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बजट

बजट के उद्देश्य-
  1. देश की अर्थव्यवस्था को दिशा प्रदान करना बजट का प्रमुख उद्देश्य होता है। देश की अर्थव्यवस्था सरकार के बजट से प्रभावित होती हैं। बजट के प्रमुख मुख्य उद्देश्य निम्न है- सरकारी बजट से न केवल विकास प्रभावित होता है बल्कि विकास की दिशा भी बजट से निर्धारित होती है।
  2. उत्पादन बढ़ानें मे भी बजट की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण होती है बजट में राहत द्वारा दिये गये करारोपण सम्बन्धी रियायतों एवं शुल्क में राहत द्वारा दिये गये प्रोत्साहन उत्पादन वृद्धि में सहायक होते हैं।
  3. सामान्यतया सरकार बजट के माध्यम से नये कर लगाकर और जनता से ऋण लेकर उसकी क्रय शक्ति में कमी करते हुये कीमत स्तर को नियन्त्रित करती है।
  4. देश के आर्थिक व सामाजिक विकास को गति देना एवं आय व धन का पुनर्वितरण करना।
  5. देश की उत्पादन संरचना एवं उत्पादन के स्तर को दिशा देना। बजट में करारोपण सम्बन्धी रियायतें एवं प्रोत्साहन उत्पादन वृद्धि में सहायक होता है।
  6. देश में प्रचलित मुद्रा स्फीति एवं अवस्फीति का उपचार बजट प्रावधानों में परिवर्तन द्वारा किया जाता है। जिससे आर्थिक स्थिरता के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।
  7. कल्याणकारी राज्य की स्थापना का लक्ष्य बजट की  सहायता से प्राप्त किया जा सकता है।
  8. आर्थिक असमानता पर रोक, सामाजिक सुरक्षा हेतु विभिन्न योजनाओं का क्रियान्वयन, आर्थिक विकास हेतु योजनाओं का निर्माण बजट के प्रावधानों के माध्यम से ही किये जाते है।
बजट के प्रकार
  1. राजस्व एवं पूँजीगत बजट:-
राजस्व बजट (Revenue Budget) पूंजीगत बजट (Capital Budget)
प्राप्तियों की मदें व्यय की मदें प्राप्तियों की मदें व्यय की मदें
–   आयकर – सरकारी सेवाओं पर व्यय – निवल घरेलू ऋण – परिसम्पत्तियों का निर्माण
–   लाभ व लाभांश –   ब्याज अदायगी –   निवल विदेशी ऋण –   संचित कोष

 

–   ब्याज आय –   अनुदान –   ऋण वापसी –   आकस्मिक कोष
–   गैर कर आय –   सब्सिडी –   लोक सेवा प्राप्तियां
–   सामान्य आर्थिक सेवाएं
–   सार्वजनिक निर्माण

 

  1. सरकार की कुल आय एवं कुल व्यय में समानता या अन्तर के आधार पर भी सरकारी बजट के प्रमुख तीन प्रकार निम्न हैं –
(i) बचत का बजट (Surplus Budget)
(ii) सन्तुलित बजट (Balanced Budget)
(iii) घाटे का बजट (Deficit Budget)
बदलते परिवेश मे बजट के प्रकार
  1. सामान्यतया सरकारी बजट एक वित्तीय वर्ष की अवधि से सम्बन्धित होता है भारत में वित्तीय वर्ष 1 अप्रेल से 31 मार्च तक होता है। अर्थव्यवस्था में बदलती हुयी परिस्थितियों, बढ़ते सरकारी हस्तक्षेप के कारण बजट की प्रक्रिया एवं बजट के स्वरूप में आधुनिक युग मे परिवर्तन हुये हैं, जिन्हें निम्न प्रकार वर्गीकृत किया जा सकता है।
आम बजट –

पूरक बजट-

लेखानुदान-
निष्पादन बजट: –
जीरोबेस बजट:-
आउटकम बजट: –
जेन्डर बजटिंग: –
संघीय, प्रान्तीय एवं स्थानीय संस्थाओं के बजट-
सामान्य एवं संकटकालीन बजट-
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