• आवर्त सारणी के उपवर्ग में 4 ए का सदस्य है।
  • कार्बन का संकेत – C
  • परमाणु संख्या – 6
  • इलेक्ट्रॉनिक विन्यास – 1s22s22p2
  • संयोजी इलेक्ट्रॉनों की संख्या – 4
  • किसी तत्त्व के दो या दो से अधिक रूप जो गुणधर्मों में एक-दूसरे से पर्याप्त भिन्न होते हैं, अपररूप कहलाते हैं तथा इस गुण को अपररूपता कहते हैं।
  • कार्बन प्रकृति में विभिन्न अपरुपों में पाया जाता है। इनके भौतिक गुणधर्म व व्यवहार भिन्न होते हैं।
  • कार्बन मुक्त अवस्था में हीरा, ग्रेफाइट तथा कोयले के रूप में पाया जाता है।
  • कार्बन वर्ग के तत्वों में लेड को छोड़कर सभी अपरूपता का गुण प्रदर्शित करते हैं।
क्रिस्टलीय अपररूप 
  • वह अपररूप जिसमें कार्बन परमाणु एक निश्चित व्यवस्था में व्यवस्थित रहते हुए एक निश्चित ज्यामिति से निश्चित बन्धकोण का निर्माण करते हैं, क्रिस्टलीय अपररूप कहलाते हैं।
हीरा 
  • हीरे में कार्बन का प्रत्येक कार्बन परमाणु के चार अन्य परमाणुओं के साथ आबंधित होकर एक दृढ़ त्रिआयामी चतुष्फलकीय संरचना का निर्माण करता है।
  • यह कार्बन का अतिशुद्ध रूप है।
  • इसमें कार्बन-कार्बन के मध्य बन्ध दूरी 1.54 A0 होती है।
  • ये विद्युत के कुचालक होते हैं क्योंकि कार्बन की चारों संयोजकताएं चार अन्य कार्बन परमाणुओं से जुड़ी होती है अतः मुक्त इलेक्ट्रॉन नहीं होते हैं।
  • हीरे की संरचना में प्रबल सहसंयोजक बंधों का त्रिविम जाल होता है। अतः यह अत्यधिक कठोर होता है। हीरा अब तक का ज्ञात सर्वाधिक कठोर पदार्थ है।
  • हीरे का गलनांक 3843 k होता है।
  • कोयले की परतों पर चट्टानों का दाब पड़ने से हीरा पारदर्शक हो जाता है।
  • शुद्ध कार्बन को अत्यधिक उच्च दाब एवं ताप पर उपचारित (subjecting) करके हीरे को संश्लेषित किया जा सकता है।
  • हीरे के भार को कैरेट के रूप में व्यक्त किया जाता है। 1 कैरेट में 200 मिली ग्राम वजन होता है।

हीरे का गुण

  • खदानों से प्राप्त प्राकृतिक हीरों में चमक नहीं होती। तराशने तथा पॉलिश करने के बाद उनमें विशेष चमक उत्पन्न होती है।
  • यह चमक हीरे के भीतर प्रकाश के कई बार परावर्तन के कारण उत्पन्न होती है।
  • यह रंगहीन, पारदर्शी क्रिस्टलीय ठोस है। अशुद्धियों के कारण हीरों में विशेष रंग पाए जाते हैं।
  • दृढ़ संरचना के कारण इनका घनत्व (3.5 ग्राम/ cm3) होता है। दृढ़ एवं भंगुर होता है अर्थात चोट मारने पर छोटे-छोटे टुकड़ों में टूट जाता है।
  • विद्युत का कुचालक होता है अर्थात इसमें विद्युत धारा प्रवाहित नहीं की जा सकती है।
  • ऊष्मा का अच्छा चालक है।
  • वायु की अनुपस्थिति में उच्च ताप पर (लगभग 3500 डिग्री सेल्सियस) गर्म करने पर सीधे ठोस से वाष्प में बदल जाता है।
  • वायु की उपस्थिति में उच्च ताप पर गर्म करने पर कार्बन डाइऑक्साइड गैस बनती है।

             C+O2 = CO2  

हीरे का उपयोग
  • कांच को काटने में कटर के रूप में
  • चट्टानों एवं पत्थर काटने की मशीन में इसका उपयोग होता है।
  • फोनोग्राम की सुई बनाने में।
  • कई रत्नों, आभूषणों के निर्माण में हीरे का उपयोग होता है।
ग्रेफाइट
  • ग्रेफाइट ग्रेफो शब्द से बना है जिसका अर्थ होता है लिखना।
  • ग्रेफाइट में कार्बन का प्रत्येक परमाणु कार्बन के तीन अन्य परमाणुओं के साथ एक ही तल में बनाते हुए षट्कोणीय वलय संरचना बनाते हैं। इनमें से एक बन्ध द्विबंधी होता है। जिससे कार्बन की संयोजकता पूरी होती है।
  • ग्रेफाइट की संरचना में षट्कोणीय तल एक-दूसरे के ऊपर व्यवस्थित होकर परत संरचना का निर्माण करते हैं।
  • दो परतों के मध्य दुर्बल बन्ध होने तथा उनके मध्य दूरी अधिक होने से एक परत दूसरी परत पर फिसल सकती है। यही कारण है कि ग्रेफाइट को शुष्क स्नेहक के रूप में प्रयुक्त करते हैं।
  • मुक्त इलेक्ट्रॉनों की उपस्थिति एवं दो परतों के मध्य उपस्थित स्थान के कारण ग्रेफाइट विद्युत का सुचालक होता है।
  • ग्रेफाइट काले धूसर रंग का मुलायम पदार्थ होता है।
  • ग्रेफाइट चिकना तथा फिसलनशील पदार्थ होता है।
  • यह चमकीला पदार्थ होता है।
ग्रेफाइट के उपयोग 
  • ग्रेफाइट पेंसिल में प्रयुक्त होता है।
  • शुष्क स्नेहक के रूप में काम आता है।
  • इलेक्ट्रॉड बनाने में काम आता है।
  • लोहे की वस्तुओं पर पॉलिश के काम
  • नाभिकीय परमाणु भट्टी में मंदक के रूप में
Read More- मूत्र का रंग किस तत्व के कारण होता है
फुलरीन
  • फुलरीन की संरचना एक फुटबाल की तरह होती है।
  • अमेरिका के प्रसिद्ध वास्तुकार बकमिन्सटर फुलर के नाम पर इसका नाम फुलरीन रखा गया।
  • फुलरीन के अणु में 60, 70 या अधिक कार्बन परमाणु भी पाए जाते हैं।
  • C60 सर्वाधिक स्थायी फुलरीन है जिसे बकमिन्सटर फुलरीन भी कहते है।
  • C60 की संरचना में 32 फलक होते हैं जिसमें 20 फलक षट्कोणीय तथा 12 फलकपंचकोणीय होते हैं। इसकी संरचना फुटबॉल के समान होती है। अतः इसे ‘बकीबॉल’ भी कहा जाता है।
  • C60 विद्युत का कुचालक होता है एवं इसमें कार्बन-कार्बन बंध की लम्बाई 1.40 A होती है।
  • फुलरीन गोल गुम्बद के समान लगते हैं।
फुलरीन के उपयोग
  • प्राकृतिक गैस के शुद्धिकरण में
  • आण्विक बेयरिंग में
  • उच्च ताप पर अतिचालक होने के कारण तकनीकी रूप से यह कार्बन का महत्त्वपूर्ण अपररूप है।

अक्रिस्टलीय अपररूप मुख्यतः निम्नं प्रकार का होता है –

कोल

कोक

काष्ठ चारकोल

जन्तु चारकोल

काजल

गैस कार्बन

क्रिस्टलीय तथा अक्रिस्टलीय अपररूप में मुख्य अंतर –

क्रिस्टलीय अपररूपअक्रिस्टलीय अपररूप
वह अपररूप जिसमें कार्बन परमाणु एक निश्चित व्यवस्था में व्यवस्थित रहते हुए एक निश्चित ज्यामिति से निश्चित बंध कोण का निर्माण करते हैं, क्रिस्टलीय अपररूप कहलाते हैं।कार्बन के वह अपररूप जिनमें कोई निश्चित ज्यामिति और बंध कोण नहीं पाया जाता है, अक्रिस्टलीय अपररूप कहलाते हैं।

रेलवे भर्ती बोर्ड द्वारा विभिन्न परीक्षाओं में पूछे महत्वपूर्ण प्रश्न

एक डायमंड में, प्रत्येक कार्बन परमाणु … से बंधे होते हैं?
अ. पांच अन्य कार्बन परमाणुओं
ब. तीन अन्य कार्बन परमाणुओं
स. दो अन्य कार्बन परमाणुओं
द. चार अन्य कार्बन परमाणुओं
उत्तर— द

…. कार्बन का एक रूप नहीं है?
अ. हीरा
ब. सिलिकॉन
स. फुलरीन
द. ग्रैफीन
उत्तर— ब

निम्नलिखित में से कौन सा विभिन्न रूपों में मौजूद हो सकता है?
अ. सिलिकॉन
ब. पोटैशियम
स. कार्बन
द. मैग्नीशियम
उत्तर— स

कार्बन का निम्नलिखित में से कौन—सा अपरूप धातुकर्म में अपचायक माध्यम के रूप में कार्य करता है?
अ. कोक
ब. कार्बन ब्लैक
स. चारकोल
द. ग्रेफाइट
उत्तर— अ
व्याख्या— कोक को मुख्यत: कोयले के प्रभंजक आसवन द्वारा प्राप्त किया जाता है। यह कोयले से प्राप्त किया जाने वाला ठोस ईंधन है।
इसमें लगभग 80—85 प्रतिशत तक कार्बन होता है।
कोक का प्रयोग धातु अयस्कों से धातु को निकालने के लिए अपचयन एजेंट के रूप में किया जाता है।
कोक के प्रयोग से जल गैस एवं प्रोड्यूसर गैस जैसे गैसीय ईंधन भी बनते हैं।
कोक का उष्मीय मान कोयले के उष्मीय मान से कहीं अधिक होता है।

निम्नलिखित में से कौन सा अच्छा स्नेहक है?
अ. हीरक चूर्ण
ब. ग्रेफाइट चूर्ण
स. गलित कार्बन
द. कार्बन और लोह की मिश्रधातु
उत्तर— ब

कार्बन का वह रूप, जिसे ग्रेफाइट कहते हैं—
अ. हीरे से अधिक कठोर होता है।
ब. हीरे की अपेक्षा कार्बन की अधिक प्रतिशतता वाला होता है।
स. हीरे की अपेक्षा बेहतर विद्युत चालक होता है।
द. सभी दिशाओं में कार्बन से कार्बन की समान दूरियां वाला होता है।
उत्तर— स

सीसा (लेड) पेन्सिलों के निर्माण में, निम्नलिखित में से किसका प्रयोग होता है?
अ. चारकोल
ब. ग्रेफाइट
स. कोक
द. कार्बन कज्जल
उत्तर— ब

हीरे के लिए निम्नलिखित में से कौन—सा एक सत्य नहीं है?
अ. प्रत्येक कार्बन परमाणु, चार अन्य कार्बन परमाणुओं से सहलग्न होता है।
ब. कार्बन परमाणुओं की त्रिविमीय जाल संरचना बनती है।
स. इसका उपयोग कठोर औजारों में धार लगाने के लिए अपघर्षक के रूप में किया जाता है।
द. इसका उपयोग स्नेहक के रूप में किया जा सकता है।
उत्तर— द

निम्नलिखित में से कौन—सा एक कार्बन का अपररूप नहीं है?
अ. कोयला
ब. हीरा
स. ग्रेफाइज
द. ग्रैफीन
उत्तर— अ

कार्बन का कौनसा अपररूप दृढ़ त्रिविम संरचना के रूप में होता है?
अ. ग्रेफाइट
ब. फुलरीन
स. हीरा
द. कोक
उत्तर— स

निम्नलिखित में से कौन—सा कार्बन का संयुक्त रूप नहीं है?
अ. चॉक
ब. मार्बल
स. हीरा
द. डोलमाइट
उत्तर— स

ग्रैफीन क्या है?
अ. कार्बन का अपरूप
ब. एक लोकप्रिय ग्राफिक्स सॉफ्टवेयर
स. एक पौराणिक जानवर
द. एक संक्रमित घाव

उत्तर— अ


3 Comments

BIJENDRA ADHANA · December 18, 2019 at 5:19 am

Puri jankari dene ke liye thanks

Vishal Kumar · January 24, 2021 at 3:48 pm

Very good start aap

Rajendra singh · September 14, 2021 at 4:25 am

Very amazing and useful collection….
Really i appreciate u…..
Thank u dear

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