राजस्थान के प्रमुख मुस्लिम संत

ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती, अजमेर ख्वाजा सन 1192 ई. में मुहम्मद गौरी के साथ पृथ्वीराज तृतीय के समय भारत आए और बाद में इन्होंने चिश्तियां परम्परा की नींव डाली। इनका जन्म फारस के संजरी नामक गांव में हुआ। ये हजरत शेख उस्मान हारुनी के शिष्य थे। इन्होंने अपना खानकाह अजमेर में Read more…

रामस्नेही संप्रदाय के प्रवर्तक थे

‘संत भूरी बाई अलख’ का कार्यक्षेत्र था? अ. मारवाड़                    ब. मेवाड़ स. वागड़                         द. गोडवाड़ उत्तर – ब फूलडोल उत्सव मनाया जाता है? अ. परनामी पंथ द्वारा ब. वल्लभ पंथ Read more…

राजस्थान के प्रमुख लोक नृत्य – गैर, गींदड, चंग, डांडिया

घूमर  घूमर नृत्य को राजस्थान के किसी एक क्षेत्र का नृत्य नहीं कहा जा सकता, क्योंकि इसका प्रचलन राजस्थान के प्रायः सभी क्षेत्रों में है।इसे ‘लोकनृत्यों की आत्मा’ कहते हैं। यह राजस्थान का ‘राज्य नृत्य’ है। तीज-त्यौहार तथा अन्य मांगलिक अवसरों पर महिलाओं द्वारा आकर्षक पोशाक पहनकर किया जाने वाला Read more…

राजस्थानी चित्रकला शैलियों के चित्रकार

  शैली चित्रकार किशनगढ़ शैली निहालचंद, अमीरचन्द, धन्ना व छोटू मारवाड़ शैली भाटी देवदास, भाटी शिवदास भाटी, किशनदास नाथद्वारा शैली खूबीराम, घासीराम, रेवाशंकर व पुरुषोत्तम मेवाड़ शैली गंगाराम, भैंरोराम, कृपाराम, साहिबदीन, मनोहर व नासिरूद्दीन अलवर शैली गुलाम अली, सालिगराम, नन्दराम, बलदेव, जमुनादास, डालचन्द व छोटे लाल बूंदी शैली रामलाल, अहमद Read more…

हस्तशिल्प उद्योग

  हस्तशिल्प उद्योग प्रसिद्ध स्थान डोरिया व मसूरिया साड़ियां कोटा खेसला, टुकड़ी बालोतरा, फालना बंधेज साड़ियां जोधपुर चूनरियां व लहरिया जयपुर संगमरमर की मूर्तियां जयपुर मिट्टी की मूर्तियां मोलेला गांव, राजसमन्द लकड़ी के खिलौने उदयपुर, सवाई माधोपुर फड़ चित्रण शाहपुरा, भीलवाड़ा कठपुतलियां उदयपुर कृत्रिम रेशम (टसर) का विकास कोटा, उदयपुर, Read more…

राजस्थानी बोलियां

राजस्थान भौगोलिक दृष्टि से सबसे बड़ा राज्य है। यहां अलग-अलग क्षेत्रों में बोली जाने वाली बोलियों में मारवाड़ी, मेवाड़ी, ढूंढाड़ी, मेवाती व अहीरवाटी प्रमुख है। उत्पत्ति की दृष्टि से राजस्थानी भाषा का उद्भव शौरसेनी अपभ्रंश से हुआ। डॉ. टेसीटोरी के अनुसार 12वीं सदी के लगभग यह भाषा अस्तित्व में आ Read more…

rajasthan ke pramukh mandir

राजस्थान के प्रसिद्ध मन्दिर और उनकी स्थापत्य कला

राजस्थान में मन्दिर स्थापत्य कला मन्दिर शिल्प की दृष्टि से राजस्थान अत्यन्त समृद्ध है तथा उत्तर भारत के मंदिर स्थापत्य के इतिहास में उसका विशिष्ट महत्त्व है। राजस्थान में जो मंदिर मिलते हैं, उनमें सामान्यतः एक अलंकृत प्रवेशद्वार होता है, उसे तोरण द्वार कहते हैं। तोरण द्वार में प्रवेश करते ही Read more…