फड़ पेंटिंग क्या है, सबसे लम्बी फड़ कौनसे लोकदेवता की है

फड़ चित्रण का उदय मेवाड़ राज्य में 700 वर्ष पूर्व माना जाता है।
कपड़े पर प्रचलित लोक गाथाओं का चित्रण को पुरातन पट्ट चित्रण कहते हैं। इस चित्रण को राजस्थानी भाषा में फड़ कहते हैं।
फड़ चित्रण में एक साथ लोक नाट्य, गायन, वादन, मौखिक साहित्य, चित्रकला तथा लोकधर्म का अनूठा मिश्रण देखने को मिलता है।
फड़ चित्रण के माध्यम से किसी लोक देवताओं व लोक नायकों की कथा कहना है जो उनके के जीवन में घटित घटनाओं हुईं। जिनमें प्रमुख है – पाबूजी, रामदेवजी, देवनारायणजी, भगवान कृष्ण एवं दुर्गा माता।
फड़ की लम्बाई अधिक और चौड़ाई कम होती है।
फड़ का वाचन भोपे करते हैं।

फड़ ठण्डी करना –

जब फड़ फट जाती है या जीर्णशीर्ण हो जाती है तो उसे पुष्कर झील में विसर्जित कर देने की क्रिया है।
भीलवाड़ा जिले का शाहपुरा फड़ चित्रण के लिए विश्व प्रसिद्ध है।
श्रीलाल जोशी ने इस कला को राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याती दिलवाई है।
श्री दुर्गालाल को 1967 में व शांतिलाल को 1993 में राष्ट्रपति पदक से सम्मानित किया गया था।

पाबूजी की फड़

‘प्लेग रक्षक व ऊंटों के रक्षक देवता’ पाबूजी की फड़ रावण हत्था वाद्ययंत्र के साथ भोपा वाचन करता है।
ये नायक या आयड़ी जाति के भोपा-भोपिन होते हैं।
फड़ का वाचन रात को होता है।
यह सर्वाधिक लोकप्रिय फड़ है।
इसमें मुंह के आगे भाला व पाबू जी की घोड़ी केसर कालमी को काले रंग से चित्रित किया जाता है।

देवनारायणजी की फड़

गुर्जर जाति के भोपों द्वारा जंतर वाद्ययंत्र पर इस फड़ का वाचन किया जाता है। यह वाचन लोगों में मनौती पूर्ण होने पर करवाया जाता है।
यह सबसे लम्बी गाथा वाली तथा सबसे अधिक चित्रांकन वाली सबसे पुरानी फड़ है।
देवनारायणजी के फड़ सबसे लम्बी फड़ है।
जिस पर इनका जीवनवृत्त लोकशैली के चित्रों में वर्ण व्यंजना एवं विन्यास के साथ चित्रित किया जाता है।
देवनारायणजी की फड़ में चित्रांकन में ‘सर्प’ का चित्र होता है तथा इनकी घोड़ी ‘लीलागर’ को हरे रंग से चित्रित किया जाता है।
देवनारायणजी की फड़ पर भारत सरकार ने 1992 में डाक टिकट जारी किया है।

रामदेवजी की फड़

इसे चौथमल जोशी द्वारा बनाया गया।
इसका वाचन कामड़ जाति के भोपे करते हैं।
इसे रावणहत्था वाद्य यंत्र के साथ गया जाता है।

भैंसासुर की फड़

इस फड़ का वाचन नहीं किया जाता है। इसे बावरी या बागरी जाति के लोग रखते हैं।

अमिताभ की फड़

भारतीय सिनेमा के सुपरस्टार अमिताभ बच्चन की फड़ को मारवाड़ के भोपा रामलाल एवं भोपी पतासी ने एक डॉक्यूमेंट्री में लोकदेवता के रूप में प्रदर्शित किया है।
फड़ चित्र लोक गाथाओं का चित्रण है। जिसे भोपा एवं भोपी द्वारा वाद्ययंत्र द्वारा कहानी को गाकर बताया जाता है।

शांति लाल जोशी को शाहपुरा शैली की फड़ चित्रकारी के लिए कई सम्मान मिल चुके हैं। वर्ष 1991 में राष्ट्रपति डॉ. शंकरदयाल शर्मा के हाथों पुरस्कृत हो चुके हैं। उन्हें इसी साल कलाश्री की उपाधि से सम्मानित किया गया।

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