हेस्टिंग्ज के सुधार शासन संबंधी सुधारः

बंगाल में द्वैध शासन का अन्तः
  • हेस्टिंग्ज ने दोहरे शासन प्रबंध को समाप्त कर शासन सूत्र कम्पनी के अधिकार में ले लिया। दोनों नायब दीवानों रजा खां और शितबराय को पदच्युत कर दिया और उन पर मुकदमा चलाया।
  • कर वसूल करने के लिए प्रत्येक जिले में एक अंग्रेज अधिकारी नियुक्त कर दिया, जिसे कलेक्टर कहा जाता था। इसकी सहायता के लिए अनेक अधिकारी नियुक्त किये गये। कई जिलों पर एक अंग्रेज कमिश्नर भी नियुक्त किया।
नवाब का अन्तः
  • बंगाल के नवाब नाजिमउद्दौला को शासन के उत्तरदायित्व से मुक्त कर दिया। उसकी पेंशन 32 लाख वार्शिक के स्थान पर 16 लाख रूपये कर दी।
भूमि-प्रबंध और मालगुजारी के सुधारः
  • हेस्टिंग्ज ने लगान वसूली और भूमि प्रबंध के भी अनेक सुधार किये। जमींदारी प्रथा के स्थान पर भूमि का पंचवर्शीय प्रबंध लागू किया। कर निर्धारण करके वसूली का कार्य ठेकेदारों को दे दिया।
  • यह ठेकेदारी प्रथा अच्छी नही रही, क्योंकि ठेकेदार कृषकों से मनमाना कर वसूल करने लगे थे।
राजस्व समिति का गठनः
  • लगान वसूली कार्यक्रम को ठोस और उत्तम बनाने की दृष्टि से 1781ई. में नया परिवर्तन किया। उसने मुर्शिदाबाद के स्थान पर कलकत्ता को अपनी राजधानी बनाया राजकोष वहां स्थानान्तरित कर दिया।
  • राजस्व समिति का गठन किया तथा कर वसूली करने का सम्पूर्ण दायित्व प्रान्तीय गवर्नरों को सौंपा।

लॉर्ड कार्नवालिस 1786-93 ई.

  • उसके समय में जिले के अधिकार कलेक्टर के हाथों में दे दिए गए।
  • पुलिस कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि के साथ ही, ग्रामीण क्षेत्रों में पुलिस अधिकार प्राप्त जमींदारों को इस अधिकार से वंचित कर दिया गया।
  • कलकत्ता, मुर्शिदाबाद, ढाका तथा पटना में 4 प्रान्तीय न्यायालय की स्थापना की गई।
  • भारतीय नागरिक सेवा का जनक कार्नवालिस को माना जाता है।
  • न्यायिक क्षेत्र में ‘शक्ति के पृथक्कीकरण’ के सिद्धांत का जन्मदाता कार्नवालिस था।
  • कार्नवालिस संहिता 1793 ई. एवं रेवेन्यू बोर्ड की स्थापना की।
  • कम्पनी के कर्मचारियों के व्यक्तिगत व्यापार पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
  • प्रत्येक जिला में पुलिस थाना की स्थापना कर एक दरोगा को इसका इंचार्ज बनाया गया।
  • कार्नवालिस ने प्रशासनिक व्यवस्था का यूरोपीयकरण किया।
  • स्थायी भूमि बंदोबस्त 1793 ई. की योजना, जिसे ‘जॉन शोर’ ने बनाई थी, बंगाल, बिहार, उड़ीसा, बनारस एवं मद्रास के उत्तरी जिलों में लागू की गई। इसमें जमींदार भू-राजस्व की दर तय करने के लिए स्वतंत्र थे।

सर जॉन शोर 1793-98 ई.

  • इसने अहस्तक्षेप की नीति अपनाई।

लॉर्ड वेलेजली 1798-1805 ई.

  • भारत में सहायक संधि का जनक वेलेजली को माना जाता है।
  • सहायक संधि करने वाले प्रमुख राज्य थे –
    हैदराबाद 1798 ई.
    मैसूर 1799 ई.
    तंजौर अक्टूबर 1799 ई.
    अवध 1801 ई.
    पेशवा दिसम्बर 1801 ई.
    भोंसले दिसम्बर 1803 ई.
    सिंधिया 1804 ई. एवं अन्य जोधपुर, जयपुर, मच्छेड़ी बूंदी
  • लॉर्ड वेलेजली स्वयं को बंगाल का शेर कहा करता था।
  • इसके समय में फोर्ट विलियम कॉलेज की कलकत्ता में स्थापना की गई।
  • दूसरे कार्यकाल में मृत्यु हो गई।

सर जॉर्ज बार्लो 1805-07 ई.

  • 1806 ई. में वेल्लौर का सिपाही विद्रोह इसी के समय हुआ।

लॉर्ड मिन्टो प्रथम 1807-13 ई.

  • चार्टर एक्ट 1813 पास हुआ। जिसमें पहली बार भारतीय शिक्षा पर 1 लाख रुपये खर्च किये जाने तय हुआ।
  • महाराणा रणजीत सिंह के साथ प्रसिद्ध ‘अमृतसर की संधि’ 1809 ई. की गई।

लॉर्ड हेस्टिंग्स 1813-1823 ई.

  • मार्च 1816 ई. में अंग्रेजों एवं गोरखों के बीच संगोला की संधि के द्वारा आंग्ल-नेपाल युद्ध का अंत हुआ।
  • इसने पिण्डारियों का दमन किया जिसके नेता वासिल मुहम्मद, चीतू एवं करीम खां थे।
  • इसने मराठों की शक्ति को अंतिम रूप में नष्ट कर दिया।
  • इसने प्रेस पर लगे प्रतिबंध को समाप्त कर प्रेस के मार्ग दर्शन के लिए नियम बनाए।
  • 1822 ई. में बंगाल में काश्तकारी अधिनियम लागू किया गया।

लॉर्ड एमहर्स्ट 1823-28 ई.

  • प्रथम आंग्ल बर्मा युद्ध (1824-26) में अंग्रेजों ने बर्मा को पराजित किया और 1826 के मध्य दोनों के बीच यान्डूब की संधि हुई।
    1824 ई. में बैरकपुर की सैनिक छावनी में विद्रोह इसी के समय हुआ।

लॉर्ड विलियम बैंटिक 1828-1835 ई.

  • बैंटिक जे. मिल तथा बैंथम के विचारों से प्रभावित था।
  • 1833 ई. के चार्टर एक्ट द्वारा बंगाल के गवर्नर जनरल को भारत का गवर्नर जनरल बना दिया गया। इस प्रकार वह भारत का पहला गवर्नर जनरल बना।
  • राजा राममोहन राय के सहयोग से बैंटिक ने 1829 ई. में सती प्रथा को समाप्त कर दिया। बैंटिक ने इस प्रथा के खिलाफ कानून बनाकर 1829 ई. में धारा 17 के द्वारा विधवाओं के सती होने को अवैध घोषित कर दिया।
  • अकबर और मराठा पेशवाओं ने भी सती प्रथा पर रोक लगाने का अथक प्रयास किया था।
  • बैंटिक ने कर्नल स्लीमन की सहायता से 1830 ई. में ठगी प्रथा को समाप्त कर दिया।
  • सन 1835 ई. में उसने कलकत्ता मेडिकल कॉलेज की स्थापना की।
  • मैकाले की अनुशंसा पर अंग्रेजी को शिक्षा का माध्यम बनाया गया।
  • मैकाले द्वारा कानून का वर्गीकरण भी किया गया।
  • बैंटिक ने 1831 ई. में मैसूर तथा 1834 ई. में कुर्ग को हड़प लिया।
  • इसके समय सरकारी सेवाओं में भेदभाव को समाप्त करने की घोषणा की गई।
  • बैंटिक ने कार्नवालिस द्वारा स्थापित प्रान्तीय अपीलीय तथा सर्किट न्यायालयों को बंद करवा दिया। इसका कार्य मजिस्ट्रेटों तथा कलेक्टरों में बांट दिया गया।
  • इसने न्यायालय में फारसी के स्थान पर स्थानीय भाषाओं के प्रयोग की अनुमति दी।
  • इसने भारतीयों को उत्तरदायी पदों पर नियुक्त किया।
  • उसने शिशु बालिका की हत्या पर भी प्रतिबंध लगा दिया।

चार्ल्स मेटकॉफ 1835-36 ई.

  • इसने समाचार पत्रों से प्रतिबंध हटाया। इसे ‘समाचार पत्रों का मुक्तिदाता’ कहा गया है।

लॉर्ड ऑकलैण्ड 1836-42 ई.

  • 1839 ई. में इसने दिल्ली से कलकत्ता तक ग्रांड ट्रंक रोड की मरम्मत करवायी।
  • प्रथम आंग्ल-अफगान युद्ध (1838-42) युद्ध समाप्त हुआ एवं रणजीत सिंह तथा शाहशुजा के मध्य त्रिदलीय संधि सम्पन्न हुई।

लॉर्ड एलनबरो 1842-44 ई.

  • 1843 ई. के एक्ट-5 के द्वारा दास प्रथा का उन्मूलन इसी के समय हुआ।
  • उसके समय 1843 ई. में चार्ल्स नेपियर के नेतृत्व में सिंध का ब्रिटिश साम्राज्य में विलय कर लिया गया।
  • कुशल अकर्मण्यता की नीति का सम्पादन लॉर्ड एलनबरो ने किया।

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