बहुलक और प्लास्टिक के प्रकार

बहुलकीकरण

वह अभिक्रिया जिसमें एक ही प्रकार के एक से अधिक अणु आपस में जुड़कर अधिक अणुभार वाला बड़ा अणु बनाते हैं।
बहुलकीकरण में भाग लेने वाले अणुओं को एकलक व उत्पाद को बहुलक कहते हैं। बहुत से असंतृप्त हाइड्रोकार्बन, जैसे— एथिलीन, प्रोपिलीन आदि बहुलकीकरण की क्रिया के बाद जो उच्च बहुलक बनाते हैं। उसे ही प्लास्टिक कहा जाता है।
प्लास्टिक वर्तमान जन जीवन का अभिन्न हिस्सा है, जो प्रदूषण का बड़ा कारण बनता जा रहा है।

प्लास्टिकों को उनकी ताप सहन करने की क्षमता के अनुसार निम्न भागों में विभाजित किया जा सकता है—

थर्मोप्लास्टिक

इस प्रकार के प्लास्टिक के अंतर्गत वे प्लास्टिक आते हैं जो ऊष्मा पाकार शीघ्र पिघल जाते हैं। जैसे— पालीथीन, पॉली वाइनिल क्लोराइड आदि। थर्मोप्लास्टिक को गर्म करके पुन: नए सांचों में ढाला जा सकता है। इसके इसी गुण के कारण इनका पुनर्चक्रण किया जा सकता है।

थर्मोसेटिंग प्लास्टिक

इसके अंतर्गत बैकेलाइट, फिनोल, रेजिन, पालिस्टर, सिलिकॉन, यूरयिा फार्मेल्डिहाइड आदि प्लास्टिक आते हैं। ये ऊष्मा पाकर पिघल जाते हैं, परंतु अधिक ऊष्मा पाकर कड़े हो जाते हैं। इस प्रकार इनका पुनर्चक्रण नहीं किया जा सकता है।

प्लास्टिक के प्रकार—

प्लास्टिक कई प्रकार के होते हैं।

पॉलीथीन —

पॉलीथीन, एथिलीन के उच्च ताप व उच्च दाब पर बहुलकीकरण के फलस्वरूप प्राप्त किया जाता है। यदि बहुलकीकरण में एथिलीन के एन अणु भाग लें तो पॉलीथीन निम्न अभिक्रिया के फलस्वरूप बनता है—

nC2H4           उच्च ताप व दाब                                  (C2H4)n
एथिलीन                                                                           पॉलीथीन

पॉलीथीन पर अम्ल, क्षार आदि का प्रभाव नहीं पड़ता है। इसका उपयोग खिलौने, बोतल, बाल्टी, पाइप व पैकिंग की पन्नी आदि बनाने में किया जाता है।

पॉली वेनिल क्लोराइड—

यह प्लास्टिक वाइनल क्लोराइड के बहुलकीकरण के फलस्वरूप प्राप्त होता है। इसका उपयोग सीट कवर, चादरें, फिल्म, पर्स, बरसाती आदि बनाने में किया जाता है।

पॉलीस्टाइरीन—

पॉलीस्टाइरीन, फेनिल एथिलीन के बहुलकीकरण के फलस्वरूप प्राप्त होता है। इसे स्टाइरोन भी कहा जाता है। इसका उपयोग अम्ल रखने की बोतलों व सेलों के कवर बनाने में किया जाता है।

बैकेलाइट—

बैकेलाइट नामक प्लास्टिक एक थर्मोसेट्स है। इसका आविष्कार 1907—08 में अमेरिकी रसायनविद डॉ. बेकेलैंड ने किया था। इसे फिनॉल और फॉर्मेल्डिहाइड के मिश्रण से प्राप्त किया जाता है। यह ऊष्मा अवरोधी और रासायनिक रूप से स्थायी रेजिन है। इसका उपयोग रेडियो, टेलिफोन और विद्युत कुचालकों के निर्माण में किया जाता है।

कृत्रिम रबर —

कृत्रिम रबर, रबर के पेड़ों से निकले लैटेक्स से बनाया जाता है। कृत्रिम रबर आईसोप्रीन का बहुलक है।

यूरिया फार्मेल्डिहाइड प्लास्टिक —

यह प्लास्टिक यूरिया व फार्मेल्डिहाइड के जलीय विलयन को गर्म करके बनाया जाता है। इसका उपयोग सजावट करने वाली वस्तुओं को बनाने में किया जाता है।

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