द्विज किसे कहा जाता था?

निम्नलिखित में से कौन-सी प्रथा-चतुष्टय वेदोत्तर काल में प्रचलित हुई? (IAS,Pre G.S. 1994)
(a) धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष
(b) ब्राह्मण-क्षत्रिय-वैश्य-शूद्र
(c) ब्रह्मचर्य-गृहस्थाश्रम-वानप्रस्थ-संन्यास
(d) इन्द्र-सूर्य-रुद्र-मरुत्
उत्तर सहित व्याख्या: (c)
पूर्ववैदिक काल में केवल गृहस्थाश्रम का उल्लेख मिलता है। उत्तर वैदिक ग्रन्थों से केवल तीन आश्रमों का उल्लेख मिलता है।
संन्यास आश्रम का प्रचलन सूत्रकाल तथा महाकाव्यकाल में होता है।

सर्ग, प्रतिसर्ग, वंश, मन्वन्तर और वंशानुचरित संकेतक हैं?
(a) वेदों के  (b) पुराणों के
(c) उपनिषदों के  (d) सूत्रों के
उत्तर-(b)

प्रसिद्ध सूक्ति “तत्त्वमसि निम्नलिखित में से एक उपनिषद में मिलती है?
(a) छांदोग्य
(b) मुंडक
(c) मांडूक्य
(d) ईशावास्य
उत्तर सहित व्याख्या: (a)
‘तत्वमसि’ (वह तू ही है) की अवधारणा छान्दोग्य उपनिषद में मिलती है।
‘अयमात्मा ब्रह्म’ (यह आत्मा ब्रह्म है) की अवधारणा मांडूक्य उपनिषद में तथा “अहं ब्रह्मास्मि’ की अवधारणा बृहदारण्यक उपनिषद में मिलती है।

किसको वर्णसंकर समझा जाता था? IAS (Pre) Opt. History 1993
(a) जारज जन्म
(b) वर्ण व्यवस्था के विरुद्ध विद्रोह
(c) विवाह के लिए वर्ण की सीमाओं का अतिक्रमण
(d) वर्णाश्रम धर्म का समर्थन

उत्तर सहित व्याख्या: (c)
अन्तर्णीय विवाह से उत्पन्न संतानों को सूत्रकारों ने वर्णसंकर कहा। पूर्व मध्यकाल तक भारत में वर्णसंकर जातियों की संख्या 64 हो गई थी।

“द्विज” किसे कहा जाता था? RAS/RTS (Pre) Opt. History 2008
(a) ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य
(b) क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र
(c) ब्राह्मण, वैश्य, शूद्र
(d) शूद्र, क्षत्रिय ब्राह्मण

उत्तर सहित व्याख्या: (a)
‘द्विज’ के अंतर्गत ब्राह्मण, क्षत्रिय एवं वैश्य को शामिल किया गया था।
शूद्र द्विज कोटि में शामिल नहीं थे।
इन्हीं तीन वर्णों ब्राह्मण, क्षत्रिय एवं वैश्य के लिए ही उपनयन संस्कार का प्रावधान किया गया था। इन्हें ‘द्विज’ कहा जाता था, क्योंकि उपनयन द्वारा इनका दूसरा जन्म होता था।

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