• भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का जन्म भारत के राजनीतिक इतिहास की एक महत्त्वपूर्ण घटना है। इसके लिए कई तत्त्वों ने योगदान दिया, जैसे विश्वविद्यालयों की स्थापना, अंग्रेजी के सामान्य भाषा के रूप में प्रयोग में भारतीयों का एक-दूसरे के निकट आना, सरकार की दमनकारी नीति, देशी भाषा प्रेस अधिनियम, सरकार की अफगान नीति, इल्बर्ट बिल इत्यादि।
  • दिसम्बर, 1885 में ए.ओ. ह्यूम ने उदारवादी बुद्धिजीवी वर्ग के सहयोग से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना की। लेकिन प्रश्न यह उठता है कि बंबई में ब्रिटिश उपनिवेशवादियों को भारत सरकार के भूतपूर्व सचिव और रिपन तथा डफरिन के गैर-सरकारी सलाहकार ए.ओ. ह्यूम के नेतृत्व में इंडियन नेशनल कांग्रेस की स्थापना की क्या आवश्यकता आ पड़ी। इस तथ्य में यह संदर्भ प्रासंगिक है कि लार्ड लिटन के शासनकाल में देश में बड़े गंभीर विद्रोह की संभावना के मद्देनजर ह्यूम ने भारत के तत्कालीन वाइसराय से भेंट करने की आवश्यकता महसूस की और इसके तुरंत बाद कुछ उदारवादी भारतीयों के सहयोग से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना की।
  • यह कहा गया है कि कांग्रेस की स्थापना को प्रोत्साहन देने के पीछे ह्यूम का मुख्य उद्देश्य एक ऐसी ‘सुरक्षा नालिका’ की व्यवस्था करना था, जिसके माध्यम से शिक्षित भारतीयों का बढ़ता हुआ असंतोष बाहर निकलता जाये। उन्होंने शिक्षित वर्ग के असंतुष्ट राष्ट्रवादियों और असंतुष्ट किसानों को एक साथ होने से रोकना चाहा। एक नरमपंथी राष्ट्रीय आंदोलन को संरक्षण देकर उन्होंने उम्मीद कर ली कि वे उसे नियंत्रण से बाहर जाने से बचा लेंगे।
  • जो भी हो, राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना का यह स्पष्टीकरण बिल्कुल अपर्याप्त और भ्रामक है। अधिक से अधिक यह कांग्रेस की स्थापना में एक सीमा तक ह्यूम की भूमिका को स्पष्ट करता है। जिन देशवासियों ने एक अखित भारतीय राष्ट्रीय संगठन की स्थापना के लिए सक्रिय ढंग से काम किया, वे उन नयी सामाजिक शक्तियों के प्रतिनिधि थे, जो ब्रिटिश हित के लिए भारत के शोषण का तेजी से विरोध कर रही थीं। उन्हें एक ऐसे संगठन की आवश्यकता थी, जो भारत के राजनैतिक और आर्थिक विकास के लिए लड़ सके। वे विदेशी सरकार के ‘जी हुजूर- न होकर ऊंचे चरित्र वाले देशभक्त पुरुष थे। उन्होंने ह्यूम से इसलिए सहयोग किया क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि उनके शुरू के राजनीतिक प्रयत्न सरकारी विद्वेष के शिकार हों। उन्हें यह उम्मीद थी कि एक अवकाश प्राप्त प्रशासक की सक्रिय उपस्थिति सरकारी संदेह को दूर करेगी।
  • यदि ह्यूम ने कांग्रेस का उपयोग एक ‘सुरक्षा नालिका’ (सेफ्टी वाल्व) के रूप में करना चाहा तो कांग्रेस के प्रारंभिम नेताओं ने भी उम्मीद की थी कि वे ह्यूम का इस्तेमाल विद्युत प्रतिरोधक (लाइटनिंग कंडक्टर) के रूप में करेंगे।
  • बाद में सन् 1913 में गोपाल कृष्ण गोखले ने इस ओर इशारा करते हुए लिखा, ‘‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना कोई भारतीय कर ही नहीं सकता था। यदि ऐसा कोई अखिल भारतीय संगठन आगे आता तो सरकार उसे अस्तित्व में नहीं आने देती। यदि कांग्रेस के संस्थापक एक महान् अंग्रेज और अवकाश प्राप्त विशिष्ट अधिकारी न होते तो शासन ने कोई न कोई बहाना ढूंढकर उस आंदोलन को दबा दिया गया होता’’