गोकुलभाई भट्ट: राजस्थान के गांधी के नाम से जाने जाते हैं, पढ़ें

 

  • गोकुलभाई भट्ट देश की आजादी के दौरान राजस्थान के लोगों में राष्ट्रीय चेतना जाग्रत करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले क्रांतिकारी थे। उन्हें ‘राजस्थान के गांधी’ नाम से भी पुकारा जाता है। स्वतंत्रता सेनानी के साथ-साथ वह सामाजिक कार्यकर्ता, कवि, पत्रकार, बहुभाषाविद और लेखक थे। वह भारत के संविधान सभा के सदस्य रहे थे।
राजस्थान में जन्मे और बचपन बंबई में गुजरा
  • गोकुल भाई भट्ट का जन्म 19 फरवरी, 1898 को राजस्थान की तत्कालीन सिरोही रियासत के हाथल गांव में एक साधारण ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनका पूरा नाम गोकुलभाई दौलतराम भट्ट था। उनके पिता दौलतराम तथा माता चम्पाबाई सात्विक विचारों वाले थे। उनके पिता बंबई के व्यवसायी के यहां नौकरी करते थे इस कारण से उनका बचपन बंबई में बीता।
  • उनकी आरंभिक शिक्षा बंबई में ही हुई। उन्होंने कृषि विज्ञान में आगे पढ़ाई के लिए यूएसए जाने का विचार किया लेकिन बाद में वह गांधीजी के देश के प्रति समर्पण भाव को देखकर प्रभावित हुए। उन्होंने देश की आजादी और समाज सेवा में अपना जीवन लगा दिया।
गांधी जी के विचारों से प्रभावित होकर कूदे आजादी की लड़ाई में
  • गोकुल भाई ने वर्ष 1920 में असहयोग आंदोलन में भाग लिया। उन पर गांधीजी द्वारा की गई घोषणाओं का ऐसा प्रभाव पड़ा कि उन्होंने सरकारी शिक्षण संस्थाओं का बहिष्कार के दौरान आगे पढ़ने का विचार ही त्याग दिया। वह देश की आजादी में कूद पड़े।
  • गोकुलभाई को पहली बार 6 अप्रैल, 1921 को बम्बई सरकार ने गिरफ्तार किया। वर्ष 1930 के नमक सत्याग्रह के दौरान उन्हें गिरफ्तार किया गया। गोकुलभाई भट्ट जेल से रिहा होने के बाद भूमिगत रहे और आंदोलन में संलग्न रहे जिसके कारण उन्हें पुन: गिरफ्तार कर लिया गया।
  • उन्होंने वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया और 8 अगस्त, 1944 को बम्बई में गिरफ्तार हुए तथा करीब 4 साल जेल में रहे।
भूदान आंदोलन में दिया योगदान
  • उन्होंने मुख्यत: खादी ग्रामोद्योग, शराबबन्दी, गोसेवा प्राकृतिक चिकित्सा, भूदान-ग्रामदान, ग्राम स्वराज के प्रचार-प्रसार किया। उन्होंने राजस्थान में विनोबा भावे के भूदान आंदोलन को सफल बनाने में योगदान दिया। उन्होंने राज्य में जल संरक्षण पर काफी जोर दिया और लोगों को जागरूक भी बनाया।
सिरोही प्रजामंडल की स्थापना
  • गोकुलभाई भट्ट ने 22 जनवरी, 1939 को सिरोही प्रजामंडल की स्थापना की। देश की आजादी के बाद उन्होंने राजस्थान के एकीकरण के दौरान सिरोही जिले के विभाजन और माउंट आबू को गुजरात को सौंपने का विरोध किया। इसके परिणामस्वरूप माउंट आबू राजस्थान का हिस्सा बना रहा। हालांकि, जिले का कुछ हिस्सा गुजरात में सम्मिलित किया गया। गोकुलभाई कुछ समय तक सिरोही रियासत के मुख्यमंत्री भी बने थे।
  • उन्हें वर्ष 1971 में भारत सरकार द्वारा देश के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 1982 को उन्हें जमनालाल बजाज पुरस्कार से नवाजा गया।
  • आजादी के बाद उन्हें वर्ष 1952 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में पाली क्षेत्र से कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में प्रत्याशी बनाया लेकिन वह चुनाव हार गए।
निधन
  • राजस्थान के लोगों में राष्ट्रीय चेतना जाग्रत करने वाले गोकुलभाई भट्ट का देहांत 6 अक्टूबर, 1986 को हुआ था।

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