आमेर के कछवाहा

आमेर के कच्छवाह आमेर राज्य की स्थापना 1137 ई. में दूल्हेराय ने की थी। ये नरवर, मध्य प्रदेश राजपूत कच्छवाह के थे। इन्होंने आमेर के मीणाओं पर हमला किया व दौसा जीता। जमवारामगढ दूसरी राजधानी बनाई। 1207 ई. में कोकिल देव ‘दूल्हेरा के पौत्र‘ ने आमेर जीतकर इसे राजधानी बनाया। Read more…

राजस्थान की लोक देवियां

आई माता बिलाड़ा जोधपुर छुआछूत की को दूर कर निम्न वर्ग को ऊंचा उठाने का कार्य किया। सिरवी समाज की कुल देवी मंदिर में दीपक की ज्योति से केसर टपकती है। दरगाह- मंदिर को कहते हैं, मंदिर में मूर्ति नहीं, जिसे बढेर या थान कहते हैं। नीम के पेड़ के Read more…

राजस्थान के प्रसिद्ध क्रांतिकारी

दामोदर दास राठी जन्म: पोकरण में 8 फरवरी, 1884 ई. को ब्यावर में आर्य समाज व होमरूल लीग (1916) की स्थापना की। ब्यावर में सनातन धर्म, स्कूल, कॉलेज तथा नवभारत विद्यालय की स्थापना की। राजस्थान के स्वतंत्रता संग्राम के भामाशाह कार्यक्षेत्र अजमेर 1989 ई. में राज्य में सबसे पहले सूती Read more…

बीकानेर के राठौड़ वंश की स्थापना किसने की थी?

राव बीका (1465-1504 ई.) करणी माता बीकानेर के राठौड़ों की कुल देवी करणी माता के वरदान से जांगल प्रदेश को जीतकर बीकानेर में राठौड़ वंश की स्थापना की। राव लूणकरण 1505-1526 ई. बिटू सूजा द्वारा रचित राव जैतसी रो छन्द में रावलूणकरण को ‘कलयुगी कर्ण’ कहा है। बीकानेर में लूणकरणसर Read more…

राजस्थान में 1857 की क्रांति

क्रांति शुरू होने के समय राजपूताना में नसीराबाद, नीमच, देवली, ब्यावर, एरिनपुरा एवं खेरवाड़ा में सैनिक छावनियाँ थी। मेरठ में हुए विद्रोह (10 मई,1857) की सूचना राजस्थान के ए.जी.जी. (एजेन्ट टू गवर्नर जनरल) जार्ज पैट्रिक लॉरेन्स को 19 मई, 1857 को प्राप्त हुई। ए.जी.जी. के सामने उस समय अजमेर की Read more…

राजस्थान में 1857 क्रांति की शुरुआत कब हुई ?

राजस्थान में 1857 के विद्रोह की शुरुआत कब हुई ? (अ) 10 मई।     (ब) 28 मई     (स) 10 जून      (द) 18 मई उत्तर – ब राजस्थान में 1857 के महान् विद्रोह की शुरुआत कहाँ से हुई ? (अ) अजमेर (ब) कोटा (स) नसीराबाद (द) नीमच उत्तर Read more…

राजस्थान में कुप्रथाओं का अंत

सती प्रथा राजस्थान में सबसे पहले सती प्रथा पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास जयपुर के महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय द्वारा किया गया। ब्रिटिश प्रभाव से राजस्थान में सर्वप्रथम सती प्रथा को बूंदी नरेश राव विष्णु सिंह ने 1822 ई. में गैर-कानूनी घोषित किया। सती प्रथा को गैर-कानूनी घोषित करने वाले अन्य रियासतें :- Read more…

राजस्थानी साहित्य की प्रमुख कृतियां

  कृति रचनाकार कान्हड़दे प्रबन्ध पद्मनाभ अचलदास खींची री बचनिका गाडण शिवदास कुवलयमाला उद्योतन सूरि वंश भास्कर सूर्यमल्ल मिश्रण सती रासो सूर्यमल्ल मिश्रण बीसलदेव रासो नरपति नाल्ह खुमाण रासो दलपति विजय राम रासो माधोदास दधवाड़िया विजयपाल रासो नल्लसिंह पृथ्वीराज रासो चन्द बरदाई हम्मीर रासो व हम्मीर काव्य सारंगदेव (जोधराज) सेनाणी Read more…

राजस्थान में समाचार पत्रों का विकास

समाचार पत्रों का मुख्य उद्देश्य – राजस्थान की जनता में राजनीतिक चेतना जाग्रत करना था, साथ ही विभिन्न राज्यों में होने वाले आन्दोलनों के प्रति राजस्थान की जनता का ध्यान आकर्षित करनाथा। राजस्थान में समाचार पत्र – राजस्थान में सबसे पहले ईसाई मिशनरियों ने 1864 ई. में ब्यावर में ‘लिथो Read more…

राजस्थान की प्रमुख लोक देवियां

राजस्थान की प्रमुख लोक देवियां निम्नलिखित हैं- करणीमाता मूलनाम – रिद्धीबाई बीकानेर के राठौड़ों व चारणों की कुलदेवी है। मुख्य मंदिर देशनोक (बीकानेर) में है। करणी माता ‘चूहों की देवी’ के नाम से भी जानी जाती है। सफेद चूहों को काबा कहते हैं। करणीजी की ईष्ट देवी ‘तेमड़ा’ थी। चारण Read more…