अमेरिका का स्वतंत्रता संग्राम: कब हुआ, कारण और परिणाम

  • अमेरिका का स्वतंत्रता संग्राम लेंक्सिंगटन घटना 19 अप्रैल, 1775 से आरम्भ और पेरिस संधि 3 सितम्बर, 1783 ई. को समाप्त हुआ।
  • उपनिवेशों के प्रति कठोर नीति: नए कर
ग्रिनविले की नीति –
  • लॉर्ड ग्रिनविले ने 1763 ई. में यह महसूस किया कि अमेरिका पर खर्च बहुत हो रहा था परन्तु कर इत्यादि कम एकत्र हो रहे थे। उसने इंग्लैण्ड व अमेरिका के आर्थिक सम्बन्धों को नया आयाम देने के लिए एक योजना प्रस्तुत की –
  • जहाजरानी कानूनों को सख्ती से लागू किया जाए और तस्करी को रोका जाए।
    उपनिवेशों पर प्रत्यक्ष कर लगाये जाएं
  • ग्रिनविले ने उपनिवेशों को प्रभावित करने वाले चार अधिनियम प्रस्तावित किये, जिनमें दो प्रमुख हैं-
  • शुगर एक्ट (मोलिसेज एक्ट, 1764 ई.)
  • स्टाम्प एक्ट, 1765 ई.
करेन्सी एक्ट व क्वार्टरिंग एक्ट
  • करेंसी एक्ट के द्वारा अमेरिकी उपनिवेशों में दूसरे देशों के साथ प्रचलित हुण्ड़ी तथा कागजी मुद्रा पर रोक लगा दी, जिससे व्यापार में केवल अंग्रेजी मुद्रा का प्रयोग हो।
    क्वार्टरिंग एक्ट के अन्तर्गत अमेरिका में इंग्लैण्ड की सेनाओं के रख-रखाव के खर्च का कुछ अंश उपनिवेशों को उठाना आवश्यक था।
    शुगर एक्ट के अन्तर्गत इंग्लैण्ड के अतिरिक्त अन्य देशों से आने वाली विदेशी रम का आयात बंद कर दिया गया। इस अधिनियम के अनुसार शीरे पर चुंगी 6 पेंस से घटाकर 3 पेंस कर दी गयी, किन्तु साथ ही उसे वसूल करने की पूर्ण व्यवस्था की गई।
    शराब, रेशम, कॉफी और अन्य विलासिता की वस्तुओं पर भी कर लगा दिया गया।
    शाही अधिकारियों को -‘रिट्रस ऑफ असिस्टेंस’ विस्तृत अधिकार के वारंट द्वारा संदिग्ध स्थानों की तलाशी लेने का अधिकार दे दिया।
टाउनशैड की कर योजना
  • राकिंघम के बाद विलियम पिट ने सरकार बनाई जिसमें चार्ल्स टाउनशैण्ड अर्थमंत्री था। उसने आन्तरिक करों के बजाय बाहरी करों में बढ़ोतरी की।
    उसने 1767 ई. में ऐसी पांच वस्तुओं (चाय, शीशा, कागज, सिक्का धातु और रंग) पर सीमा शुल्क लगाया, जिनका आयात अमेरिका इंग्लैण्ड से करता था।
    अमेरिकियों ने इन्हें देने से इन्कार कर दिया क्योंकि अब उन्होंने सिद्धांत बना लिया था कि वे अंग्रेजी संसद के किसी भी कर को नहीं देंगे।
    पेनसिल्वेनिया के जॉन डिकिंसन ने एक लेख प्रकाशित किया – पेनसिल्वेनिया के एक किसान के पत्र।
    बोस्टन नगर में स्थिति खराब थी। वहां 5 मार्च, 1770 ई. में भीड़ व सैनिकों में टकराव हो गया तथा 5 लोग मारे गये। सैनिकों ने अपनी जान बचाने के लिए गोली चलाई थी परन्तु अमेरिकियों ने इसे ‘बोस्टन हत्याकांड’ की संज्ञा दे डाली।
    उपनिवेशवासियों के घोर विरोध के कारण टाउनशैण्ड करों को 1770 ई. में रद्द कर दिया गया।
    केवल सिद्धांत की रक्षा के लिए चाय पर तीन पेंस प्रति पौण्ड़ कर लगाए रखा गया।

तात्कालिक कारण –

लॉर्ड नॉर्थ की चाय नीति
  • नॉर्थ सरकार ने ईस्ट इण्डिया कम्पनी को राहत पहुंचाने तथा चाय की तस्करी को निरुत्साहित करने के उद्देश्य से ईस्ट इण्डिया कम्पनी को सीधे अमेरिका चाय ले जाने की अनुमति दे दी और इंग्लैण्ड में लगने वाली चुंगी भी हटा दी।
    नये कार्यक्रम के अनुसार कम्पनी और अंग्रेजी सरकार को तो लाभ होता ही, अमेरिकियों को भी चाय सस्ती मिलती। परन्तु उपनिवेशवासियों को एकाधिकार से चिढ़ थी अमेरिकी व्यापारियों को आर्थिक हानि पहुंच रही थी।
    नॉर्थ चाय योजना के विरुद्ध विरोध का स्वर प्यूरिटन बस्ती मेसाचूसेट्स के बन्दरगाह बोस्टन में कुछ ज़्यादा ही उग्र था।
    16 दिसम्बर 1773 ई. को सेम्युअल एडमस के नेतृत्व में कुछ अमेरिकी कुलियों का भेष बनाकर बोस्टन बन्दरगाह में खड़े ईस्ट इंण्डिया कम्पनी के जहाजों पर चढ़ गये और उन्होंने चाय की 340 पेटियां समुद्र में फेंक दी। इस घटना को ‘बोस्टन टी पार्टी’ कहा जाता है।
लार्ड नॉर्थ के दमनकारी कानून –
  • बोस्टन टी पार्टी एक ऐसी घटना थी जिसके इंग्लैण्ड और उपनिवेशों को युद्ध के कगार पर ला खड़ा किया। यह घटना ब्रिटिश संसद के लिए चुनौती थी।
    जॉर्ज तृतीय तथा लॉर्ड नॉर्थ ने इस घटना को एक अपमान माना।
    संसद में पांच निष्ठुर कदम उठाये गये जिनका उद्देश्य विरोध का दमन था। ये थे –
    बोस्टन बन्दरगाह को तब तक के लिए बंद कर दिया गया, जब तक नष्ट चाय का हर्जाना ने दे दिया जाये इसका तात्पर्य था- बोस्टन की आर्थिक विनाश।
    मेसाचुसेट्स के परामर्शदाताओं को सम्राट ही नियुक्त करेगा। इससे पूर्व उपनिवेशी निर्वाचित करते थे।
    हत्या सम्बन्धी मुकदमें अमेरिकी न्यायालयों से इंग्लैण्ड या अन्य उपनिवेशों को स्थानांतरित कर दिये गये।
    मेसाचूसेट्स के किसी भी नगर में सेना रखना वैध बना दिया गया तथा ब्रिटिश सैनिकों के ठहरने के लिए समुचित आवास की व्यवस्था का भार स्थानीय अधिकारियों पर डाल दिया गया।
    कनाड़ा में रहने वाले कैथोलिकों को सहिष्णुता प्रदान की गई और क्वीबेक की सीमा ओहियो नदी तक बढ़ा दी गई।
    उक्त कानूनों का अमेरिका में तो विरोध होना ही था किन्तु इनका इंग्लैण्ड में भी कुछ प्रमुख व्यक्तियों ने विरोध किया, जिनमें राकिंघम, विलियम पिट (चथैम) शामिल थे।

महाद्वीपीय कांग्रेस अधिवेशन

  • नवीन कानूनों को लोगों ने दमनकारी कानूनों की संज्ञा दी। इनका उद्देश्य मेसाचूसेट्स को दबाना था।
    वजीर्निया के नागरिकों ने सभी उपनिवेशों का फिलाडेल्फिया में एक सम्मेलन बुलाने का सुझाव रखा, जिसे अन्य उपनिवेशों ने स्वीकार कर लिया।
    5 सितम्बर, 1774 ई. को महाद्वीप की इस प्रथम कांग्रेस का अधिवेशन शुरू हुआ, जिसमें जॉर्जिया को छोड़कर सभी उपनिवेशों की विधानसभाओं ने प्रतिनिधि भेजे। प्रतिनिधियों में मेसाचूसेट्स के जॉन एडमस तथा सेम्युअल एडमस, वर्जीनिया के जॉर्ज वाशिंगटन तथा पैट्रिक हेनरी, दक्षिणी केरोलिना के जॉन रूटलेज, क्रिस्टोफर गेडस्टेन, रोडआइलैण्ड के स्टीफन हॉपकिन्स, पेनसिलवेनिया के जॉन डिकिंसन आदि प्रमुख थे।
    सम्मेलन का उद्देश्य पूर्ण स्वराज्य की मांग नहीं आन्तरिक मामलों में पूर्ण स्वेच्छा का अधिकार प्राप्त करना था।
    अधिवेशन के निर्णयानुसार एक घोषणा-पत्र तैयार करके इंग्लैण्ड भेजा गया। यह एक प्रकार से अधिकारों और शिकायतों की घोषणा थी, जिसमें 1765 ई. के बाद के सभी उपनिवेशों को रद्द करने की प्रार्थना की गई। साथ ही धमकी के रूप में अंग्रेजी सामान के बहिष्कार का निर्णय भी लिया गया।
    कांग्रेस का महत्त्वपूर्ण कार्य एक महाद्वीपीय संस्था का गठन था, जिसने व्यापार-बहिष्कार को पुनर्जीवित किया। गांव-गांव में सुरक्षा समितियां स्थापित करने तथा ब्रिटिश माल का उपयोग करने वालों की सूचना कांग्रेस को भिजवाने का निश्चय किया गया।
    22 अक्टूबर, 1774 ई. को यह सम्मेलन इस निर्णय के साथ समाप्त हो गया कि आगे भी विचार-विमर्श हेतु सम्मेलन बुलाया जायेगा।
    गवर्नर जनरल गेज
    स्वयं सेवकों की टुकड़ी ने लेंक्सिंगटन गांव के पास ब्रिटिश सेना का मार्ग रोकने का विफल प्रयास किया। इसकी सूचना तत्काल सभी उपनिवेशों में फैल गई।
    19 अप्रैल, 1775 ई. की इस घटना से स्वतंत्रता संग्राम का प्रारम्भ माना जा सकता है।
    10 मई, 1775 ई. को, जबकि अभी कॉनकार्ड और लेक्सिंगटन के रक्त रंजित युद्ध का समापन भी नहीं हुआ था, फिलाडेल्फिया में द्वितीय सम्मेलन (कांग्रेस) हुआ।
    बोस्टन के एक धनी व्यापारी जॉन हैनकाक ने कांग्रेस की अध्यक्षता की।
    सम्मेलन में टॉमस जैफरसन, बेंजामिन फ्रैंकलिन जैसे महान नेता उपस्थित थे।
    इस कांग्रेस में जॉर्ज वाशिंगटन का चयन अमेरिकी सेनाध्यक्ष के रूप में किया गया। कांग्रेस में ब्रितानी शोषण के विरूद्ध हथियार उठाने के कारणों पर प्रकाश डाला गया।
    सम्मेलन में स्पष्ट कर दिया गया कि गुलामी के जीवन की अपेक्षा स्वतंत्रता के लिए प्राण दे देना अधिक श्रेष्ठ है।
    जॉर्ज तृतीय और प्रधानमंत्री लॉर्ड नॉर्थ थे।

स्वतंत्रता की घोषणा

  • जॉर्ज तृतीय ने उपनिवेशों के विद्रोह को सैनिक शक्ति सेे दबा देने का निश्चय किया। उसने जर्मन सैनिक किराये पर मंगाकर अपनी सैनिक शक्ति को बढ़ाया।
    अमेरिकियों ने जॉर्ज वाशिंगटन के नेतृत्व में युद्ध लड़ा।
    फिलाडेल्फिया में एकत्र प्रतिनिधियों ने 4 जुलाई 1776 को 13 बस्तियों की इंग्लैण्ड से स्वतंत्रता की घोषणा कर दी और स्वतंत्रता के घोषणा-पत्र का अनुमोदन कर दिया।
    स्वतंत्रता के घोषणा-पत्र का मुख्य उद्देश्य यह प्रदर्शित करना था कि जब कोइ्र सरकार मनुष्य को उसके नैसर्गिक अधिकारों से वंचित करे, तो जनता को ऐसी सरकार बदलने का अधिकार प्राप्त हो जाता है।
    घोषणा-पत्र में यह बलपूर्वक घोषित किया गया कि ‘ईश्वर ने सब मनुष्यों को समान बनाया है ईश्वर ने उन्हें कुछ ऐसे अधिकार दिये हैं, जिन्हे उनसे कोई छीन नहीं सकता। इन अधिकारों में जीवन, स्वतंत्रता और सुख के लिए प्रयत्न शामिल है।’

अमेरिकी स्वतंत्रता के घोषणा-पत्र का मसौदा किसने तैयार किया था? – थॉमस जेफरसन ने

मुख्य घटनाएं

  • अंग्रेज जनरल विलियम हो ने पहली सैनिक सफलता तब प्राप्त की, जबकि उसने फिलाडेल्फिया कांग्रेस के सेनापति जॉर्ज वाशिंगटन को 1776 ई. में बंकरहिल की लड़ाई में पराजित किया। हो ने फिलाडेल्फिया पर अधिकार कर लिया।
    अक्टूबर 1777 ई. में दूसरे प्रमुख अंग्रेज जनरल बुर्गोयन को साराटोगा नामक स्थान पर जॉर्ज वाशिंगटन ने घेर लिया और उसे हथियार डालने पडे़।
    साराटोगा में अंग्रेजों की हार का एक महत्त्वपूर्ण परिणाम यह हुआ कि फ्रांस, स्पेन आदि यूरोपीय देशों को अंग्रेजों के विरूद्ध युद्ध करने के लिए प्रोत्साहित कर दिया
    1776 ई. से ही फ्रांस इस युद्ध में रूचि ले रहा था और वह सप्तवर्षीय युद्ध का इंग्लैण्ड से बदला लेने पर उतारू था।
    6 फरवरी, 1778 ई. को अमेरिकी बस्तियों व फ्रांस में समझौता हो गया कि –
    कोई भी अलग से इंग्लैण्ड के साथ शांति-वार्ता नहीं करेगा।
    जब तक अमेरिकी बस्तियां पूर्ण रूप से स्वतंत्र नहीं हो जाती, युद्ध जारी रखा जायेगा।
    इस समझौते को कराने में मुख्य भूमिका बेंजामिन फ्रैंकलिन की रही। 1778 ई. में फ्रांस युद्ध में कूद पड़ा।
    1779 ई. में स्पेन ने भी इंग्लैण्ड के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी क्योंकि वह भी जिब्राल्टर वापस छीनना चाहता था।
    1780 में हॉलैण्ड के खिलाफ ने इंग्लैण्ड के खिलाफ सुदूर-पूर्व एशिया एवं दक्षिणी-पूर्वी एशिया में अपने पांव जमाने के लिए इंग्लैण्ड को अंध-महासागर में फंसाए रखना चाहता था।
    रूस, डेनमार्क व स्वीडन ने भी हथियारबंद तटस्थता की घोषणा कर दी और यह भी इंग्लैण्ड के विरूद्ध ही थां
    अमेरिकी और फ्रांसीसी सेनाओं ने सेनाध्यक्ष लॉर्ड कार्नवालिस को 19 अक्टूबर, 1781 ई. में यार्कटाउन मं हथियार डालकर आत्मसमर्पण करना पड़ा। इसमें फ्रांस का लाफायत साथ था।
    यार्कटाउन में कार्नवालिस का परास्त होना, इस संग्राम की महत्त्वपूर्ण घटना थी। इंग्लैण्ड के प्रधानमंत्री लॉर्ड नॉर्थ को जब इस पराजय का पता चला, तो उसने कहा – ‘हे ईश्वर! सब कुछ समाप्त हो गया।’
    1783 ई. में पेरिस की संधि से अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम का अंत हुई।

पेरिस की संधि – 3 सितंबर, 1783 ई.

  • इंग्लैण्ड ने 13 अमेरिकी बस्तियों की स्वतंत्रता को मान्यता प्रदान कर दी। इस नये राष्ट्र को अलगानी पहाड़ों और मिसिसीपी नदी के बीच के अंग्रेजी क्षेत्र भी सौंप दिये गये।
    फ्रांस को इंग्लैण्ड से वेस्टइंडीज में सेंट लूसिया, टोबेगो, अफ्रीका में सेनेगाल व गोरी तथा भारत के कुछ क्षेत्र प्राप्त हुए।
    स्पेन को फ्लोरिड़ा तथा भू-मध्य सागर में माइनारका का टापू मिला।
    इंग्लैण्ड व हॉलैण्ड में युद्ध पूर्व स्थिति वापस लायी गई।
    नये अमेरिकी राष्ट्र की सीमा ओहायो नदी के साथ-साथ तय की गई।

अमेरिका का संविधान

  • चार पृष्ठों के नव निर्मित संविधान पर 17 सितम्बर, 1787 ई. को 55 व्यक्तियों द्वारा हस्ताक्षर किये गये और यह 21 जून, 1788 ई. से लाूग हुआ।
    मार्च, 1789 ई. में नयी सरकार का गठन हुआ।
    प्रथम राष्ट्रपति जॉर्ज वाशिंगटन बने।
    जॉर्ज तृतीय की नीतियों का विरोध इंग्लैण्ड के विख्यात राजनीतिक विचारक, तेजस्वी वक्ता, लेखक और अन्तर्राष्ट्रीय क्रांतिकारी टॉमस पेन ने भी किया। उसने अपनी पुस्तिका ‘कॉमनसेंस’ में इंग्लैण्ड की कठोर शब्दों मे आलोचना की और उपनिवेशों के प्रति कठोर व्यवहार के लिए संसद की अपेक्षा जॉर्ज तृतीय के कुटिल व्यक्तित्व को उत्तरदायी ठहराया। अमेरिकियों के लिए यह तथ्य आंच खोलने वाला था।
    ‘स्वतंत्रता की घोषणा’ के मसविदे को तैयार करने का भार जिस समिति को सौंपा गया था उसके सदस्य थे – थॉमस जैफरसन, जॉन एडमस, बेंजामिन फ्रैंकलिन, रॉजर शरमन और रॉबर्ट आर. लिविंगस्टॉन।
    स्वतंत्रता संग्राम के घोषणापत्र को तैयार करवाने में थॉमस जैफरसन ने सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी

अंग्रेजों की असफलता के कारण

  • उपनिवेशों की शक्ति का गलत अनुमान
  • इंग्लैण्ड के एक वर्ग की सहानुभूति उपनिवेशों के साथ
  • इंग्लैण्ड और अमेरिका की दूरी
  • जॉर्ज तृतीय की अकुशलता
  • वाशिंगटन का कुशल नेतृत्व
  • अंग्रेजी सेना की भूलें
  • फ्रांस का उपनिवेशों के पक्ष में लड़ना
  • अमेरिकी सेना द्वारा छापामार प्रणाली अपनाना

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