भारत पर विदेशी आक्रमण

  • सीरिया के महान राज एन्टीयोकस ने 206 ई.पू. के आसपास हिन्दूकुश को पर कर काबुल की घाटी में राज्य करने वाले एक भारतीय राजा सुभगसेन को हराया और उससे अपरिमित धन और बहुत से हाथी लेकर स्वदेश वापस गया।
  • बैक्ट्रिया के यवन राजा डेमेट्रियस ने पंजाब का काफी भाग जीत लिया था। एक-दूसरे यवन राजा यूक्रेटियस ने डेमेट्रिय से बैक्ट्रिया का राज्य छीन लिया।
  • भारत के उत्तरी-पश्चिमी सीमा प्रांत में उस काल में बहुत से छोटे-छोटे यवन सामन्त राज्य करते थे। इनमें सबसे प्रसिद्ध राजा मिनान्डर था, जो आक्रमण करते हुए भारत में काफी अंदर तक घुस आया था।
  • मिनान्डर ने बौद्ध धर्म अंगीकार कर लिया। उसकी पहचान प्रसिद्ध बौद्ध ग्रन्थ ‘मिलिन्दपन्हो’ में उल्लिखित राजा मिलिन्द से की जाती है।
  • एक अन्य यवन राजा एंटियाल्कीडास था जो तक्षशिला में राज्य करता था, उसने अपने दूत हेलियोडोरस को शुंग राजा भागभद्र की राजसभा में भेजा था। हेलियोडोरस ने भागवत धर्म ग्रहण कर लिया और उसने बेसनगर में वासुदेव के गरुड़ स्तम्भ का निर्माण कराया था।

भारत पर यूनानी आक्रमण का प्रभाव

  • भारत के पश्चिमोत्तर प्रांत में एकता के नये युग का सूत्रपात हुआ और मौर्यों को एक विशाल साम्राज्य स्थापित करने में सहायता मिली।
  • भारत और पश्चिमी देशों के बीच चार जलमार्ग तथा चार स्थल मार्गों का पता चला।
  • यूनानी मुद्रा निर्माण कला का प्रभाव भारतीय मुद्रा निर्माण पर पड़ा।
  • गांधार कला पर यूनानी प्रभाव पड़ा।
  • सिकंदर के आक्रमण की तिथि (326 ई.पू.) ने प्राचीन भारत के तिथिक्रम की गुत्थियों को सुलझा दिया।
  • सिकंदर के साथ आये इतिहासकारों ने तत्कालीन सामाजिक, राजनैतिक व्यवस्था के सम्बंध में बहुत-सा विवरण लिखा। इनसे प्राचीन भारतीय इतिहास के निर्माण में बड़ी सहायता मिली।
  • ज्योतिष के क्षेत्र में पोलिश और रोमन सिद्धांत यूनानियों की देन है।
  • सप्ताह के 7 दिनों का विभाजन, विभिन्न ग्रहों के नाम, काल गणना की प्रथा का अस्तित्व यूनानियों की देन है।
  • नाटकों में प्रयुक्त पटाक्षेप शब्द (यवनिका) यूनानी शब्द है।
  • पश्चिमोत्तर भारत में हेलेनिष्टिक कला का विकास हुआ।

ईरानी आक्रमण का प्रभाव

  • भारत के विदेशी व्यापार को बहुत प्रोत्साहन मिला।
  • पश्चिमी देशों में आने-जाने के लिए समुद्री मार्ग खुल गये।
  • भारत का सामान सुदूर मिस्र और यूनान तक पहुंचने लगा।
  • भारत में खरोष्ठी लिपि का प्रचार हुआ।
  • भारत में ईरानी रजत मुद्राओं (सिग्लोई) के आधार पर रजत मुद्रा प्रचलन में आयी।
  • भारतीय राजाओं में साम्राज्यवादी विचारधारा की भावना प्रबल हुई।
  • स्त्री अंगरक्षकों की प्रथा, मंत्रियों के कक्ष में हमेशा अग्नि प्रज्ज्वलित रखने की व्यवस्था आदि की शुरुआत हुई।

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