जेम्स पैलेस (लंदन) | |
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जार्ज पंचम | |
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ब्रिटिश पीएम रैम्जे मैकडोनाल्ड | |
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89 (जिसमें 57 ब्रिटिश भारत के, 16 प्रतिनिधि रियासतों के तथा शेष 16 प्रतिनिधि ब्रिटेन के प्रमुख राजनीतिक दलों के सदस्य थे। देशी रियासतों में अलवर, बीकानेर, भोपाल, पटियाला, बड़ौदा, ग्वालियर तथा मैसूर राज्य के प्रतिनिधि थे।) | |
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हिन्दू महासभा |
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उदारवादी |
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मुस्लिम |
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सिक्ख |
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ऐंग्लो इण्डियन |
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दलित वर्ग |
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व्यापारी |
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कांग्रेस |
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- द्वितीय गोलमेज सम्मेलन
(7 सितम्बर 1931 से 1 दिसम्बर 1931 ई.)
- स्थानः- सेंट जेम्स पैलेस (लंदन)
- भारतमंत्रीः- सर सेम्युअल होर (अनुदारवादी)
- वायसरायः- लॉर्ड विलिंगडन (17 अप्रैल 1931)
- पीएम रैम्जे मैकडोनाल्ड
- गांधीजी 12 सितम्बर को एस.एस. राजपूताना नामक जहाज से इंग्लैण्ड पहुंचे।
- एनी बेसेन्ट एवं मदन मोहन मालवीय व्यक्तिगत रूप से इंग्लैण्ड गये।
- कुल प्रतिनिधि 31
- कांग्रेस कार्यसमिति की एक और सदस्या सरोजनी नायडू भी इसमें भाग लेने गई।
- इन्होंने भारतीय महिलाओं का प्रतिनिधित्व किया।
- महादेव देसाई, जी.डी. बिडला, प्यारेलाल नैय्यर, डॉ. अम्बेड़कर ने सम्मेलन में दलित वर्गों के लिए अलग निर्वाचन मण्डल की मांग की।
- सरकार ने जान-बूझकर सम्मेलन में साम्प्रदायिक समस्या को बढ़ावा दिया।
- गांधीजी ‘अन्य सभी दल साम्प्रदायिक हैं। कांग्रेस ही एकमात्र भारतीयों के हितों का प्रतिनिधित्व करने का दावा कर सकती है। कांग्रेस साम्प्रदायिक संस्था नहीं है। इसका प्लेटफार्म सभी के लिए खुला है।’
- दक्षिणपंथी नेता विंस्टन चर्चिल ने ब्रिटिश सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि वह (सरकार) ‘देशद्रोही फकीर’ (गांधीजी) को बराबर का दर्जा देकर बात कर रही है।
- फ्रेंक मोरेस नामक ब्रिटिश नागरिक ने गांधीजी के बारे में इसी समय कहा कि ‘अर्द्ध नंगे फकीर के ब्रिटिश प्रधानमंत्री से वार्ता हेतु सेण्टपाल पैलेस की सीढ़ियां चढ़ने का दृश्य अपने आप में एक अनोखा और दिव्य प्रभाव उत्पन्न कर रहा था।’
- द्वितीय गोलमेज सम्मेलन साम्प्रदायिक गतिरोध के कारण 1 दिसम्बर को समाप्त घोषित कर दिया।
- 28 दिसम्बर 1931 को लंदन से गांधी जी ने भीड़ को सम्बोधित करते हुए कहा – ‘मैं खाली हाथ लौटा हूं, परन्तु अपने देश की इज्जत को मैंने बट्टा नहीं लगने दिया।’
तृतीय गोलमेज सम्मेलन
(17 नवम्बर, 1932 – 24 दिसम्बर 1932 ई.)
- भारत सचिव सर सैम्युअल होर इसके विरोधी थे।
- कुल प्रतिनिधि 46 थे।
- 24 दिसम्बर, 1932 ई. को सम्मेलन की समाप्ति के बाद श्वेतपत्र जारी किया गया।
- अध्यक्ष – लॉर्ड लिनलिथगो
- कांग्रेस ने इसमें भाग नहीं लिया।
- सम्मेलन में भारत सरकार अधिनियम 1935 हेतु ठोस योजना के अंतिम स्वरूप को पेश किया गया।