डायनामाइट (Dynamite) :
- इसका आविष्कार सन् 1863 ई. में अल्फ्रेड नोबल ने किया। यह नाइट्रोग्लिसरीन को किसी अक्रिय पदार्थ जैसे लकड़ी के बुरादे में अवशोषित करके बनाया जाता है।
- जिलेटिन डायनामाइट में नाइट्रो सेलुलोस की मात्रा उपस्थित रहती है। इसके विस्फोट के समय उत्पन्न गैसों का आयतन बहुत अधिक होता है।
- आधुनिक डायनामाइट में नाइट्रोग्लिसरीन की जगह सोडियम नाइट्रेट का प्रयोग किया जाता है।
ट्राई नाइट्रो टाल्वीन (TNT):
- यह टाल्वीन (C6H5CH3) के साथ सान्द्र H2SO4 एवं सान्द्र HNO3 की क्रिया से बनाया जाता है।
- इसकी विस्फोटक गति 6900 मीटर प्रति सेकण्ड है।
ट्राइ-नाइट्रो- फिनॉल (TNP) :
- इसे पिकरिक अम्ल भी कहते हैं।
- यह फिनॉल एवं सान्द्र HNO3 अम्ल की क्रिया से बनाया जाता है।
ट्राइ-नाइट्रो-ग्लिसरीन (TNG) :
- यह एक रंगहीन तैलीय द्रव है।
- इसे नोबल का तेल भी कहा जाता है।
- यह डाइनामाइट बनाने के काम आता है।
- यह सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल व सान्द्र नाइट्रिक अम्ल की ग्लिसरीन के साथ अभिक्रिया करके बनाया जाता है।
आरडीएक्स RDX :
- RDX का पूरा नाम Research and Developed Explosive है। इसका रासायनि कनाम साइक्लो ट्राई मिथाइलीन-ट्राई नाइट्रोमाइन है। इसे प्लास्टिक विस्फोटक भी कहा जाता है।
- इस विस्फोटक को यू.एस.ए. में साइक्लोनाइट, जर्मनी में हैक्सोजन तथा इटली में टी-4 के नाम से जाना जाता है।
- RDX में तापमान एवं आग की गति को बढ़ाने के लिए एल्युमिनियम चूर्ण को मिलाया जाता है।
- RDX की विस्फोटक उष्मा 1510 किलो कैलोरी प्रति किग्रा. होती है। इसकी खोज 1899 ई. में जर्मनी के हेंस हेनिंग ने शुद्ध सफेद दानेदार पाउडर के रूप में की थी। इसका उपयोग द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इसे स्थिर यौगिक के रूप में परिवर्तित किए जाने के बाद प्रारंभ हुआ।
गन पाउडर (Gun Powder) :
- इसकी खोज रोजर बैकन ने किया था।
- इसका प्रथम अभिलेखित प्रयोग 1346 ई. में अंग्रेजों द्वारा यूनान युद्ध में किया गया था।